जी ठीक कहा गुरुजी, हम पुरुष तो थोड़ा सा त्याग कर कितना अभिमान करते हैं, वहीं नारी अपने घर- परिवार केलिए सहज साधारण भाव से कितना और क्या-क्या त्याग नहीं करती है। नारी एक शक्ति है जो पुरुष की रिक्तता और निरुद्देश्यता को समाप्त करती है। परंतु नारी के पास आँसू जैसे घातक हथियार भी हैं । जिसके समक्ष झूठ और सच की पहचान पुरुष तो क्या स्वयं नारी जाति भी नहीं कर पाती है । नारी को विधाता ने कुंठा भी दे रखी है। अब इसे उसकी दुर्बलता कहें अथवा उसकी ताकत, फिर भी नारी है तो जीवन है। अन्यथा तो शिव भी शव है। सुंदर प्रस्तुतिकरण और रचनाएँ भी , आपसभी को प्रणाम।
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कैसे भी हालात हों, नारी रहे उदार।।
जवाब देंहटाएंजी ठीक कहा गुरुजी, हम पुरुष तो थोड़ा सा त्याग कर कितना अभिमान करते हैं, वहीं नारी अपने घर- परिवार केलिए सहज साधारण भाव से कितना और क्या-क्या त्याग नहीं करती है। नारी एक शक्ति है जो पुरुष की रिक्तता और निरुद्देश्यता को समाप्त करती है।
परंतु नारी के पास आँसू जैसे घातक हथियार भी हैं । जिसके समक्ष झूठ और सच की पहचान पुरुष तो क्या स्वयं नारी जाति भी नहीं कर पाती है । नारी को विधाता ने कुंठा भी दे रखी है। अब इसे उसकी दुर्बलता कहें अथवा उसकी ताकत, फिर भी नारी है तो जीवन है। अन्यथा तो शिव भी शव है।
सुंदर प्रस्तुतिकरण और रचनाएँ भी , आपसभी को प्रणाम।
आभार आदरणीय दिलबाग विर्क जी।
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बहुत सुन्दर और सन्तुलित चर्चा।
शुभ प्रभात...
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर..
आभार आपका मेरी रचना को चर्चा-मंच में देकर रचना का मान बढ़ाने के लिए .. बेहतर करीने में संकलन ...
जवाब देंहटाएंवाह!!लाजवाब चर्चा अंक !
जवाब देंहटाएंआभारदिलबाग विर्क जी।
जवाब देंहटाएंDhanywad dilbag ji
जवाब देंहटाएंआभार दिलबाग सिंह विर्क जी । सुन्दर सराहनीय चर्चा मंच प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ उम्दा मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार !!
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चर्चा प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिये सहृदय आभार आदरणीय.
सादर
उम्दा चर्चा।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा अंक,मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय 🙏🌷
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