Followers



Search This Blog

Saturday, April 21, 2018

"बातों में है बात" (चर्चा अंक-2947)

मित्रों! 
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

--
--
--
--

जिस पहर से पढने-
 शहर गये हो -
 तन्हाईयों  से ये 
 घर आँगन भर गये  हैं  |

उदासियाँ   हर गयी है
 घर भर का  ताना - बाना
हर आहट पे तुम हो
अब ये भ्रम पुराना
 जाने कहाँ वो किताबे तुम्हारी -
 बन  प्रश्न तुम्हारे-मेरे उत्तर गये है... 
--
--
--

प्रेम 

हर किसी के वास्ते ठहरा नहीं जाता।  
टोटकों से प्रेंम सच गहरा नहीं जाता।  
नेह उर में हो अगर स्वारथ रहित प्यारे,  
तो हृदय में बस गया चेहरा नहीं जाता।। 
मेरी दुनिया पर Vimal Shukla 
--
--
--
--
--

क्या मिल गया ? 

गर्दिशे-ऐयाम से दिल हिल गया 
आज का दिन भी बहुत मुश्किल गया 
देख कर हमको परेशां दर्द से 
आसमानों का कलेजा हिल गया... 
Suresh Swapnil  

"मेघ"  

राधा तिवारी ' राधेगोपाल' 

सर्व सुख दाता विधाता, हो मेरे मन भावना। 
नभ में मेघ बुलाकर करते, मौसम अतिसुहावना।। 

बारिशों की बूँदों से, पत्ते झूमें लहर हिलोर । 
तुम बसन्त में कर जाते हो, मन को बहुत विभोर... 
--

7 comments:

  1. शुभ प्रभात
    आभार
    सादर

    ReplyDelete
  2. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति

    ReplyDelete
  3. आदरणीय सर -- आज पहली बार इस मंच पर मेरी रचना लिंक की गयी है सादर आभार आपको मुझे इस मंच से जोड़ने के लिए | इस मंच से जुड़े रचनाकारों और पाठकों को सादर सस्नेह अभिवादन | सभी लिंको का अवलोकन किया सभी बेहतरीन हैं | सादर आभार और नमन एक बार फिर से | आशा है ये सहयोग बना रहेगा |

    ReplyDelete
  4. आदरणीय प्रमोद जोशी जी के ब्लॉग पर मेरी टिप्पणी दिखाई नहीं पड़ रही |

    ReplyDelete
  5. सुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज का बहुत ही सुन्दर संकलन ! मेरी रचना को आज के मंच पर स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं हार्दिक आभार शास्त्री जी !

    ReplyDelete
  6. जी आदरणीय सादर आभार सखी यशोदा जी की धरोहर व विविधा से मेरी दो रचनाओं का चयन। सदा अनुग्रह बनाये रखें।
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई ।

    ReplyDelete

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।