बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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सुनो चाँद !--
कविता
अब नहीं हो! दुनिया के लिए,
तुम तनिक भी अंजाने, चाँद!
सब जान गए राज तुम्हारा
तुम इतने भी नहीं सुहाने, चाँद!
बहुत भरमाया सदियों तुमने ,
गढ़ी एक झूठी कहानी थी;
रही वह तस्वीर एक धुंधली ,
नहीं कोई सूत कातती नानी थी;
बने युगों से बच्चों के मामा -
क्या कभी आये लाड़ जताने?चाँद !...
तुम तनिक भी अंजाने, चाँद!
सब जान गए राज तुम्हारा
तुम इतने भी नहीं सुहाने, चाँद!
बहुत भरमाया सदियों तुमने ,
गढ़ी एक झूठी कहानी थी;
रही वह तस्वीर एक धुंधली ,
नहीं कोई सूत कातती नानी थी;
बने युगों से बच्चों के मामा -
क्या कभी आये लाड़ जताने?चाँद !...
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पढ़ना जरूरी है
बारूद में लिपटी
जीवन की किताब को
पढ़ते समय
गुजरना पड़ता है
पढ़ने की जद्दोजहद से...
जीवन की किताब को
पढ़ते समय
गुजरना पड़ता है
पढ़ने की जद्दोजहद से...
Jyoti khare
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चमकीले ख्वाबों
मैंनेअपने चमकीले ख्वाबों कोअलविदा कह दिया था
रोज़ रोज़ दाढ़ी बनाना
नए कपड़े सिल्वाना
जूते चमकाना
और इत्र लगाना छोड़ दिया था...
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सुप्रभात सर 🙏)
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति से सजा है चर्चा मंच, मुझे स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार सर
सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें
प्रणाम
सादर
सुप्रभातम,
जवाब देंहटाएंअच्छी अच्छी रचनाये हैं सभी,
मौसम का नज़ारा देख रहे हैं।
सादर।
उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंचर्चा उम्दा रही !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचनाओं का सराहनीय संकलन है सर..मेरी रचना को शामिल करने के लिए सादर आभार आपका।
जवाब देंहटाएंसुंदर। संयोजन
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मिलित करने का आभार
सादर
बहुत सुंदर प्रस्तुति सभी लिंक शानदार।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।
सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंबारिश का मौसम है लेकिन वह तो रूठा है, भूला गया शायद जैसे बरसना !
समयाभाव वश देख नहीं पाई. आज सभी रचनाएं पढ़ी . सुन्दर चयन है . मेरी रचना भी शामिल है देखकर अच्छा लगा .
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