मित्रों !
कल नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन है, जो हम प्रतिवर्ष मनाते ही हैं। हाँ यह बात अलग है कि कहीं तो इसे धूमधाम और उल्लास के साथ मनाया जाता है और कहीं सिर्फ खानापूरी की जाती है।
26 जनवरी को हमारा राष्ट्रीय पर्व गणतन्त्र दिवस भी मनाया जाता है। जिसकी परेड में विभिन्न प्रान्तों की आकर्षक झाँकियों के साथ हमारी सेना के करतब सैन्य साजो-सामान के साथ दिखाये जाते हैंं।
हमारे प्रधानमन्त्री जी इस गणतन्त्र पर भी कोई ऐसा ही संकल्प पूरा करने की दिशा में कोई नया कदम जरूर बढ़ायेंगे। जो देश का नक्शा बदलने में निश्चित ही एक ऐतिहासिक कदम होगा।
26 जनवरी को हमारा राष्ट्रीय पर्व गणतन्त्र दिवस भी मनाया जाता है। जिसकी परेड में विभिन्न प्रान्तों की आकर्षक झाँकियों के साथ हमारी सेना के करतब सैन्य साजो-सामान के साथ दिखाये जाते हैंं।
हमारे प्रधानमन्त्री जी इस गणतन्त्र पर भी कोई ऐसा ही संकल्प पूरा करने की दिशा में कोई नया कदम जरूर बढ़ायेंगे। जो देश का नक्शा बदलने में निश्चित ही एक ऐतिहासिक कदम होगा।
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हमारा देश बुद्ध का देश है
आज के चर्चा अंक का सन्देश है -
"हजारों खोखले शब्दों से अच्छा वह एक शब्द है जो शान्ति लाये"
आज के चर्चा अंक का सन्देश है -
"हजारों खोखले शब्दों से अच्छा वह एक शब्द है जो शान्ति लाये"
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चर्चा मंच पर प्रत्येक शनिवार को
विषय विशेष पर आधारित चर्चा
"शब्द-सृजन" के अन्तर्गत
श्रीमती अनीता सैनी द्वारा प्रस्तुत की जायेगी।
आगामी शनिवार का विषय होगा -
"हमारा गणतन्त्र"
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बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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देखिए कुछ अद्यतन लिंक-
-1-
-1-
21 जनवरी मेरे लिए इतिहास से कम नहीं है!
क्योंकि आज के ही दिन
मैंने ब्लॉगिंग की दुनिया में अपना कदम बढ़ाया था।
आज से ठीक 12 वर्ष पूर्व मैंने उच्चारण नाम से अपना ब्लॉग बनाया था और उस पर अपनी पहली रचना पोस्ट की थी-
बुधवार, 21 जनवरी 2009
सुख का सूरज उगे गगन में, दु:ख का बादल छँट जाए।
हर्ष हिलोरें ले जीवन में, मन की कुंठा मिट जाए।
-2-
आस है अभी भी
...घात-प्रतिघात शीर्ष पर,
इंसानीयत दिलों में धड़कती है अभी भी,
नयनों के झरते खारे पानी में ,
दर्द को सुकून मिलता है अभी भी,
उम्मीदों के हसीं चमन में फूलों को
बहार आने की अथक आस है अभी भी ।
© अनीता सैनी
-3-
नेताजी सुभाष चंद्र बोस
स्वतंत्र होकर जीने का अर्थ,
सिखा गए सुभाष,
आज़ादी को कलेजे से लगाना,
सिखा गए सुभाष,
स्वतंत्रता का मर्म वह क्या जाने,
जो स्वतंत्र वातावरण में खेला है,
उस पीढ़ी से पूछो!
जिसने पराधीनता का दर्द झेला है!!
जय हिन्द !!!
@ रवीन्द्र सिंह यादव
सिखा गए सुभाष,
आज़ादी को कलेजे से लगाना,
सिखा गए सुभाष,
स्वतंत्रता का मर्म वह क्या जाने,
जो स्वतंत्र वातावरण में खेला है,
उस पीढ़ी से पूछो!
जिसने पराधीनता का दर्द झेला है!!
