सादर अभिवादन।
साल का प्रथम सप्ताह बीतने को है,
जीवन का कोई कोना रीतने को है।
ऋतु का अपना अलग मिज़ाज है,
पीछे मुड़ें क्यों आगे बढ़ना रिवाज़ है।
-रवीन्द्र सिंह यादव
आइए अब पढ़ते हैं मेरी पसंद की कुछ रचनाएँ -
साल का प्रथम सप्ताह बीतने को है,
जीवन का कोई कोना रीतने को है।
ऋतु का अपना अलग मिज़ाज है,
पीछे मुड़ें क्यों आगे बढ़ना रिवाज़ है।
-रवीन्द्र सिंह यादव
आइए अब पढ़ते हैं मेरी पसंद की कुछ रचनाएँ -
*****
पर मिली ना मंज़िलें, ना रास्तों का था पता
हम तेरी गलियों में यूँ बेआसरा भटका किये
आँख में तस्वीर तेरी, दिल में तेरी आरज़ू
बस तेरे साए को छूने का भरम मन में लिए !
*****
पुस्तक समीक्षा "विह्वल हृदय धारा"
हायकू
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पुस्तक समीक्षा "विह्वल हृदय धारा"
विभा रानी जी के मेहनतकश व्यक्तित्व और सबको साथ लेकर चलने के साथ-साथ, नवांकुर रचनाकारों को एक आयाम भी स्थापित करती है। हर रचनाकारों की कृतियों की समीक्षा के साथ, चंद विश्लेषणात्मक शब्दावली पुस्तकों के पन्ने पलटने को विवश करती है।
*****हायकू
1
घना कुहरा~
लाठी टेके चलता
बूढ़ा आदमी!
२
अँधेरी रात~
दूर से आती
झींगुरों की आवाज।
*****
मेरी वेदना - मेरी संवेदना (जीवन की पाठशाला)
" ना घर तेरा ना घर मेरा चिड़िया रैन । "
न जाने क्या हो गया था आज सुबह से ही मुझे कि जो भी प्राणी सामने दिखा , मैं उसकी क्रियाकलापों को अपने " जीवन की पाठशाला " का एक अध्याय समझता गया।
*****
आ लौट चलें!
वह भी क्या था दौर!
कच्ची अमिया और अमरूद
पेड़ों पर चढ़ तोड़ें खूब
पकड़े जाने के डर से फिर
भागें कितनी जोर
आ लौट चलें बचपन की ओर!
*****
तुम्हीं ने बनाया , तुम्हीं ने मिटाया
जो कुछ भी हूँ बस मैं इसी दरमियाँ हूँ
मेरा दर्द-ओ-ग़म क्यों सुनेगा ज़माना
अधूरी मुहब्बत की मैं दास्ताँ हूँ
*****
वो चमकती हुई चांदनी रातथी.हमें साथ चलते-चलते काफी देर हो
चुकी थी. सच कहूं तो मेरे पांव
दुखने लगे थे लेकिन मारीना तो जैसे थक ही नहीं रही थी. मैं
बार-बार उसके पैरों को देखती. सधे
हुए पांव. जमीन पर मजबूती से पड़ते हुए. मैंने उसका कंधा छुआ.
उसने बिना मुड़े, बिना देखे धीरे
से कहा, थोड़ी दूर और चलते हैं फिर बैठेंगे. मैं उसके पीछे चलती
रही. कुछ दूरी पर दो पत्थर थे
एक पर मारीना ने आसन जमाया दूसरे पर मैंने. ओह...बैठना
कितना सुखद था. मैंने मन में
सोचा, वो मुस्कुराई, 'थक गई हो?' उसने पूछा।
*****
हो कोई
परिपूर्ण यामिनी, न मैं ही हूँ कोई अनंत गंध,
तुम्हारा आँचल भी है अधूरा, मेरा देह -
पिंजर भी रहा यथावत रिक्त।
*****
ऐसे में वकीलों को भी इनसे सीख लेते हुए जनता के, सामाजिक संस्थाओं के सोशल मीडिया अकांउट से जुड़ना चाहिए और घर घर जाकर जनता को आंदोलन की जरूरत समझाने का प्रयास करना चाहिए और ये सब जल्दी ही करना चाहिए क्योंकि अभी देश व प्रदेश में भाजपा की सरकार है और भाजपा के मोदी व शाह ही ऐसे तिकड़मी हैं कि तमाम व्यवधानों के बावजूद ये वकीलों व जनता के हित में प्रयाग राज के वकीलों द्वारा तैयार ओखली में सिर दे सकते हैं.
