सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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याद - ए - माज़ी
नज़ाकत भरी निगाहों से
पिला दिया दर्द- ए - जाम, जिंदगी के मयख़ाने में,
ज़िक्र हुआ दिल की महफ़िल में,
रुख किया यादों के तयखाने का ...
पिला दिया दर्द- ए - जाम, जिंदगी के मयख़ाने में,
ज़िक्र हुआ दिल की महफ़िल में,
रुख किया यादों के तयखाने का ...
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लिबास हो या चेहरा दोनों उम्र काटतें हैं
दुनिया की तमाम धर्मों के चेहरे
अगर आकाश और धरती की तरह हो जाये
तब भी
हरे लहलहाते जमीन पर
गेहूं की बालियों में
चांद का चेहरा होगा
और उसकी पूजा
इंसानियत बचाने के लिये है...
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सुन्दर सोमवारीय अंक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात सर 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर आज की चर्चा प्रस्तुति👌,मुझे स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार
सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें
सादर
बहुत सुंदर चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिये शुक्रिया और आभार आपका !
जवाब देंहटाएंस्थान देने के लिए सादर आभार सर।
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच, जिसने कइयों को चर्चित करवा दिया !
जवाब देंहटाएंसुंदर अंक संयोजन।
जवाब देंहटाएंBahut sundar. Air pollution , Hoolock gibbon
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