स्नेहिल अभिवादन।
विशेष रविवारीय प्रस्तुति में हार्दिक स्वागत है।
71 वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
15 अगस्त 1947 को लंबे संघर्ष के बाद हमें ब्रिटिश राज से हमें आज़ादी मिली किंतु 26 जनवरी 1950 से पूर्व हमारा अपना संविधान अस्तित्त्व में नहीं था बल्कि निर्माण की प्रक्रिया में था। 26 नवम्बर 1949 को संविधान सभा द्वारा संविधान को स्वीकार किया गया और इसे 26 जनवरी 1950 से लागू किया गया। विश्व का सर्वाधिक विस्तृत एवं लिखित संविधान भारत का है। हमें अपने संविधान पर गर्व है।
शब्द-सृजन-5 का विषय था 'हमारा गणतंत्र'
इस विषय पर उत्साहवर्धक सृजन हुआ है। प्रस्तुत हैं 'हमारा गणतंत्र' विषयाधारित रचनाएँ-
-अनीता सैनी
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गीत
"अपना है गणतंत्र महान"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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हमारा गणतंत्रः हमारा प्रश्न
सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिस्ताँ हमार….
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क्या सोता भारत जाग रहा है?
धर धरना बैठी गरिमा है,
सिंहासन की सब महिमा है,
ठगी खड़ी कठ पर जनता है,
चूल्हे पर जल रही चिता है,
राजनीति की रोटी सिक गयी,
नेताओं की दाल भी गल गयी,
क्या सोता भारत जाग रहा है?
घने धुंध की घनी कृपा है,
नीति का आशय धुंधला है,धर धरना बैठी गरिमा है,
सिंहासन की सब महिमा है,
ठगी खड़ी कठ पर जनता है,
चूल्हे पर जल रही चिता है,
राजनीति की रोटी सिक गयी,
नेताओं की दाल भी गल गयी,
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ग़ज़लयात्रा GHAZALYATRA
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गणतंत्र दिवस
हम मनाते हर वर्ष
गणतंत्र दिवस उत्साह से
देश भक्ति के गीत गाते
झंडा फहराते बड़ी शान से |
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गणतंत्र दिवस
तीन रंग का प्यारा तिरंगा
देता विजयी संदेश सदा
धरती अपनी अम्बर अपना
अमर हो हमारी भी अखंडता
"सुनो जी! 26 जनवरी को छुट्टी है
न तुम्हारी? कहाँ घूमने चलेंगे"
कुसुम ने चहकते हुए अपने पति से पूछा।
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एकता
अखंडता अरु एकता ,भारत की पहचान।
विभिन्न संस्कृति देश की,इस पर है अभिमान।
जाति,धर्म निज स्वार्थ दे,गद्दारी का घाव ।
देशभक्ति ही धर्म हो ,रखें एकता भाव ।
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काला पानी की काली स्याही
अम्मा की लोरियों वाले
बचपन के हमारे
चन्दा मामा दूर के ...
जो पकाते थे पुए गुड़ के
यूँ तो सदा ही रहे वे पुए
ख्याली पुलाव जैसे ही बने हुए
बिल्कुल ख्याली ताउम्र हमारे लिए
थी कभी .. इसी ख्याली पुए-सी
ख्याली हमारी अपनी प्यारी आज़ादी
पर .. हमने पा ही तो ली थी
फिर भी हमारी अपनी प्यारी आज़ादी
हाँ .. हाँ .. वही आज़ादी ..
हुआ नींव पर खड़ा जिसकी
दो साल .. पांच महीने और
ग्यारह दिनों के बाद
हमारा गणतंत्र .. हाँ .. हाँ ..
हमारा प्यारा गणतंत्र ...
