मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--
--
----- ॥ हर्फ़े-शोशा 4॥ -----
मतलब परस्ती की लगाईं कहीं आतिशी आग जले..,
तारीके-शब को सहर किए कहीं चश्मे-चराग़ जले....
सब्ज़ सब्ज़ हर ज़मीं हो बाग़ बाग़ हर बाग़ |
ए तारीके हिन्द तिरा बुझे न शबे चराग़...
NEET-NEET पर
Neetu Singhal
--
--
३०८.
पीढियां
मेरी नानी चाहती थी
कि कुछ आदतें
उनसे उनकी बेटी को मिले,
पर मेरी माँ ने मेरी नानी से
थोड़ी-सी आदतें ही लीं.
मेरी माँ भी चाहती थी
कि मैं उनसे अपनी नानी की
थोड़ी-सी आदतें ले लूं,
पर या तो मैं ले नहीं पाई
या लेना ही नहीं चाहती थी...
कि कुछ आदतें
उनसे उनकी बेटी को मिले,
पर मेरी माँ ने मेरी नानी से
थोड़ी-सी आदतें ही लीं.
मेरी माँ भी चाहती थी
कि मैं उनसे अपनी नानी की
थोड़ी-सी आदतें ले लूं,
पर या तो मैं ले नहीं पाई
या लेना ही नहीं चाहती थी...
कविताएँ पर Onkar
--
अंतिम इच्छा.....
नीतू ठाकुर
--
कठुआ की पीड़िता बच्ची के बहाने
नफ़रत और जहर बो कर
लाखों-करोड़ों का खेल
सरोकारनामा पर
Dayanand Pandey
--
डिफेंस मॉनिटर का नया अंक
जिज्ञासा पर pramod joshi
--
गो हम आस पास होंगे
कभी मझको भूल जाना गो हम आस पास होंगे
कभी तुम न याद आना गो हम आस पास होंगे...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
--
सुप्रीम कोर्ट जज लोया की
मौत के निर्णय पर और खरी खरी
16 से 20 अप्रेल 2018 के बीच
ज़िन्दगीनामा पर Sandip Naik
--
--
--
--
लघु कविताएँ ;
‘एक काफिला नन्हीं नौकाओं का’.....
डॉ. सुधा गुप्ता
मेरी धरोहर पर yashoda Agrawal
--
ढल गया राजस्थानी फिल्मी गीतों का 'सूरज'
*एम .डी . सोनी* राजस्थानी सिनेमा के दूसरे दौर के सबसे लोकप्रिय और सक्रिय गीतकार तथा स्क्रिप्ट राइटर सूरज दाधीच 19 अप्रेल को अलविदा कह गए. मुंबई में गुरुवार शाम को उन्होंने अंतिम सांस ली. दस जुलाई 1944 को चूरू में जन्मे सूरज दाधीच की परवरिश राजस्थानी नाटककार पं. मुरलीधर दाधीच की छत्रछाया में हुई. उन्हीं से राजस्थानी में लिखने की प्रेरणा मिली, तो अपने फूफा, जाने-माने लेखक और गीतकार पं. इंद्र से उन्हें सिनेमाई लेखन के गुर सीखने को मिले...
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए शुक्रिया।
जवाब देंहटाएं