मित्रों!
बुधवार की चर्चा में
मेरी पसन्द के कुछ लिंक देखिए।
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करवा चौथ सुहागिन महिलाओं का एक प्रमुख त्यौहार है। यह भारत के पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान का पर्व है। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह पर्व सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ मनाती हैं। यह व्रत सुबह सूर्योदय से पहले करीब 4 बजे के बाद शुरू होकर रात में चंद्रमा दर्शन के बाद संपूर्ण होता है।
ग्रामीण स्त्रियों से लेकर आधुनिक महिलाओं तक सभी नारियाँ करवाचौथ का व्रत बडी़ श्रद्धा एवं उत्साह के साथ रखती हैं। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए। पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है। करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अर्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है। वर्तमान समय में करवाचौथ व्रतोत्सव ज्यादातर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाती हैं लेकिन अधिकतर स्त्रियां निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं।
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करकचतुर्थी (करवा-चौथ) व्रत करने का विधान है। इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है। स्त्री किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की हो, सबको इस व्रत को करने का अधिकार है। जो सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती हैं वे यह व्रत रखती हैं।
यह व्रत 12 वर्ष तक अथवा 16 वर्ष तक लगातार हर वर्ष किया जाता है। अवधि पूरी होने के पश्चात इस व्रत का उद्यापन (उपसंहार) किया जाता है। जो सुहागिन स्त्रियाँ आजीवन रखना चाहें वे जीवनभर इस व्रत को कर सकती हैं। इस व्रत के समान सौभाग्यदायक व्रत अन्य कोई दूसरा नहीं है। अतः सुहागिन स्त्रियाँ अपने सुहाग की रक्षार्थ इस व्रत का सतत पालन करें।
भारत देश में वैसे तो चौथ माता जी के कही मंदिर स्थित है, लेकिन सबसे प्राचीन एवं सबसे अधिक ख्याति प्राप्त मंदिर राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा गाँव में स्थित है। चौथ माता के नाम पर इस गाँव का नाम बरवाड़ा से "चौथ का बरवाड़ा" पड़ गया। चौथ माता मंदिर की स्थापना महाराजा भीमसिंह चौहान ने की थी।
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कर रही हूँ प्रभू से यही प्रार्थना।
ज़िन्दगी भर सलामत रहो साजना।।
चन्द्रमा की कला की तरह तुम बढ़ो,
उन्नति की सदा सीढ़ियाँ तुम चढ़ो,
आपकी सहचरी की यही कामना।
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चाँद ! तुम सो रहे हो ?
ठिठुर रही ज़िंदगी
सड़क किनारे मानव,
मन बेहाल रहा !
ओस की बूँदें,
झुँझला रही ज़िंदगी
हवा का झौंका,
हठ के ताव लगा रहा !
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- बड़ा महँगा पड़ा मुझे दोस्त बनाना
- किसे अपना कहें हम, किसे बेगानामुहब्बत का दुश्मन है सारा ज़माना।उसने सीखे नहीं इस दुनिया के हुनरचाँद को न आया अपना दाग़ छुपाना।
दिलबागसिंह विर्क, Sahitya Surbhi
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- नदी तुम माँ क्यों हो .....
सभ्यता की वाहक क्यों हो...?
आज ज़ार-ज़ार रोती क्यों हो...?
जीवनदायिनी नदिया का
आज हमने क्या हाल किया है?
समाज का सारा कल्मष
नदियों में उढ़ेल दिया!
Ravindra Singh Yadav, हिन्दी-आभा*भारत
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इस बार पुनर्पाठ के लिए मैंने चुना है एक ऐसी पुस्तक को जो जीवन के विभिन्न पक्षों को गहन दृष्टिकोण के साथ व्याख्यायित करती है। यह पुस्तक है चिंतक एवं विचारक मोतीलाल जैन की पुस्तक ‘समग्र दृष्टिकोण’।
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भरा-भरा घर किन्तु हृदय में
इक खालीपन सदा सताता,
सुना है कि कोई बिरला ही
भरे रिक्तता को मुस्काता !
Anita, मन पाए विश्राम जहाँ
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सागर विशाल सी गहराई तुम में
उसे पार न कर पाऊँ
कैसे उसमें डूबूं बाहर निकल न पाऊँ
गहराई की थाह न पाऊँ |
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राम ने अयोध्यावासियों को संबोधित करते हुए कहा, " मेरे सर्व प्रिय अयोध्यावासी, अभी मुझे प्रतीत हो रहा है कि रावण और उसकी सेना से लड़ते हुए मुझे इतनी शक्ति, इतनी ऊर्जा कहाँ से मिल रही थी। वह सारी ऊर्जा मुझे आपके तप, त्याग, तितिक्षा से मिल रही थी। वहाँ दिख तो रहा था कि एक राम लड़ रहा है। वस्तुतः मैं आप सबों के अंदर बसे राम की ऊर्जा के साथ लड़ रहा था। रावण से राम नहीं, पूरी अयोध्या लड़ रही थी।
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मूल अंग्रेजी कथाकार - इर्विन शॉ
हिंदी अनुवाद - सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी, सत्यार्थमित्र
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रेलगाड़ी की पटरियाँ
चलती चली जाती हैं,
किसी पटरी से मिलती हैं,
तो किसी से बिछड़ती हैं,
कभी जंगलों से गुज़रती हैं,
Onkar, कविताएँ
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बिखरे लम्हों के हर मोती चुन लायेंगेलरजती साँसों के धागे से माला बनायेंगेथकना तो सिर्फ कुछ लम्हों की सौगात है ऐ ज़िंदगी तुझको क्या जीना सिखायें हमयादों के दिये में आशा के दीप जलायेंगे हमकहती #निवी बिखरे ज़िंदगी जितना चाहे प्यार की आस से इसको जी के दिखायेंगे
निवेदिता श्रीवास्तव, झरोख़ा
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आनन्द पाठक, उर्दू बह्र पर एक बातचीत
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Anita, डायरी के पन्नों से
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करवाचौथ की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
आज के लिए बस इतना ही।
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शुभ प्रभात ...
जवाब देंहटाएंविविध आयामों में सजी इस उम्दा प्रस्तुति हेतु बधाई व आभार।
ख़ूबसूरत प्रस्तुति. मेरी कविता शामिल करने हेतु आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार भूमिका के लिए और मेरी रचना को आज स्थान देने के लिए आभार सहित धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंशुभ करवा चौथ |
विविधताओं से परिपूर्ण लिंकों से सजी बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआदरणीय डॉ. रूपचंद्र शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंसादर अभिवादन 🙏
हमेशा की तरह बेहतरीन लिंक्स का संदर संयोजन किया है आपने।
चर्चा मंच एक ऐसा मंच है, जिसमें शामिल होने पर मिलने वाली ख़ुशी को शब्दों में व्यक्त करना सहज नहीं।
मेरी पोस्ट को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार 🙏🍁🙏
शुभकामनाओं सहित
भवदीया,
डॉ. वर्षा सिंह
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंविविध रंगों से सजा चर्चामंच मंत्रमुग्ध करता है - - मेरी रचना को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंBahut hi Sundar laga.. Thanks..
जवाब देंहटाएंदिवाली पर निबंध Diwali Essay in Hindi
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