जीवन का जो लक्ष्य साध ले पढ़ कर अच्छा लगा, अन्यथा तो-
मन पछितैहै अवसर बीते। दुर्लभ देह पाइ हरिपद भजु, करम, बचन अरु हीते।। सहसबाहु, दसबदन आदि नप बचे न काल बलीते। हम हम करि धन-धाम सँवारे, अंत चले उठि रीते॥ सुत-बनितादि जानि स्वारथरत न करु नेह सबहीते। अंतहु तोहिं तजेंगे पामर! तू न तजै अबहीते॥
विविध प्रकार की रचनाएँ मंच पर पढ़ने को मिली। आपका आभार इस सुंदर प्रस्तुति के लिए एवं सभी को प्रणाम।
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जीवन का जो लक्ष्य साध ले
जवाब देंहटाएंपढ़ कर अच्छा लगा, अन्यथा तो-
मन पछितैहै अवसर बीते।
दुर्लभ देह पाइ हरिपद भजु, करम, बचन अरु हीते।।
सहसबाहु, दसबदन आदि नप बचे न काल बलीते।
हम हम करि धन-धाम सँवारे, अंत चले उठि रीते॥
सुत-बनितादि जानि स्वारथरत न करु नेह सबहीते।
अंतहु तोहिं तजेंगे पामर! तू न तजै अबहीते॥
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हार्दिक आभार आपका
जवाब देंहटाएंआभार आपका विर्क जी।
जवाब देंहटाएंसुन्दर और पठनीय लिंक।
जवाब देंहटाएंआदरणीय दिलबाग विर्क जी धन्यवाद आपका।
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स से सजा आज का चर्चामंच |मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद सर |
बहुत सुन्दर अंंक।
जवाब देंहटाएंपठनीय रचनाओं से सजा सुंदर चर्चा मंच ! आभार मुझे भी शामिल करने हेतु !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति. बेहतरीन रचनाओं का चयन. सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संयोजन
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मिलित करने का आभार
सादर
व्याकुल पथिक: झोंका हवा का.. https://gandivmzp.blogspot.com/2020/01/blog-post_30.html?spref=tw
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