मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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दोहे "झटका और हलाल"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
जय दुर्गा नवरात में, बोल रहे थे लोग।
बाकी पूरे सालभर, मुर्गा का उपभोग।।
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जीभ चटाखे ले रही, होठों पर हरिनाम।
हिन्दू ज्यादा खा रहे, मौमिन हैं बदनाम।।
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नहीं क्षमा के योग्य हैं, दोनों के ऐमाल।
रोजाना दोनों करें, झटका और हलाल...
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ज़िन्दगी जीना चाहती हूं
मैं ज़िन्दगी जीना चाहती हूं
नशे के घूंट की तरह पीना चाहती हूं ...
बूँद बूँद कर हर रोज़
कम हो रही है न इसकी मियाद
और मैं उस बूँद के वजूद को
क्यों समझ नहीं पा रही हूँ...
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नारी आज की
निर्भय हो विचरण करतीअपनी क्षमता जानती
अनजान नहीं परम्पराओं से
सीमाएं ना लांघती |
परिवार की है बैसाखी हर कदम पर साथ देती
है कर्मठ और जुझारू आत्मविश्वास से भरी रहती...
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South India Trip:
Hyderabad
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इंटरनेट :
अपनी साइड को सुरक्षित
और पास वर्ड मजबूत कैसे रखें
आज के समय में हर कोई इंटरनेट पर कहीं न कहीं सोशल मीडिया से, ब्लॉग से, यू टूयूब से और नेट से अथवा अन्य कार्यों से जुड़ा रहता हैं और इन साइडों के लिए यूजर्स को इसके लिए मेल एड्रेस और मजबूत पास वर्ड की आवश्यकता होती है । कमजोर पास वर्ड होने पर या साइड साइन आउट न होने की स्थिति में हैक हो जाती है और हैकर आपका सारा डाटा चुरा लेता है इस अप्रिय से निपटने के लिये जरुरी है कि हम अपनी साइड का पास वर्ड मजबूत रखें...
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स
जवाब देंहटाएंआज के चर्चा मंच में मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउम्दा संकलन
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्रों से सजी सार्थक चर्चा ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग समयचक्र की पोस्ट को चर्चा मंच में प्रकाशित करने के लिए दिल से आभारी हूँ ...
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर मेरी रचना को सामिल करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया। समग्र अंक पठनीय
जवाब देंहटाएंसादर।