आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है

सदगुरुओं को रंज

बेटी सुख का सार

ये इश्क़ भी है कैसी उलझन

सत्यमेव जयते

नए दौर की ग़ज़लों का संग्रह

मर गई गैया

ये विदाई

पक्षी विहार

यूँ तो हर मंदिर में बस पत्थर मिलेगा

वो हवा के साथ है

एक्वारजिया

लहसुन खाने के लाभ

सदगुरुओं को रंज

बेटी सुख का सार

ये इश्क़ भी है कैसी उलझन

सत्यमेव जयते

नए दौर की ग़ज़लों का संग्रह

मर गई गैया

ये विदाई

पक्षी विहार

यूँ तो हर मंदिर में बस पत्थर मिलेगा

वो हवा के साथ है

एक्वारजिया

लहसुन खाने के लाभ
धन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
सारथक चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार दिलबाग सर।
सुप्रभात सर 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सजी है चर्चा प्रस्तुति,मेरी रचना को स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार आप का
सादर
बहुत सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज की चर्चा ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से आभार दिलबाग जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंबढ़िया अंक।
जवाब देंहटाएंपठनीय सूत्रों की खबर देती चर्चा..आभार !
जवाब देंहटाएंदिलबाग जी, साधुवाद
जवाब देंहटाएंशुभ संध्या...
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर..
मेरी प्रस्तुति आपके चर्चामंच पर होने से खुशी हुई|
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