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आज उनकी, कल हमारी बारी होगी
बचोगे कैसे जब तलवार दोधारी होगी?
मौत महज समाचार नहीं हो सकती
ढ़ोग मानवता की बहंगी नहीं ढो सकती
लाचारों को नोंचता स्वार्थी कारिंदा है
पर, ज़रा भी, हम नहीं शर्मिंदा हैं!
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महापुरुष की जीवनी ,मन में भरती जोश,
नैतिकता की सीख दें,भारत माँ के लाल ।
कीमत इसकी जानिये ,नैतिकता अनमोल,
अंक विषय का जोड़िये ,करें इसे तत्काल।
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ऐसे मौसम में
*****
ऐसे मौसम में
कौन होश में
रह पाएगा
ऐसे मौसम में
जाम छलक ही
जाएगा ऐसे
मौसम में
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चूहे-सुअर आवारा पशुओं का दाख़िला,
बिन पर्ची सुनसान रात में हो रहा,
राजनेता सेक रहे,
सियासत की अंगीठी पर हाथ,
पूस की ठिठुरती ठंड में,
नब्ज़ में जमता नवजात रुधिर,
ठिठुरन से ठण्डी पड़ती साँसें,
मासूमों की लीलती ज़िंदगियाँ,
राजनेता सेक रहे,
सियासत की अंगीठी पर हाथ,
पूस की ठिठुरती ठंड में,
नब्ज़ में जमता नवजात रुधिर,
ठिठुरन से ठण्डी पड़ती साँसें,
मासूमों की लीलती ज़िंदगियाँ,
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शब्द-सृजन -3 का विषय है -
'जिजीविषा'
इस विषय पर आप अपनी रचनाओं का लिंक आगामी शुक्रवार शाम 5 बजे तक चर्चामंच की आज से शुक्रवार तक की किसी भी प्रस्तुति के कॉमेंट बॉक्स में प्रकाशित कर सकते हैं। सभी चयनित रचनाओं को आगामी शनिवारीय अंक में प्रकाशित किया जायेगा।
*****
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले
रवीन्द्र सिंह यादव
यह "रिवाज " भी बड़ा विचित्र होता है जहाँ हमें अतीत से वह जोड़े रखता है ,वहीं एक जंजीर की तरह हमें आगे भी नहीं बढ़ने देता है।
जवाब देंहटाएंमेरे लेख को पटल पर स्थान देने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद रवीन्द्र भैया।
गागर में सागर भरने वाली भूमिका और सुंदर प्रस्तुति के लिए आपके साथ ही सभी को प्रणाम।
आदरणीय रवीन्द्र जी मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार ।
जवाब देंहटाएंमेरी West UP के अधिवक्ताओं से की गई अपील को यहां स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, चर्चा में समाहित सभी लिनक्स अति उत्तम हैं, बधाई 👍
जवाब देंहटाएंआज की विशेष प्रस्तुति बेहतरीन है. शब्द-सृजन के लिये दिया गया शब्द 'जिजीविषा' बहुत प्रभावशाली है. सुंदर रचनाओं को चर्चा में शामिल किया गया है. सबको बधाई.
जवाब देंहटाएंमेरी रचना चर्चा में शामिल करने के लिये सादर आभार.
बहुत सुन्दर अंक बढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन मुक्तक के साथ सुंदर रचनाओं की प्रस्तुति बहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंसमीक्षा को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार।
धन्यवाद।
उपयोगी लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय यादव जी।
. बहुत ही शानदार प्रस्तुति ...उतार-चढ़ाव भरे माहौल में इन चयनित रचनाओं को पढ़कर कुछ सुकून पा लेती हूं!!
जवाब देंहटाएंबेहद सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर सार्थक सूत्रों का संकलन आज के चर्चामंच में ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंसारगर्भित भूमिका की पंक्तियों के साथ बहुत सुंदर सूत्रों से सजी सराहनीय प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लि बहुत आभार रवींद्र जी।
सादर।
आ0 मेरी रचना को स्थान देने के लिए सादर आभार
जवाब देंहटाएंमहोदया कृपया रचना शीर्षक ब्लॉग में प्रकाशित करने का यत्न कीजिए.
हटाएंवाह ! मज़ा आ गया.
जवाब देंहटाएंचर्चा का शीर्षक कलेजा चीर गया.काश वो समझें, जिनके लिए ये सिर्फ़ एक गिनती है.
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