आज वसंत पंचमी अथार्त कालजयी साहित्यकार व छायावादी कवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की जयंती है । हमारे मीरजापुर को इस बात का गौरव प्राप्त है कि यह नगरी निराला की कर्म-स्थली रही है । अंग्रेजों के विरुद्ध महामन्त्र फूंकने का काम निराला ने इसी विंध्यक्षेत्र से किया । निराला जी ने इस नगर के गऊघाट निवासी महादेव प्रसाद सेठ द्वारा प्रकाशित 'मतवाला' साप्ताहिक पत्र में बतौर सम्पादक कार्य करते हुए हिंदी साहित्य को समृद्ध तो किया ही, साथ अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की ज्योति भी जलाई । अतः माँ शारदे को नमन करने के साथ ही साहित्य प्रेम यहाँ महाप्राण निराला जी के वैविध्यपूर्ण व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश भी डालते हैं। ब्लॉग जगत का सदस्य होने के पश्चात मेरा भी निरंतर यह प्रयास है कि अपनी मातृभाषा के प्रति सजग रहूँ। माँ सरस्वती के वरदान स्वरूप आप सभी श्रेष्ठ रचनाकार एवं चर्चाकार के रूप में यहाँ दिख रहे हैं। मेरा प्रणाम स्वीकार करें। अहिंसा के पुजारी को हिंसा से मारा नहीं जा सकता । आज हमारे बापू पूरे विश्व के आदर्श हैं, महात्मा हैं। हमें उनपर गर्व है। उनकी पुण्यतिथि हम भला कैसे भूल सकते हैं।
वसंत पंचमी की सभी साथियों को हार्दिक शुभकामनाएं ! बहुत सुन्दर सूत्रों का संकलन आज की चर्चा में ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार दिलबाग जी ! सादर वन्दे !
केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।
आज वसंत पंचमी अथार्त कालजयी साहित्यकार व छायावादी कवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की जयंती है ।
जवाब देंहटाएंहमारे मीरजापुर को इस बात का गौरव प्राप्त है कि यह नगरी निराला की कर्म-स्थली रही है । अंग्रेजों के विरुद्ध महामन्त्र फूंकने का काम निराला ने इसी विंध्यक्षेत्र से किया । निराला जी ने इस नगर के गऊघाट निवासी महादेव प्रसाद सेठ द्वारा प्रकाशित 'मतवाला' साप्ताहिक पत्र में बतौर सम्पादक कार्य करते हुए हिंदी साहित्य को समृद्ध तो किया ही, साथ अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की ज्योति भी जलाई ।
अतः माँ शारदे को नमन करने के साथ ही साहित्य प्रेम यहाँ महाप्राण निराला जी के वैविध्यपूर्ण व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश भी डालते हैं।
ब्लॉग जगत का सदस्य होने के पश्चात मेरा भी निरंतर यह प्रयास है कि अपनी मातृभाषा के प्रति सजग रहूँ।
माँ सरस्वती के वरदान स्वरूप आप सभी श्रेष्ठ रचनाकार एवं चर्चाकार के रूप में यहाँ दिख रहे हैं। मेरा प्रणाम स्वीकार करें।
अहिंसा के पुजारी को हिंसा से मारा नहीं जा सकता । आज हमारे बापू पूरे विश्व के आदर्श हैं, महात्मा हैं। हमें उनपर गर्व है। उनकी पुण्यतिथि हम भला कैसे भूल सकते हैं।
सहमत। अब फिर से युवाओंं को पढ़ाये जा रहे हैं मगर अपनी किताब से।
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबसन्त पंचमी पर सुन्दर चित्रमयी चर्चा।
जवाब देंहटाएं--
धन्यवाद, आदरणीय दिलबाग विर्क जी।
--
सभी पाठकों को बसन्त पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति । मेरे सृजन को चर्चा मंच पर मान देने के लिए सादर आभार दिलबाग सिंह जी ।
जवाब देंहटाएंआज की सुन्दर प्रस्तुति में जगह देने के लिये आभार दिलबाग जी।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा अंक ,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं ,सादर नमस्कार सभी को
जवाब देंहटाएंवसंत पंचमी की सभी साथियों को हार्दिक शुभकामनाएं ! बहुत सुन्दर सूत्रों का संकलन आज की चर्चा में ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार दिलबाग जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चर्चामंच की प्रस्तुति. बेहतरीन रचनाएँ.
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकरो को हार्दिक बधाई.
सादर
बहुत सुंदर प्रस्तुति, सभी रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर मेरी रचना को लेने के लिए हृदय तल से आभार।
बहुत सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय
जवाब देंहटाएं