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आज सफ़र यहीं तक
फिर मिलेंगे आगामी अंक में
-अनीता सैनी
फिर मिलेंगे आगामी अंक में
-अनीता सैनी
आज हम सबका प्यारा पर्व गणतंत्र दिवस है। राजपथ से लेकर पुलिस लाइन परेड ग्राउंड और विभिन्न स्कूलों सहित अन्य स्थानों पर तिरंगा फहराया जाएगा । छोटे स्कूली बच्चों का उत्साह तो देखते ही बनता है और जवानों का शौर्य प्रदर्शन देख हमारा मस्तक गर्व से ऊँचा उठ जाता है। इस पर्व की आपसभी को ढेर सारी शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंहाँ, अपने गणतंत्र के सम्मान में हमें कोई न कोई संकल्प अवश्य लेना चाहिए । जैसे, सत्ता की ललक में परिणाम का मूल्यांकन किये बिना ही कोई भी जुमला उछाल युवाओं को गुमराह न किया जाए। जातीय और मजहबी राजनीति को हवा दे , उन्हें प्रदर्शनकारी एवं आंदोलनकारी न बनाया जाए।
जब भी कभी छात्र और युवा इस राजनीति के शिकार होते हैं तो, वे अपना बहुमूल्य समय ही नहीं, राष्ट्र की सम्पत्ति और अपने भविष्य दोनों को नष्ट कर देते हैं।
आज इस राष्ट्रीय पर्व पर मैं तो बस इतना ही कहना चाहता हूँ - "ईश्वर अल्ला तेरे नाम सबको सन्मति दे भगवान" ।
सर्वप्रथम हमारा राष्ट्र फिर जाति ,मजहब , समाज और परिवार कुछ भी..।
मेरे लेख को शब्द आधारित विषयों से सजे मंच पर स्थान देने केलिए अनीता बहन आपका हृदय से आभार और सभी को प्रणाम।
जय हिन्द।
अनीता बहन
हटाएंकभी-कभी मुझे आश्चर्य होता है कि एक शिक्षिका और एक गृहिणी होने के बावजूद भी आप इतना समय इस तरह से काव्य सृजन और यही नहीं चर्चामंच को सजाने -संवारने केलिए भी निकाल लेती हैं । यह अंक तो आपका बेहद लोकप्रिय हो रहा है। मांँ सरस्वती आप पर इसी तरह से कृपा बरसाती रहें।
" चर्चामंच " के आज के विषय - " हमारा गणतंत्र " पर हमने भी अपनी रचना बेशक़ इस मंच के लिंक पर और फ़ेसबुक समूह में भी दिए गए समय-सीमा के भीतर ही साझा किया था , परन्तु शायद आज के अंक की चिट्ठाकार महोदया को आज के तिरंगे के चकाचौंध वाले रंग में मेरी रचना - " काला पानी की काली स्याही " का काला रंग या तो पसंद नहीं आया या फिर अपने कालापन के कारण दिखा ही नहीं।
जवाब देंहटाएंविशेष - गत अंक में भी मेरी रचना विलम्ब से साझा की गई थी। वजह मालूम नहीं।
अन्य दिनों में तो चिट्ठाकार महोदय/महोदया की मर्जी या पसंद-नापसंद चलती होगी, पर विषय-विशेष वाले दिन तो रचना स्वतः जुड़ जानी चाहिए।
खैर ! मैं ठहरा एक कम जानकार ब्लॉग की दुनिया के बारे में।ब्लॉग के आविष्कारक से इतर यहाँ के नियमों की विशेष जानकारी नहीं मुझे। जितनी समझ थी , उतना लिखा (बोला) , अगर कुछ ऊटपटाँग लिख गया होऊं तो पहले से ही करबद्ध क्षमाप्रार्थी हूँ .. आप सबो का आज का दिन क़ुदरत की कृपा से मंगलमय हो ... बाकी तो गर्मागर्म जलेबियों की चाशनी में तरबतर गणतंत्र-दिवस आपकी प्रतीक्षा में है ...https://subodhbanjaarabastikevashinde.blogspot.com/2020/01/blog-post_24.html?m=1
अभी जोड़ लेते हैं आपके लिंक को।
हटाएंशब्द सृजन पर आधारित "गणतन्त्र दिवस" की सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार अनीता सैनी जी।
सभी पाठकों को गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति, गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए व देश को नमन।
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की ढेरों शुभकामनाओं के संग आप सभी आदरणीय जनों को सादर प्रणाम 🙏 जय हिंद।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार आदरणीया मैम।
आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं । मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार अनीता जी।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं 71वें गणतंत्र दिवस पर। सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ । बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस पर एक से बढ़कर एक बेहतरीन रचनाएँ चर्चामंच पर ऐसे सजे हैं जैसे ढेर सारे रंग बिरंगे फूलों से सजा गुलदस्ता हो
जवाब देंहटाएंआप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
गणतंत्र दिवस की बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंसामयिक भूमिका के साथ 'हमारा गणतंत्र' विषय पर प्रशंसनीय रचनाओं का सृजन हुआ है. सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ.
जय हिंद!
गणतंत्र दिवस की बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंजय हिन्द !
गणतंत्र दिवस पर चर्चामंच में बेहतरीन रचनाओं का सुंदर संयोजन है।
जवाब देंहटाएंआप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🇮🇳🙏🇮🇳
प्रिय अनीता सैनी जी 'चर्चा मंच' में मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद एवं आभार 🙏
जवाब देंहटाएं