स्नेहिल अभिवादन
रविवासरीय चर्चा में आप का हार्दिक स्वागत है|
रविवासरीय चर्चा में आप का हार्दिक स्वागत है|
देखिये मेरी पसन्द की कुछ रचनाओं के लिंक |
- अनीता सैनी
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भूमिका -
मेरी दीदी आशा सक्सेना जी के नये काव्य संकलन ‘पलाश ’ को लेकर मैं आज आपके
सम्मुख उपस्थित हुई हूँ ! दीदी की सृजनशीलता के सन्दर्भ में कुछ भी कहना सूरज
को दीपक दिखाने के समान है ! २००९ से वे अपने ब्लॉग ‘आकांक्षा’ पर सक्रिय हैं
और उनकी श्रेष्ठ रचनाओं का रसास्वादन आप सभी सुधि पाठक इस ब्लॉग पर इतने
वर्षों से कर ही रहे हैं ! दीदी के अन्दर समाहित संवेदनशील कवियत्री अपने आस
पास बिखरी हुई हर छोटी से छोटी बात से प्रभावित होती है और हर वह बात उनकी
रचना की विषयवस्तु बन जाती है जो उनके अंतर्मन को कहीं गहराई तक छू जाती है
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बदलती फ़िज़ाओं ने मंज़िल का रुख मोड़ दिया
खुबसूरत पैगाम संदेशा मीठा सा सुना गया
एक नयी सुबह से करुँ एक नया आगाज़
कर लूँ दुनिया मुट्ठी में छू लूँ नीला आकाश
आसमाँ से आगे मंज़िल कर रही मेरा इंतजार
कामयाबी के हर कदम लिखूँ एक नयी कहानी
उड़ चलू महत्वकांक्षा के उड़न खटोले पे हो सवार
मिल जाए मंज़िल को मन चाहा क्षतिज का आधार
आलिंगन करने धरा उतर आये अम्बर और आकाश
धूप छावं की चाल में फिसल ना जाऊ राह में
अटल मज़बूत इरादें लिए
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आओ बच्चों!मेरे कुछ,
पन्नों को तुम भी पढ़ लो।
ग्यान के स्वर्णिम भूषण से,
जीवन को तुम मढ़ लो।
मुझको पढ़कर सारे प्राणि,
हो जाते हैं पंडित ग्यानी।
मुझमें देखो रची हुई है,
संतों की सब मीठी वाणी।
वेद,पुराण,उपनिषद गीता,
सभी हैं मेरे ही रूप।
रामायण,गुरुग्रंथ साहिबा,
वाईविल , कुरान , अनूप।
हर विषय का ले लो हमसे,
तुम हर तरह का ग्यान।
राजनीति, भूगोल,गणित हो,
चाहे साहित्य विग्यान।
मेरे विस्तृत सीने में है,
छिपे हुए अनेकों राज
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स्कूल से आते ही बैग पटक दिया काया ने. मोजे कहीं, जूते कहीं . बड़बड़ाती माला
ने सब चीजें ठिकाने रखीं और बैग से निकाल कर डायरी देखने लगी.
क्लास टीचर ने पैरेंट्स को मिलने का नोट डाला था. सिहर गई एकबारगी माला.
ओह! अब क्या गलती हुई होगी!
पिछले कुछ समय से स्कूल से आने वाली शिकायतें उसे परेशान कर रही थी. अभी
पिछले हफ्ते ही तो कॉपी किताबों के कवर फटे होने की शिकायत करते हुए कक्षा
अध्यापिका ने बहुत भला बुरा कहा था
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एक और मीसा-बंदी25, जून 1975 को इमरजेंसी की घोषणा हुई. आए दिन सरकार का
विरोध करने वालों को 'मीसा’ (‘मेंटेनेंस ऑफ़ इंडियन सिक्यूरिटी एक्ट’) के तहत
गिरफ़्तार कर के जेलों में ठूंसा जा रहा था. ‘मीसा’ का यह तानाशाही फ़रमान
निहायत ही खतरनाक था. इसके अंतर्गत संविधान के अंतर्गत मिले नागरिक अधिकारों
की धज्जियाँ उड़ा दी गयी थीं. ‘मीसा’ के नाम पर बिना किसी वारंट के, किसी को भी,
कभी भी, गिरफ्तार किया जा सकता था और गिरफ्तार व्यक्ति को अपनी ज़मानत कराने का ---
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सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंआभार अनीता सैनी जी।
बेहतरीन..
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर..
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुंदर मनभावन प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार ।
सुन्दर चर्चा. मेरी कविता शामिल की. आभार.
जवाब देंहटाएंदेर से आने के लिए खेद है..सुंदर चर्चा, आभार !
जवाब देंहटाएंआशा दीदी के नए काव्य संग्रह 'पलाश' की मेरी भूमिका को आज के मंच पर स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत शुक्रिया एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !
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