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शनिवार, दिसंबर 22, 2018

"जनता जपती मन्त्र" (चर्चा अंक-3193)

मित्रों! 
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।  
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।  
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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मुस्कान अश्कों की 

Anita Saini 
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मुस्कान 

Sudhinama पर sadhana vaid 
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कहानी ययाति की --  

डा श्याम गुप्त 

 ययाति चन्द्रवंशी थे जो अपने आदि पुरुष के रूप में चन्द्रमा को मानते थे। पुराणों के अनुसार ब्रह्माजी से अत्रि,अत्रि से चन्द्रमाचन्द्रमा से बुध और बुध से इलानंदन पुरुरवा का जन्म हुआ। पुरुरवा से आयुआयु से राजा नहुष और नहुष से ययाति उत्पन्न हुए... 
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घाट पर धुलने गयी है व्यवस्था 

समर्थक परजीवी हो रहें हैं  
सड़क पर कोलाहल बो रहें हैं  
शिकायतें द्वार पर टंगी हैं  
अफसर सलीके से रो रहें हैं... 
Jyoti Khare  
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हाईकू 

प्यास न बुझी 
खड़ीनिहार रही 
खारे जल को... 
Akanksha पर 
Asha Saxena 
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दोहे  

"फूलों की बरसात"  

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

"जनता जपती मन्त्र" सात दशक में भी नहींआया कुछ बदलाव। खाते माल हराम काअब भी ऊदबिलाव।। 
चाहे धरती पर रहेंकैसे भी हालात। होती इनके शीश परफूलों की बरसात।। 
आजादी के यज्ञ मेंप्राण किये बलिदान। लेकिन अमर शहीद कानहीं मिला सम्मान।। 
आये कोई भी भलेभारत में सरकार। नहीं प्रशासक ने कियाकोई कभी विचार।। 
हर-हर हो या हाथ होसब हैं एक समान। जनता को उल्लू बनाचला रहे दूकान।। 
मत पाने तक के लिएजनता है भगवान। फिर तो मनमानी करेंपाँच साल सुलतान।। 
लोकतन्त्र के नाम काजनता जपती मन्त्र। राजतन्त्र जैसा लगेजनता को जनतन्त्र।। 
फाँसी खा कर मर रहेधरती के भगवान। लेकिन शासक देश केसोये चादर तान।।

5 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात आदरणीय
    बेहतरीन चर्चा अंक 👌
    शानदार रचनाएँ, सभी रचनाकारों को शुभकामनायें,
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए सह्रदय आभार आदरणीय
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. धन्यवाद मेरी रचना शामिल करने के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर सूत्रों से सजी संक्षिप्त चर्चा ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !

    जवाब देंहटाएं

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