स्नेहिल अभिवादन।
रविवारीय प्रस्तुति में आपका हार्दिक स्वागत है।
समर्पण एक महत्त्वपूर्ण भाव है जिसका जीवन में सामाजिक मूल्यों की पूँजी के रूप में ख़ास स्थान है. समर्पण अपने साथ अन्य सकारात्मक भावों को विकसित करने की भावभूमि तैयार करता है जिसका प्रस्फुटन प्रेम के रूप में होता है. आइए पढ़ते हैं मेरी पसंदीदा रचनाएँ -
- अनीता सैनी
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यही राष्ट्रभाषा हो घोषित, अब आवाज उठानी है॥
सजी धजी मनमोहक लगती, सबकी यह पहचानी है।
बच्चा बोले प्यारी बोली, इसकी चूनर धानी है॥
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ग़ज़ल
"हर खुशी तेरे नाम करते हैं"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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ताटंक छंद ◆
राष्ट्र भाषा हिन्दी हो घोषित◆
■संजय कौशिक 'विज्ञात'■
भारत के माथे की बिन्दी, हिन्दी हमें सजानी है।
यही राष्ट्रभाषा हो घोषित, अब आवाज उठानी है॥
सजी धजी मनमोहक लगती, सबकी यह पहचानी है।
बच्चा बोले प्यारी बोली, इसकी चूनर धानी है॥
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मुझे कहना है
कि मेरे कई गहरे दोस्त
उसी मुहल्ले से हैं,
यहाँ तक कि वह झील
जिसमें मैं अक्सर डूब जाता हूँ,
उसी मुहल्ले की है.
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जो रखते हैं यहाँ पे चंद उसूल मुझ जैसे ;
नहीं सभी को होते हैं क़बूल मुझ जैसे ।।
गुलाब , मोगरे , कँवल की दुनिया दीवानी ;
करे है सख़्त नापसंद फूल मुझ जैसे ।।
नहीं सभी को होते हैं क़बूल मुझ जैसे ।।
गुलाब , मोगरे , कँवल की दुनिया दीवानी ;
करे है सख़्त नापसंद फूल मुझ जैसे ।।
चोट
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विरासत
अपने सारे जीवन भर
घर, परिवार, समाज, नियति इन सबसे
असंख्य चोटों, गहरे ज़ख्मों और
अनगिनती छालों की
जो दौलत मैंने विरासत में पाई है
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जीवन
बरसों बीते जीते जीते
जीवन से कब आँख मिलाई,
निकट खड़ा वह मुस्काता था
दुःख की देते रहे दुहाई !
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काजू भुने प्लेट में ह्विस्की गिलास में -
अदम गोंडवी
काजू भुने प्लेट में विस्की गिलास में
उतरा है रामराज विधायक निवास में।
पक्के समाजवादी हैं तस्कर हों या डकैत
इतना असर है खादी के उजले लिबास में
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संकल्प और उसके प्रति समर्पण में ही मानव जीवन की सफलता का रहस्य निहित है।
जवाब देंहटाएंसंबंध लौकिक हो अथवा अलौकिक , इनके प्रति प्रेम का भाव तभी जागृत होगा, जब हम समर्पित मन से इन संबंधों का निर्वहन करें।
समर्पित प्रेम यदि अलौकिक होता है तो उसमें निरंतर उतार-चढ़ाव होते रहता है, प्रतिदान में यदि प्रेम नहीं मिलता है , तो कष्ट की अनुभूति होती है। वहीं अलौकिक प्रेम जो परमात्मा के प्रति भक्त का होता है , उसमें समर्पित प्रेम की झोली सदैव प्यार से भरी रहती है। ऐसे समर्पित प्रेम के माध्यम से हम दुखोत्पादक भावनाओं से बच सकते हैं।
सुंदर भूमिका के साथ सार्थक चर्चा आज भी मंच पटल पर दिख रही है। इस श्रमसाध्य प्रस्तुति के लिए अनीता बहन आपको धन्यवाद और सभी को प्रणाम।
सुन्दर सार्थक सूत्रों का अनुपम संयोजन अनीता जी ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंउपयोगी लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार अनीता सैनी जी।
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स समेटे प्रस्तुति |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद अनीता जी |
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंविविधतापूर्ण विषयों पर आधारित रचनाओं से सजा चर्चा मंच ! आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा. मेरी कविता शामिल की. शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सखी सादर🙏🌷
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा संकलन लिंक्स का |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |