सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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एक भीड़ को देखते देखते
भीड़ में शामिल हो लेने का
खामियाजा भुगतना ही पड़ता है
मुस्कुराना ठीक है रोने लेने से भी
वैसे कुछ नया होना भी नहीं है
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पत्थर :
दस क्षणिकाएं
1.
जो संवेदनाएं नहीं होती
पत्थरों में
चिंगारी नहीं फूटी होती
इनके घर्षण से
न ही जन्म लेती आग।
2...
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सुप्रभात,
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार।
सुप्रभात सर 🙏)
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा प्रस्तुति 👌
सादर
सुन्दर सोमवारीय चर्चा में 'उलूक' के पन्ने को भी जगह देने के लिये आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात, रिमझिम वर्षा के इस मौसम में पढ़ने के लिए बहुत कुछ परोसती आज की चर्चा..आभार !
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह सभी लिंकों को इकट्ठा कर पाठकों से जोड़ने हेतु अनेकों शुभकामनाएं ।
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