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बुधवार, फ़रवरी 27, 2019

"बैरी के घर में किया सेनाओं ने वार" (चर्चा अंक-3260)

"चर्चा मंच" अंक-3259
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"

आइए बुधवार का "चर्चा मंच" सजाते हैं।
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दोहे  

"समझौता अन्याय से, नहीं हमें मंजूर" 

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक  
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अदम्य साहस 

पूत को  खो  कर तिलमिलाया आसमां,  ख़ुशी  के आँसू  बहाए ,
ठण्डी    हुई    ह्रदय  की  ज्वाला,   आज   सुकून   से  रोया |

आँख   का  पानी,   दिल  का   दर्द   इत्मीनान  से  सोया, 
सेना  का  शौर्य , शहीद  का  कारवा  ख़ुशी  से  मुस्कुराया |

अदम्य  साहस  देख  जवानों  का,  आसमां  मिलने  आया ,
सौगात   में  बरसाई   बूंदें, तिलक सूर्य  की  किरणों  से करवाया। 
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बालकहानी 

*लंगूरे का अमरू* 
बालकुंज पर सुधाकल्प 
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दर्पण अभिशाप 

कल जब आईना देखा  
तब यह अहसास हुआ  
वक़्त कितनी रफ़्तार से बदल गया  
मन चिंतन तन... 
RAAGDEVRAN पर 
MANOJ KAYAL
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लघुकथा :  

मुआवजा 

झरोख़ा पर 
निवेदिता श्रीवास्तव 
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एक नाम तेरा 

चांद तारों की बात  
चांदनी में हो तो अच्छा लगता है 
सुनहरे ख्वाबों की बात  
चमन में हो तो अच्छा लगता है ... 
हमसफ़र शब्द पर संध्या आर्य 
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कौन पथ भूले, कि आए...... 

पण्डित माखन लाल चतुर्वेदी 

कौन पथ भूले, कि आये !
स्नेह मुझसे दूर रहकर
कौन से वरदान पाये?... 
मेरी धरोहर पर 
Digvijay Agrawal 

4 टिप्‍पणियां:


  1. सचमुच भारतवासियों में खुशी का माहौल है। हमारे वीर जवानों ने शत्रु की जमीन पर उन्हें सबक सिखलाया है। कल हमारी होली भी रही और दीवाली भी मनी।
    जय हिन्द
    इस इस मंच पर स्थान देने के लिये धन्यवाद शास्त्री सर।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात आदरणीय
    बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति 👌शानदार रचनाएँ |मुझे चर्चा में स्थान देने के लिए सह्रदय आभार आप का
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात
    मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद सर |

    जवाब देंहटाएं

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