Followers



Search This Blog

Tuesday, July 30, 2019

"गर्म चाय का प्याला आया" (चर्चा अंक- 3412)

मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
--
--
--
--
--

काश के वन 

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
--

ये भी आये, वे भी आये 

ये भी आये, वे भी आये,  
सभी ही उनके, जनाजे मे आये।  
आये करीबी, आये रकीबी,  
रोते थे बिसूरते थे सभी ही।  
उनमें से कुछ थे, मुखौटे लगाये... 
जयन्ती प्रसाद शर्मा 
--
--
--
--

पहली बारिश 

उफ़्फ़ ये पहली बारिश...
ये पहली बारिश भी ना बड़ी जिद्दी होती है, हर बार चली आती है, अपने उसी पुराने रूप में। बचपन से आज तक सब कुछ बदल गया, लोग बदल गए, गाँव बदल गए, शहर बदल गए और तो और रिश्तों के रूप भी बदल गए। पर इसे देखो आज तक नही बदली... 
Amit Mishra 'मौन'  
--

एक ग़ज़ल :  

साज़िश थी अमीरों की---- 

 साज़िश थी अमीरों की ,फाईल में दबी होगी  
दो-चार मरें होंगे ,’कार ’ उनकी चढ़ी होगी ... 
आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक 
--

साँझ के बादल -  

धर्मवीर भारती 

काव्य-धरा परर वीन्द्र भारद्वाज  
--
--
--

हाइकु 


शिव सत्य है

हिमालय निवास

गौरा के साथ... 
झरोख़ा पर निवेदिता श्रीवास्तव 
--
--
--
--

मनमर्जियों की बेल लहलहा रही है 

कोरी हथेलियों को देखती हूँ तो देखती ही जाती हूँ. कोरी हथेलियों पर मनमर्जियां उगाने का सुख होता है. मनमर्जियां...कितना दिलकश शब्द है लेकिन इस शब्द की यात्रा बहुत लम्बी है. आसानी से नहीं उगता यह जिन्दगी के बगीचे में. इस शब्द की तासीर सबको भाती है लेकिन इसे उगाने का हुनर कमाना आसान नहीं. और यह आसान न होना मनमर्जियो के माथे पर तमाम इलज़ाम धर देता है.... 
Pratibha Katiyar  
--
--

9 comments:

  1. सुप्रभात सर 🙏)
    बहुत ही सुन्दर चर्चा प्रस्तुति 👌|
    मुझे स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार आप का
    सादर

    ReplyDelete
  2. सुंदर प्रस्तुति...

    मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद आपका🙏

    ReplyDelete
  3. आभार आदरणीय। सुन्दर प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  4. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।

    ReplyDelete
  5. sundar charcha hamen shamil karne hetu abhar

    ReplyDelete
  6. उम्दा संकलन सभी रचनाकारों को बधाई।

    ReplyDelete
  7. बहुत ही सुंदर रचनाओ का संकलन,मुझे स्थान देने के लिये
    आभार

    ReplyDelete

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।