मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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पाखी के यू ट्यूब चैनल पर
सुनें कुछ कवितायें
प्रसिद्ध पत्रिका पाखी के you tube चैनल पर
सुने मेरी कुछ कवितायें...
Neeraj Neer
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आपकी उल्फ़त में बेहतर हो गए
ख़्वाहिश ऐसी थी नहीं पर हो गए
शम्अ क्या देखी हम अख़्गर हो गए है
तसल्ली सब न तो कुछ ही सही
देवता राहों के पत्थर हो गए ...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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संस्कृत के प्रति
इस अनुराग के मायने क्या हैं?
हाल में नव-निर्वाचित लोकसभा सदस्यों के शपथ-समारोह में देखने को मिला कि हिंदी और संस्कृत में शपथ लेने वालों की संख्या बढ़ रही है और अंग्रेज़ी में शपथ लेने वालों की संख्या कम हो रही है। सन 2014 में जहाँ 114 सदस्यों ने अंग्रेज़ी में शपथ ली, वहीं इसबार 54 ने। सन 2014 में संस्कृत में शपथ लेने वालों की संख्या 39 थी, जो इसबार बढ़कर 44 हो गई। हिंदी और अंग्रेज़ी के बाद तीसरे स्थान पर सबसे ज्यादा शपथ संस्कृत में ली गईं।
इन बातों से क्या हम कोई निष्कर्ष निकाल सकते हैं? क्या संस्कृत भाषा की हमारे जीवन में कोई भूमिका है...
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जून की आख़िरी शाम
धूप उतर रही थी भीतर
बाहर उमस भरी छाँव थी
सब अपनी तरह से
अपनी-अपनी दिशा में
गतिमान थे
वक़्त कहीं ठहर गया था
वैसे ही जैसे
पेड़ों की डालियाँ अनासक्त स्थिर सी थीं...
अनुशील पर अनुपमा पाठक
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सुप्रभात आदरणीय 🙏)
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति |
प्रणाम
सादर
बहुत ही सुन्दर सूत्रों का चयन आज की चर्चा में ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंचिट्ठाकारी दिवस की शुभकामनाएं। सुन्दर चर्चा।
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