जय हिन्द !!!
-4-
देश मेरा जान मेरी
-5-
देश मेरा जान मेरी
हुए थे सूरमा कई , जो खेले थे जान पर
उनके ही प्रताप से , ये देश स्वतंत्र है ।
न हो तानाशाह कोई , जनता का राज रहे
दे संविधान बनाया , इसे गणतन्त्र है ...
साहित्य सुरभि पर दिलबाग सिंह विर्क -5-
ख़्वाहिश
(जीवन की पाठशाला )
-6-
-7-
यह भी है एक बवाल ...... !
वास्तविकता क्या है
इस बवाल की
ये सारा जीवन-तंत्र ही बवाल है
खो गयी शान्ति मन की
दौड़ रहा हर इंसान यहां
युवा दौड़ लगाए नौकरी की
ग़रीब जुगाड़ करे ज़रुरतों की
वास्तव में ये सबसे बड़ा है सवाल
सही मायने में
यह भी है एक बवाल ...... !
#अनीता लागुरी ( अनु )
-7-लेख:
लघुकथा लेखन के लिए –
माइक्रोस्कोपिक दृष्टि की आवश्यकता |
योगराज प्रभाकर
लघुकथा शब्द का निर्माण लघु और कथा से मिलकर हुआ है। अर्थात लघुकथा गद्य की एक ऐसी विधा है जो आकार में लघु है और उसमे कथा तत्व विद्यमान है। अर्थात लघुता ही इसकी मुख्य पहचान है। जिस प्रकार उपन्यास खुली आंखों से देखी गयी घटनाओं का, परिस्थितियों का संग्रह होता है, उसी प्रकार कहानी दूरबीनी दृष्टि से देखी गयी किसी घटना या कई घटनाओं का वर्णन होती है। इसके विपरीत लघुकथा के लिए माइक्रोस्कोपिक दृष्टि की आवश्यकता पड़ती है...
-8-
ताटंक छंद
◆दिल्ली पुनर्वास की सोचे◆
■संजय कौशिक 'विज्ञात'■
ताटंक छन्द अर्द्धमात्रिक छन्द है। ताटंक छंद में भी दोहा की तरह चार चरण होते हैं, इसके विषम पद में 16 मात्राएं होती हैं और सम पद में 14 मात्राएँ होती हैं। सम चरणों का तुकांत समुकान्त रखा जाता है। इसमें विषम पद के अन्त को लेकर कोई विशेष आग्रह नहीं है। परंतु, चरणान्त तीन गुरुओं से होना अनिवार्य है। यानि सम पद का अंत 3 गुरु से होना आवश्यक है...
-9-
-10-
नए अध्यक्ष ...
त्वरित टिप्पणी
जब प्रधानमंत्रीजी छात्रों को परीक्षा के टिप्स बांट रहे थे उस समय नड्डा जी अध्यक्ष के छात्र रूप में चुन लिए गए। परीक्षा तो अब इनकी कक्षा में कई होने लेकिन अगला पेपर बहुत जल्दी दिल्ली में होने वाला है। इनकी तैयारी का जायजा उसके बाद ही लिया जाएगा। कल आज और कल के कई मार्गदर्शक अलग अलग भाव भंगिमा में लिए नए अध्यक्ष को शुभकामनाएं देने कर्तव्यानुसार उपस्थित हो गए। नड्डा जी वैसे तो हिमाचली है लेकिन बिहारीपन ज्यादा है। वैसे नड्डा जी ने अपना भाषण समाप्त करते हुए सिर्फ "जय भारत" का उद्घोष किया। जबकि उनके पूर्ववर्ती सदा की भांति भारत माता की जय और अंत मे वंदे मातरम के साथ अपना उद्घोष समाप्त किया। नड्डा जी की इस "जय भारत" सांकेतिक उद्घोषणा सामान्य माना जाय या अपने कार्यकाल में वो पार्टी के सिलेबस में कोई बदलाव की तैयारी है।इस पर राजनीतिक विश्लेषक चिंतन की नई लकीर खिंच सकते है...
