मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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एक फालतू सी पोस्ट
जिन्दगी में आप कितना बदल जाते हैं, कभी गौर करके देखना। बचपन से लेकर जवानी तक और जवानी से लेकर बुढ़ापे तक हमारी सूरत ही नहीं बदलती अपितु हमारी सोच भी बदल जाती है। कई बार हम अधिक सहिष्णु बन जाते हैं और कई बार हम अधीर। बुढ़ापे के ऐप से तो अपनी फोटो मिलान करा ली लेकिन हमारी सोच में कितना बदलाव आया है, इसकी भी कभी गणना करना। मेरा बचपन में खिलंदड़ा स्वभाव था, अन्दर कितना ही रोना छिपा हो लेकिन बाहर से हमेशा हँसते रहना ही आदत थी। कठोर अनुशासन में बचपन बीता लेकिन अपना स्वभाव नहीं बदला...
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आशा का घोड़ा ...
आशा की आहट का घोड़ासरपट दौड़ रहासुखमय जीवन-हार मिलासाँसों में महका स्पंदनमधुमय यौवन भार खिलानयनों में सागर सनेह कासपने जोड़ रहा सरपट दौड़ रहा ...
स्वप्न मेरे ...पर दिगंबर नासवा
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और थोड़ा जुल्म ढाया कीजिए
सोचिए मत क्यूँ सताया कीजिए
रब्त कुछ यूँ भी बढ़ाया कीजिए...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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हिमा
तुम उड़ान भरो
पंखों में अपनी जमीनी खुशबू लेकर उड़ो
सातवें आसमान के भी पार उड़ो
तुम उड़ो पाँवों में बाँध कर घूंघरूँ
अपनी कामयाबियों के
और उड़ती रहो.....लागातर...बिना थके...अनवरत
तुम भारत पुत्री हिमा हो...
पंखों में अपनी जमीनी खुशबू लेकर उड़ो
सातवें आसमान के भी पार उड़ो
तुम उड़ो पाँवों में बाँध कर घूंघरूँ
अपनी कामयाबियों के
और उड़ती रहो.....लागातर...बिना थके...अनवरत
तुम भारत पुत्री हिमा हो...
आत्ममुग्धा
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सबकी अपनी राम कहानी -
गीत
जितने जन उतनी ही बानी
सबकी अपनी राम कहानी
ऊपर ऊपर हँसी खिली है
अंदर में मायूस गली है
किसको बोले कैसे बोले
अँखियों में अपनापन तोले
पाकर के बोली प्रेम भरी
आँखों में भर जाता पानी ...
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एक प्याली चाय !
औरत की इज्जत एक चाय की प्याली हो गयी जिसे जिसने पिया - तो अकेले नहीं दोस्तों के संग क्या ये अब लत बन चुकी है। जो इंसान के जमीर में शामिल नहीं है - औरत की इज्जत करना। और समाज उसे कितनी जलालत भरी नजर से देखती है, घुट घुट कर जीने के लिए मजबूर होती है, क्योंकि उस पीड़ा का अहसास इस समाज ने कभी किया ही नहीं होता है...
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात सर
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चर्चा प्रस्तुति
प्रणाम
सादर
सुन्दर सार्थक सूत्रों से सजी चर्चा...
जवाब देंहटाएंमेरे गीत को स्थान देने के लिए सादर आभार !!
सुन्दर चर्चा. मेरी कविता को जगह दी.आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा। मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा बहुत अच्छी लगी.
जवाब देंहटाएंहिमा दास का जीवन और उनका संघर्ष स्वयं एक मर्मस्पर्शी कविता है.
उन पर लिखी कविता भी खुश लगी.
सभी लिखनेवालों को बधाई.
बधाई शास्त्रीजी.
बहुत सुंदर चर्चा अंक शानदार लिंको का चयन।
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक.....मेरी रचना का मान बढ़ाने के लिये शुक्रिया.... विलंब के लिये क्षमाप्रार्थी हूँ
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