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प्रकृति के सुकुमार कवि पं. सुमित्रानन्दन पन्त ने कहा है
"वियोगी होगा पहला कवि,
हृदय से उपजा होगा गान।
निकलकर नयनों से चुपचाप,
बही होगी कविता अनजान।।"
Anita Laguri "Anu" की भी रचनाओं में भी
ऐसा ही कुछ मिलता है। देखिए उनकी यह प्रस्तुति-
उसकी उदासियाँ.., ...
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दीपावली प्रकाश का उत्सव है,
व्यंग्य विधा के सशक्त हस्ताक्षर आद. सुशील कुमार जोशी
की यह रचना इस सन्द्रभ में समीचीन है।
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बहन अलकनन्दा सिंह ने दीपावली के पावन अवसर पर
महीयशी महादेवी जी की सामयिक रचना को पोस्ट किया है।
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ब्लॉगर पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा एक ऐसे शायर हैं,
जो प्रतिदिन अपने ब्लॉग कविता "जीवन कलश" पर
रचनाएँ पोस्ट करते हैं।
देखिए दीपावली पर यउनकी यह प्रस्तुति-
पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
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स्वप्न मेरे ...पर ग़ज़लों के बेताज बादशाह
आद. दिगंबर नासवा ने अपने निराले अन्दाज में
एक गीत प्रस्तुत किया है-
दिन उगा सूरज की बत्ती जल गई
रात की काली स्याही ढल गई
सो रहे थे बेच कर घोड़े, बड़े
और छोटे थे उनींदे से खड़े
ज़ोर से टन-टन बजी कानों में जब
धड-धड़ाते बूट, बस्ते, चल पड़े
हर सवारी आठ तक निकल गई
रात की काली ...
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डॉ. जेन्नी शबनम को अतुकान्त काव्य खासी महारत है
और हाइकु तो यह चुटकियों में रच देतीं हैं।
आज देखिए इनके सात हाइकु-
1.
सुख समृद्धि
हर घर पहुँचे
दीये कहते।
2.
मन से देता
सकारात्मक ऊर्जा
माटी का दीया..
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कविता-एक कोशिश पर नीलांश जी ने
एक दीपक की अभिव्यक्ति को
अपने अनोखे अन्दाज में प्रस्तुत किया है-
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मेरी जुबानी पर~Sudha Singh ने
उल्लास के पावन पर्व को पोस्ट किया है-
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चर्चा मंच के चर्चाकार आदर. रवीन्द्र सिंह यादव ने
10 महीने पूर्व निम्न अभिव्यक्ति को अपने ब्लॉग पर
अपनी वेदना के रूप में निम्नवत् प्रस्तुत किया था।
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चाहा था एक दिन ...
गर्दिश की बारातें आ गयीं...
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आदरणीय गोपेश मोहन जैसवाल व्यंग्य के
ऐसे हस्ताक्षर हैं जो अपनी कलम से
कुछ ऐसा लिख देते हैं जो पाठकों को
सोचने को बाध्य कर देता है।
मजबूरियां - 2
कुछ तो मजबूरियां रही होंगी,
यूँ कोई बेवफ़ा, नहीं होता.
बशीर बद्र
तिरछी नज़र पर
गोपेश मोहन जैसवाल
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अक्सर छन्दबद्ध कविता करने वाले
आदरणीय अरुण कुमार निगम ने
विष्णु पद छन्द में एक सन्देश देते हुए लिखा है-
अब की बार दीवाली में हम, कुछ नूतन कर लें
किसी दीन के घर में जाकर, उसका दुख हर लें ...
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प्रो. अरुण देव का ब्लॉग समालोचन
सदैव स्तरीय सामग्री को पाठकों को प्रदान करता है।
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श्रीमती Asha Lata Saxena नियमितरूप से
अपने ब्लॉग पर रचनाएँ पोस्ट करती हैं।
देखिए दीपमालिका पर उनकी शुभकामनाएँ-
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श्री देवेन्द्र पाण्डेय जी की रचना का लिंक मैं हमेशा
चर्चा मंच पर लगाता हूँ,
लेकिन वह कभी
चर्चा मंच पर झाँकने भी नहीं आते हैं
पत्नी की रहनुमाई में,
दिवाली की सफाई में,
दृश्य एक दिखलाता हूँ
क्या पाया, बतलाता हूँ...
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राधे गोपाल उर्फ श्रीमती राधा तिवारी
एक आशु कवयित्री हैं।
देखिए उनके कुछ दोहे-
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हिन्दी के सशक्त आयाम विष्णु वैरागी को
लेखन विरासत में मिला है।
देखिए इनकी यह पोस्ट-
‘दीपावली का पर्व उपलब्ध कराने के लिए किसे धन्यवाद दिया जाना चाहिए?’ सबको प्रभु राम ही याद आएँगे। कुछ लोग रावण को श्रेय दे सकते हैं - उसने सीता हरण नहीं किया होता तो राम किसका वध करते? कैसे सीता सहित अयोध्या लौट पाते? वनवास से राम की सीता सहित वापसी पर ही तो अयोध्यावासियों ने दीपावली मनाई थी! लेकिन मेरे मन में बार-बार विभीषण का नाम उभर रहा है...
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सुबीर संवाद सेवा पर आदरणीय पंकज सुबीर
हमेशा मुशायरा प्रस्तुत करते हैं।
इस बार भी ग़ज़लकारों के साथ
उनकी यह प्रस्तुति विचारणीय है।
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आद. कालीपद "प्रसाद" जी
गीत-गज़ल के माध्यम से निरन्तर अपनी बात रखते हैं-
दीपों का उत्सव,
घर घर झिलमिल
अब दीप जले इस दिवाली में,
एक दीप झोपडी में जले...
कालीपद "प्रसाद"
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आज के लिए बस इतना ही-
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