मित्रों !
चर्चा मंच विगत 11 वर्षों से अनवरत रूप से हिन्दी ब्लॉगों के लिंकों को पाठकों तक पहुँचाता रहा है। उद्देश्य मात्र यही है आपकी अद्यतन प्रविष्टियों को लोग पढ़ें। चर्चा मंच ने एक समय वो भी देखा है जब ब्लॉग लेखन शीर्ष पर था। आज अधिकांश साहित्य साधक त्वरित प्रतिक्रिया चाहते हैं और उन्होंने अपना सृजन मात्र मुखपोथी (फेसबुक) तक ही सीमित कर दिया है। लेकिन आज भी मेरे जैसे कुछ लोग ब्लॉगविधा को जीवित रखे हुए हैं। जो अपना सृजन सबसे पहले ब्लॉग पर लगाते हैं और उसके बाद ही फेसबुक पर जाते हैं।
आज कम्प्यूटर और इण्टरनेट का जमाना है। जो हमारी बात को पूरी दुनिया तक पहुँचाता है। हम कहने को तो अपने को भारतीय कहते हैं लेकिन विश्व में हिन्दी को प्रतिष्ठित करने के लिए हम कितनी निष्ठा से काम कर रहे हैं यह विचारणीय है। हमारा कर्तव्य है कि यदि हम अंग्रेजी और अंग्रेजियत को पछाड़ना चाहते हैं तो हमें अन्तर्जाल के माध्यम से अपनी हिन्दी को दुनिया के कोने-कोने तक पहुँचाना होगा। इसके लिए हम अधिक से अधिक ब्लॉग हिन्दी में बनायें और हिन्दी में ही उन पर अपनी पोस्ट लगायें। इससे हमारी आवाज तो दुनिया तक जायेगी ही साथ ही हमारी भाषा भी दुनियाभर में गूँजेगी। आवश्यक यह नहीं है कि हमारे राष्ट्र के राष्ट्राध्यक्ष दूसरे देशों में जाकर हिन्दी में बोल रहे हैं या नहीं बल्कि आवश्यक यह है कि हम पढ़े-लिखे लोग कितनी निष्ठा के साथ अपनी भाषा को सारे संसार में प्रचारित-प्रसारित कर रहे हैं।
एक निवेदन उन ब्लॉगर भाइयों से भी करना चाहता हूँ जो कि उनका ब्लॉग होते हुए भी वे हिन्दी ब्लॉगिंग के प्रति बिल्कुल उदासीन हो गये हैं।
जागो मित्रों जागो! और अभी जागो! तथा अपने ब्लॉग पर सबसे पहले लिखो। फिर उसे फेसबुक / ट्वीटर आदि पर साझा करो। आपकी अपनी भाषा देवनागरी आपकी बाट जोह रही है।
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चर्चा मंच पर प्रत्येक शनिवार को
विषय विशेष पर आधारित चर्चा "शब्द-सृजन" के अन्तर्गत
श्रीमती अनीता सैनी द्वारा प्रस्तुत की जायेगी।
आगामी शनिवार का विषय होगा
"पिपासा"
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बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ अद्यतन लिंक।
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सबसे पहले देखिए-
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चाँद पूनम का ...नज़रें मिलीं तो पाया
चाँद को ढक रही थीबदली की घनी छायापानी में दिख रही थी लरज़ते चाँद की प्रतिछाया... नील गगन में चंदा आयेगा बार-बार शिकवे-गिले सुनेगा आशिक़ों की ज़ुबानी,चंदा सुनेगा आज फिर मेरी वही कहानी।
#रवीन्द्र सिंह यादव
हिन्दी-आभा*भारत पर #रवीन्द्र सिंह यादव
Ravindra Singh Yadav
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642.
प्यार करते रहे
तुम न समझे फिर भी हम कहते रहे
प्यार था हम प्यार ही करते रहे !
छाँव की बातें कहीं, और चल दिए
जिंदगी की धूप में जलते रहे...