अंतर्नाद की थाप पर कौशल लाल
-11-
एक आस्था का गीत-
कुम्भ महापर्व यह प्रयाग है
गीत-यह प्रयाग हैयह प्रयाग हैयहाँ धर्म की ध्वजा निकलती है।यमुना आकर यहींबहन गंगा से मिलती है ।
संगम की यह रेतसाधुओं ,सिद्ध,फ़कीरों की,यह प्रयोग की भूमिनहीं यह महज लकीरों की,इसके पीछे राजा चलतारानी चलती है ...
-12-
३९९.
नए घर में
नए घर में जाओ,
तो पुराना सामान ध्यान से देख लेना,
जो बेकार हो,उसे फेंक देना,
जो काम का हो,उसे रख लेना....
हाथ में माचिस की तीली लिए
बच्चा खेल रहा आँगन में
अरे यह किसने दी है
इसके हाथ में
आग लगा देती है
छोटी सी चिगारी
हाथ में माचिस की तीली हो
और उसे जलाएं
छोटी सी लौ
निकलती है उससे
कुछ क्षण भी नहीं लगते
सब ख़ाक होने में..
-14-
पैग़ाम ...
बुनना चाहती हूँ एक स्वेटर लफ्जों कासुन कर ही शायद ठंड अबोला कर जाए
बुनना चाहती हूँ एक स्वेटर अपनी यादों का
यादें आ आकर गुच्छा बन समेट लें वीराने में...
-15-
बुक मार्क
उस रात मैं किताब पढ़ रही थी
एक पन्ने पर आ कर ठहर गयी
आगे बढ़ ही नहीं
पाई बुक मार्क लगाया और सो गई
उस पन्ने का हर शब्द
हमारे इश्क़ को बयां कर रहा था...
प्यार पर Rewa Tibrewal
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प्यार की खुशबू।
वो दरख्तों से आती थी हवा के झोंके,
तुम्हारी खुशबू अब उनमें आती नहीं,
वो यादें जो दिल में बसेरा कर गयी हैं,
मेरे दिल से कभी अब वो जाती नहीं...
तुम्हारी खुशबू अब उनमें आती नहीं,
वो यादें जो दिल में बसेरा कर गयी हैं,
मेरे दिल से कभी अब वो जाती नहीं...
-17-
डॉ. अरविंद मिश्र की चीन यात्रा -1
मित्रों, दक्षिण पश्चिमी चीन के सिचुआन प्रान्त के बेहद खूबसूरत शहर में अभी सम्पन्न तीन दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय विज्ञान कथा सम्मेलन से बस लौटा हूं। आपसे साझा करने को इतनी बाते हैं कि मन व्यग्र हो उठा है कि जितनी जल्दी हो सके अपने यात्रा संस्मरण आप को सौंप दूं। मगर मुझे क्रमबद्ध होना होगा और धैर्य से आपको यह यात्रा कथा सुनानी होगी। बस आप ध्यान से सुनते जाईये, हम सुनाते जायेंगे...
इयत्ता पर इष्ट देव सांकृत्यायन
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ताशकंद यात्रा – ९
आइये चलते हैं बुखारा – २
बुखारा मध्य एशिया में स्थित एक बड़ा इस्लामिक तीर्थ स्थान है ! यह एक बहुत ही पुराना शहर है जिसमें सात सौ तेरहवीं सदी में बनी हुई पुरानी इमारतें भी आज तक अपनी पूरी शानो शौकत के साथ खड़ी हुई हैं ! इस शहर की सबसे अनोखी बात यही है कि आक्रमणकारी इस पर बार-बार हमले करते रहे इसे नष्ट करते रहे और इसका बारम्बार पुनर्निर्माण होता रहा ! सच पूछा जाए तो यह पूरा शहर ही एक विशाल म्यूज़ियम की तरह है ! यह अद्भुत शहर बुखारा उसी सिल्क रूट के किनारे बसा हुआ है जिसके द्वारा चीन और यूरोप के बीच व्यापार हुआ करता था...
