बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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शाकाहार
पुराने ज़माने में हमारे परिवार की ज़्यादा भक्त किस्म की महिलाएं तो अशुद्धता के भय से बाज़ार से लाया गया कुछ भी पकवान खाती ही नहीं थीं और उन से निचले दर्जे की भक्तिनें अपनी शुद्धता के लिए प्रतिष्ठित हलवाइयों की दुकानों से लाए गए पकवानों के अलावा किसी बाहरी व्यंजन को हाथ भी नहीं लगाती थीं. लेकिन हमारे परिवार के बेचारे मर्द इस तरह के कठोर नियमों का पालन करने में प्रायः असमर्थ हुआ करते थे. पढ़ाई के सिलसिले में उन्हें घर से बाहर रहना पड़ता था और तब जो भी और जैसा भी शाकाहारी भोजन उन्हें मिलता था उसे बिना चूं-चपड़ किए ही उन्हें खाना पड़ता था...
तिरछी नज़र पर
गोपेश मोहन जैसवाल
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गुरु पूर्णिमा के दिन
चौराहे की
तीन सड़कों के किनारे
अलग अलग गुटों ने
अपने अपने
मंदिर बना रखे हैं
तरह तरह के पुजारी नियुक्त हैं
अलग अलग गुरुओं की
आवाजाही बनी रहती है...
तीन सड़कों के किनारे
अलग अलग गुटों ने
अपने अपने
मंदिर बना रखे हैं
तरह तरह के पुजारी नियुक्त हैं
अलग अलग गुरुओं की
आवाजाही बनी रहती है...
Jyoti khare
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गुरु की करनी गुरु जानेगा
संसार के गुरुओं को प्रणामउन्हें भी जो आज का इंतज़ार साल भर करते है और एक दिन पहले से ही रुपया गिनने की मशीन किराए से ले आते हैउन तथाकथित गुरुओं को भी प्रणाम जो बैंक से लेकर मास्टरी करते रहें, पेशे से बेईमानी करके भ्रष्टाचार करके निकल लिए पकड़े जाने के पहले और फिर अवैध कब्जे करके विशुद्ध मूर्ख बना रहे है अड्डों मेंउन गुरुओं को भी प्रणाम जो जमीन जायदाद और सुंदरियों के मायाजाल में धंसे हुए है और अरबों रुपया बना रखा और अब जेल में रहकर कड़वे घूंट पी रहें हैं...
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गुरू मेरी पूजा गुरू भगवंता
आज गुरू पूर्णिमा है, अतीत में जितने भी गुरू हुए, जो वर्तमान में हैं और जो भविष्य में होंगे, उन सभी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन. शिशु का जब जन्म होता है, माता उसकी पहली गुरू होती है. उसके बाद पिता उसे आचार्य के पास ले जाता है, शिक्षा प्राप्त करने तक सभी शिक्षक गण उसके गुरु होते हैं. जीविका अर्जन करने के लिए यह शिक्षा आवश्यक है लेकिन जगत में किस प्रकार दुखों से मुक्त हुआ जा सकता है...
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अंतर्मन के द्वार खोल दें
इस वक्त जो कुछ भी हमारे पास है, वह जरूरत से ज्यादा है, यदि यह ख्याल मन में आता है तो भीतर संतोष जगता है. क्या यह सही नहीं है कि कभी जिन बातों की हमने कामना की थी, उनमें से ज्यादातर पूरी हो गयी हैं. मन में कृतज्ञता की भावना लाते ही जैसे कुछ पिघलने लगता है और सारा भारीपन यदि कोई रहा हो तो गल जाता है...
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कैसे हैं सरकार ?
आपको नमस्कार !
टूट गया तटबंध
डूब गए हैं गाँव
बह गए हैं घर
मेघ ही अब छाँव
भूख से मर रहे बच्चे
हम गा रहे मल्हार
कैसे हैं सरकार
आपको नमस्कार....
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620.
वर्षा
(10 ताँका)
1.
तपती धरा
तन भी तप उठा
बदरा छाए
घूम-घूम गरजे
मन का भौंरा नाचे।
2....
लम्हों का सफ़र पर डॉ. जेन्नी शबनम
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सुप्रभात सर 🙏)
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा प्रस्तुति |बहुत ही सुन्दर रचनाएँ |मुझे स्थान देने के लिए सहृदय आभार आप का
प्रणाम
सादर
सुन्दर प्रस्तुति बढ़िया संकलन।
जवाब देंहटाएंवाह!!शानदार संकलन !
जवाब देंहटाएंविविधरंगी सूत्रों की खबर देता चर्चामंच
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट संकलन
जवाब देंहटाएंवाह बहुत अच्छा चर्चाअंक।शानदार
जवाब देंहटाएंसुंदर संयोजन
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मिलित करने का आभार
सादर
प्रणाम गुरुदेव, मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए लिए हरदायपूर्वक आपका आभारी हु
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन अच्छे लिंको का चयन ।
जवाब देंहटाएं