मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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राजा माँगे ईमानदार प्रजा
विभिन्न देशों को, भारत सरकार द्वारा दिए उपहारों का ब्यौरा बताने से सरकार ने इंकार कर दिया है। कारण? इससे उन देशों के साथ हमारे सम्बन्ध खराब हो सकते हैं। गोया, दुनिया के देश, भारत की प्रेमिकाएँ हैं जो अपनी सौतन को मिले उपहार से जल-भुन कर हमसे बेवफाई कर लेंगे। यह जानकारी ‘सूचना के अधिकार’ के तहत माँगी गई थी। इस तर्क की हकीकत समझी जा सकती है...
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मुझे तन्हाइयां बख्शो
मुझे तन्हाइयां बख्शो कहीं इस शोर से आगे
अंधेरे घोर के आगे जो पल पल कसी जाए
गले की डोर के आगे...
kanu.....
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बेटियाँ
बेटियाँ घर आँगन की रौनक
जिस प्रकार एक उपवन बिना चिड़ियों की चहचहाहट के अधूरा और सूना-सूना लगता है उसी प्रकार बेटियों के बिना घर का उपवन, आँगन भी अधूरा और सूना लगता है। इसका दर्द वही समझ पाता है जिस घर में बेटी नहीं होती। सोच कर देखिये ।
इतिहास उठा कर देखे तो हम पाएंगे कि तब से आज तक वक़्त ने स्त्रियॉं से खुद के होने के सबूत मांगे हैं । लेकिन यह भी सत्य है कि उसने स्त्रियॉं को सफलता के झंडे गाड़ते देखा है| हमारे देश की कई बेटियों ने इतिहास रचा है |देश की बेटियाँ हर क्षेत्र में देश का गौरव बन कर हम सब के लिए प्रेरणादायक रही हैं | देवी अहिल्या, सीता , गार्गी , लक्ष्मी बाई, कल्पना चावला, इंदिरा गांधी, लता मंगेश्कर दीदी एवं अनेकानेक महिलाएं एवं बेटियाँ जिन्होने प्रत्येक क्षेत्र मे अपनी कुशलता का परिचय दिया है । घर परिवार को संभालना हो या बाहर निकल कर किसी भी क्षेत्र में , स्त्री ने खुद को बेहतर साबित किया है...
Annapurna Bajpai
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए बहूत-बहूत धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंhttps://meremankee.blogspot.in/2018/04/radheshyam.html