लम्हों का सफ़र पर डॉ. जेन्नी शबनम
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समकालीन आलोचना के दायरे बाहर
वर्ष 2019 में कवि राजेश सकलानी का कविता संग्रह ‘’पानी है तो फूटेगा’’ राहुल फाउंडेशन ने प्रकाशित किया। हिंदी आलोचना की सीमा, दयनीयता और गैर पेशेवराना रवैये के चलते हिंदी का ज्यादातर पाठक संग्रह से अपरिचित ही रहा। जबकि यह कहना अतिश्योक्ति नहीं कि राजेश सकलानी की कविताएं न सिर्फ भविष्य की हिंदी कविता के लिए बल्कि सामाजिक, राजनैतिक संघर्षों की दिशा के लिए भी एक टर्निंग प्वाइंट साबित होने की संभावना से भरी हैं। क्रूर एवं मजबूत होती राज्या व्यंवस्था के विरूद्ध आवाम की जीत कैसे सुनिश्चित हो, राजेश सकलानी के कवि चिंतन की दिशा उसका प्रमाण है...
लिखो यहां वहां पर विजय गौड़
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है सारा विस्तार एक से
सूरज बनकर दमक रहा है
बना चन्द्रिका चमक रहा है,
झर झर झरती जल धार बना
बन सुवास मृदु गमक रहा है !
हरियाली बन बिखराता सुख
भाव रूप में मौन व गरिमा
कहाँ अलग धरती अम्बर से
है सारा विस्तार एक से...
मन पाए विश्राम जहाँ पर Anita
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सिगड़ी में रखी चाय
गली की
आखिरी मोड़ वाली पुलिया पर बैठकर
बहुत इंतजार किया
तुम नहीं आयीं
यहां तक तो ठीक था
पर तुम घर से निकली भी नहीं ...
आखिरी मोड़ वाली पुलिया पर बैठकर
बहुत इंतजार किया
तुम नहीं आयीं
यहां तक तो ठीक था
पर तुम घर से निकली भी नहीं ...
Jyoti khare
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साक्षात्कार :
साहित्य सारी दुनिया से जोड़ने की ताकत रखता है-
डॉ मधुर नज़्मी
साक्षात्कारकर्ता- डॉ वर्षा सिंह
डॉ. वर्षा सिंह - आप इतने बड़े ग़ज़लगो हैं, आप ग़ज़ल के वर्तमान परिदृश्य को कैसा पाते हैं?
डॉ. मधुर नज़्मी- ग़ज़ल का वर्तमान परिदृश्य चिन्ताजनक है क्योंकि सोशल मीडिया पर कथित शायरों की बाढ़ आ जाने से ग़ज़ल की गम्भीरता नष्ट हो रही है। आप लोगों जैसे शायरों की ग़ज़ल के प्रति प्रतिबद्धता यह भरोसा दिलाती है कि
इस विधा को गम्भीरता से लेने वाले लोग अभी शेष हैं और ग़ज़ल की श्रेष्ठता बनाए रखने के लिए कृतसंकल्प हैं...
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प्रथम तो आज हिंदू धर्मावलंबियों का प्रमुख पर्व मकर संक्रांति है , अतःआप सभी को इस पर्व की ढेर सारी शुभकामनाएँ। यह स्नान और दान का पर्व है।
जवाब देंहटाएंहमारे विंध्यक्षेत्र में स्नान कुरुक्षेत्र की सरस्वती नदी में स्नान से सौ गुणा श्रेष्ठ है । ऐसा उल्लेख नारद पुराण के उत्तर भाग में मिलता है । ऋषि वशिष्ठ ने वसु और मोहिनी संवाद के क्रम में कहा कि हरिद्वार, प्रयाग, विन्ध्याचल, काशी, गंगा सागर में मकर संक्रांति स्नान उत्तमोत्तम है।
दूसरी बात ब्लॉग जगत और हिन्दी की, तो गुरुजी आज आपने अपनी भूमिका के माध्यम से मातृभाषा के प्रति जिस समर्पण भाव का प्रदर्शन किया है उससे मेरा हृदय आह्लादित हो उठा है।
मेरी हिन्दी अच्छी नहीं है और व्याकरण के ज्ञान से भी अनभिज्ञ हूँ, परंतु निरंतर इसमें सुधार का प्रयत्न कर रहा हूँ।
हमारे मीरजापुर के संसद स्वर्गीय पंडित उमाकांत मिश्र थे ,जिन्होंने संसद में तब संस्कृत में अपनी बात रखी थी और जिसकी चर्चा आज भी गर्व के साथ हमारे संसदीय क्षेत्र में की जाती है, तो फिर हम हिंदी को लेकर उदासीन क्यों है ?
