मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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रुख ज़िन्दगी का
जिस तरफ़ देखो उस तरफ़ है
भागम भाग
हर कोई अपने में मस्त है
कैसी हो चली है यह ज़िन्दगी
एक अजब सी प्यास हर तरफ है
जब कुछ लम्हे लगे खाली
तब ज़िन्दगी मेरी तरफ़
रुख करना...
भागम भाग
हर कोई अपने में मस्त है
कैसी हो चली है यह ज़िन्दगी
एक अजब सी प्यास हर तरफ है
जब कुछ लम्हे लगे खाली
तब ज़िन्दगी मेरी तरफ़
रुख करना...
रंजू भाटिया
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एक ग़ज़ल :
सलामत पाँव हैं जिनके--
सलामत पाँव है जिनके वो कन्धों पर टिके हैं
जो चल सकते थे अपने दम, अपाहिज से दिखे है...
आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक
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सुन्दर सोम्वारीय प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सूत्रों का समायोजन आज की चर्चा में ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंवाह!बहुत सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और रोचक सूत्र। आभार...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति 👌
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय
प्रणाम
सादर
बेहद खूबसूरत प्रस्तुति । मेरी रचना को संकलन में स्थान देने के लिए हृदय से सादर आभार ।
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन। सादर आभार।
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