सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
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शब्द-सृजन-5 के लिये विषय है-
'पिपासा'
इस विषय पर आप अपनी रचनाओं का लिंक चर्चामंच की सोमवार से शुक्रवार (शाम 5बजे तक ) की किसी भी प्रस्तुति के कॉमेंट बॉक्स में प्रकाशित कर सकते हैं.
आइए पढ़िए मेरी पसंद की कुछ रचनाएँ-
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गौरतलब है कि मातृभारती डॉट कॉम ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो 30 हज़ार से अधिक लेखकों की रचनाएं 1.5 लाख से अधिक पाठकों से साझा करने में सफल रहा है। यह एक वेबसाइट और एप के माध्यम से लोगों को जोड़ता है और साहित्य प्रेमियों के एक बड़े समूह को निशुल्क सेवा प्रधान करता है।
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मुठ्ठियाँ इन्क़लाबी उठीं जब कभी
ताज सबके मिले ख़ाक में क्या नहीं ?
जुल्म पर आज ’आनन’ अगर चुप रहा
फिर तेरे हक़ में कोई उठेगा नहीं
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हमने तो चाहा था दिल से, समझा न तुमने कभी हमें
रूठी है किस्मत हमसे आज, जीते तुम औ हम गए हार
…
बहुत हुआ अब आओ सनम, न लो अब इम्तिहान साजन
मर जायेगे बिन तेरे हम कर दो पिया बगिया गुलजार
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इधर कुछ समय से फिल्मों के प्रचार के लिए एक नया तरीका चलन में है जिसके तहत फिल्म के कलाकार टी.वी. पर या विभिन्न जगहों पर जा अपनी आने वाली फिल्म का प्रचार करते हैं। उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होता कि जहां वे जा रहे हैं वह जगह ख्यात है या कुख्यात ! उनके लिए वह जगह सिर्फ चर्चित, ख़बरों में या लोकप्रिय होनी चाहिए, बस!
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देश अपना है लोग अपने है
फिर क्यों गिला है आपको
हम डिजिटल युग में कदम बढ़ा रहे है
हमें भी अपनी अलग पहचान बनानी है
नीत नए मिलने वाले ठेकेदारों को
अपनी पहचान बनानी है
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ढूंढो पहचानो उस मदारी को
देश युवावों के जुवारी को
समझो समझाओ उस विचार को
कु बुद्धि विवेक विकार को
फिर टुकडे भारत का करने का
कौन भरा रहा कुकृत्य धम्भ
बोलो ढपली वाले कौन हो तुम
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मारीना- विमोचन 5 जनवरी 2020
जेएनयू के फूल भरे रास्तों पर भागते हुए वरयाम जी से मारीना के किस्से सुनना, वहां की दीवारों पर लिखी इबारतों को देखना महसूस करना कि किस तरह दीवारें दीवारें नहीं रहतीं, इन्कलाब बन जाती हैं इश्क़ बन जाती हैं...
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●अब लाल मिर्च, हल्दी, सौंफ, खूब सारी कलौंजी, राई की दाल, नमक, काली मिर्च स्वादानुसार मिलाकर अचार मसाला तैयार कर लीजिए, यदि ये सब झंझट नही करना तो बाज़ार से तैयार अचार मसाला ले आईये
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आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले सोमवार.
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले सोमवार.
किसका जाल किसका है भ्रम
जवाब देंहटाएंबोलो ढपली वाले कौन हो तुम...
विविध रचनाओं से भरी आज की प्रस्तुति में यह रचना भी गजब का संदेश दे रही है । सत्य कहा आपने, ऐसे ढपलीवालों को पहचानने की आवश्यकता है, देश की एकता एवं अखंडता की रक्षा के लिए, सद्भावना के लिए ...।
.सभी को प्रणाम।
बहुत सुन्दर और पठनीय लिंक।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।
बहुत सुन्दर चर्चा अंक।
जवाब देंहटाएंआभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अंक।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार रविन्द्र यादव जी, मेरे मन की हूक को चर्चा मंच पहुंचाने का। चर्चा मंच के आज का अंक रोचक और सन्देशनात्मक है। आभार सभी मनिषयों का।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत प्रस्तुति, लोहिड़ी,मकरसंक्रांति,
जवाब देंहटाएंपोंगलऔर उत्तरायण की हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत ही सुन्दर सराहनीय प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई.
सादर
शानदार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंLion story in tamil
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