अंग्रेजी प्रेमी लोगों का यह कथन भी उचित है कि साहित्य को छोड़कर अन्य किसी प्रमुख विषयों पर हमें अध्ययन करना है तो ये पुस्तकें अंग्रेजी भाषा में ही उपलब्ध है।
परंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि हम अपनी मातृभाषा से मुख मोड़ ले।
मंच पर आज सुंदर एवं सार्थक चर्चा के साथ ही रचनाएँ भी विशिष्ट हैं।
.सभी को प्रणाम।
सभी गुणीजनों को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएं.. सर्वप्रथम आप सबों को मकर संक्रांति की ढेर सारी शुभकामनाएं... एवं भूमिका के माध्यम से हिंदी विषय पर आप आपने बहुत ही अच्छे उत्तम विचार प्रस्तुत किए मुझे आपकी बातों ने सोचने पर विवश किया कि क्या मैं भी अपनी मातृभाषा के साथ अन्याय कर रही हूं...
जवाब देंहटाएंमानती हूं की अंग्रेजी आज के समय की मांग है लेकिन पूरी तरह से अंग्रेजी यत को अपनाना भी शायद उत्तम नहीं होगा अपनी भाषा को भी हमेशा सर्वोच्च स्थान देने का प्रयास हमें करना चाहिए
रही बात आज के संकलन की वह हमेशा की तरह ही पठनीय है मेरी रचना को भी सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
चर्चा मंच के सभी पाठकों व लेखकों को मकर संक्रांति की शुभकामनायें, विचारणीय भूमिका के साथ पठनीय रचनाओं का संकलन, आभार मुझे भी शामिल करने के लिए !
जवाब देंहटाएंमकरसंक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं, बहुत ही खूबसूरत चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमकरसंक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ। आदरणीय शास्त्रीजी का हिंदी ब्लॉग दुनिया को ऊर्जावान एवं सजग सचेत रखने में योगदान किसी से छिपा नहीं है। आपका आशीष और मार्गदर्शन हम सब पर बना रहे यही ईश्वर से प्रार्थना है। समय समय पर जब हिंदी ब्लॉगर्स की लेखनी सुस्त पड़ जाती है और वे पथ से भटकने लगते हैं तब ऐसे ही ज्येष्ठ ब्लॉगर्स एवं साहित्यकारों का आह्वान उन्हें प्रेरणा देता है।
जवाब देंहटाएंसुंदर अंक हेतु सादर धन्यवाद।
अच्छा लगा। आप भारत हैं। हमें पता नहीं है आज हम कौन हैं? सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंसार्थक और सटीक भूमिका के साथ, बहुत सुंदर संयोजन
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मिलित करने का आभार
सादर
मकर संक्रांति की शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति विस्तृत एवं सारगर्भित भूमिका के साथ आदरणीय शास्त्री जी द्वारा। उम्दा रचनाओं का चयन। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
मेरी रचना को चर्चामंच की आज की ख़ास प्रस्तुति में शामिल करने के लिये सादर आभार आदरणीय शास्त्री जी।
अब मैं भी लिखा करूँगा जी ब्लॉग पर।
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