Sudhinama पर Sadhana Vaid
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सुभाष बाबू को उनकी जयंती पर नमन निश्चित ही हर कोई करता है, जब मैं कोलकाता में था तो आज का दिन खास हुआ करता था । अब तो अपने उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न प्रांतों में वोट बैंक के लिहाज से सारे कार्य हो रहे हैं। पिछले दिनों नागरिकता कानून संशोधन के समर्थन में हिंदू संगठनों द्वारा पदयात्रा का आयोजन किया गया था । जिसमें एक ही रथ पर अपने बापू की तस्वीर के ठीक बराबर का चित्र बाबासाहेब आंबेडकर का था ,अच्छी बात है !
जवाब देंहटाएंअन्य सारे राजनेता नेपथ्य में चले गए थे, अच्छी बात है ! खैर अपने जनपद में पटेल जयंती की भी खूब धूम रहती है , क्योंकि यह जनपद कुर्मी बिरादरी बाहुल्य है। सांसद ,विधान परिषद सदस्य दो-दो विधायक जिनमें से एक प्रदेश सरकार में मंत्री है, इसी पटेल बिरादरी के हैं । अधिकांश अधिकारी भी कुर्मी हैं। कहने का आशय यह है कि जैसा देश वैसा भेष , तो यहाँ अपने जनपद में सुभाष बाबू की जयंती बस नाम मात्र की ही है।
गणतंत्र दिवस पर हमारे प्रधानमंत्री यदि निम्न- मध्यवर्ग को महंगाई के दलदल से बाहर निकालने के लिए कोई घोषणा करें । जिससे इस वर्ग का आय रुपया 5 से 7 हजार से ऊपर उठ जाए , तो यह भाजपा गठबंधन सरकार की गरीब जनता पर सबसे बड़ा उपकार होगा।
ब्लॉग जगत के 12 वर्ष की आपकी तपस्या को को भी नमन । आपका संकल्प हमसभी का मार्गदर्शन करेगा।
मेरी अनुभूतियों/ रचनाओं को निरंतर इस सुंदर मंच पर स्थान देने के लिए आपका हृदय से आभारी हूँ गुरु जी। सभी को प्रणाम।
आभार आदरणीय।
हटाएंसुंदर लिंक्स. मेरी कविता शामिल की. शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंउच्चारण ब्लॉग की साल गिरह पर बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ. सार्थक भूमिका के साथ बहुत सुंदर प्रस्तुति. बेहतरीन रचनाएँ. सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंनेता जी सुभाष चंद्र बोस का स्मरण करते हुए मेरी रचना को चर्चा में शामिल करने के लिये सादर आभार आदरणीय शास्त्री जी.
नेता जी को शत-शत नमन.
उम्दा चर्चा।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद सर |उच्चारण की वर्ष गाँठ के लिए बधाई एवं शुभ कामनाएं |
सही कहा आपने हजारों खोखले शब्दों से कहीं अच्छा है एक शब्द जो शांति लाए... खोखले शब्दों की प्रपंच ने मनुष्य मन की विश्वास को हिला कर रख दिया है
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार भूमिका के साथ बहुत अच्छे लिंको का चयन आपने किया है मुझे भी सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
सुंदर भूमिका के साथ लाज़बाब प्रस्तुति ,सादर नमन सर
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स उम्दा चर्चा ! मेरे यात्रा संस्मरण को आज की चर्चा में सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा. साधुवाद.
जवाब देंहटाएंक्या बात है ! बेहद दिलचस्प !
जवाब देंहटाएंशास्त्रीजी, हार्दिक आभार. चर्चा का यह अंक भी बहुत अच्छा लगा. अब हिंदी की पत्रिकाएं मुश्किल से मिलती हैं. चर्चा यह कमी पूरी कर देती है. अपनी सम्पूर्णता और विविधता से.
नेता जी सुभाष चंद्र बोस को सादर नमन. आज की प्रस्तुति में बहुत सुंदर लिंकों का चयन किया गया है. सभी को बधाई.
जवाब देंहटाएंशब्द-सृजन का विषय 'हमारा गणतंत्र' बहुत प्रभावी है.
मेरी रचना को आज की प्रस्तुति में स्थान देने के लिये सादर आभार आदरणीय शास्त्री जी सर.
सादर
आदरणीय शास्त्री जी आपका हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएं