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गुरुवार, नवंबर 26, 2020

'देवोत्थान प्रबोधिनी एकादशी'(चर्चा अंक- 3897)

शीर्षक पंक्ति : आदरणीय   जी।


सादर अभिवादन। 
गुरुवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।

आज की चर्चा का आंरभ करते हैं।
वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी की रचना
की कुछ पंक्तियों से-

तुलसी का परिणय दिवस, देता है सन्देश।
शुभ कर्मों का बन गया, भारत में परिवेश।।


आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-  
--

 दोहे 

"देवोत्थान प्रबोधिनी एकादशी"

(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

कातिक की एकादशी, होती देवउठान।

दुनिया में सबसे अलग, भारत की पहचान।।
--
तुलसी का परिणय दिवस, देता है सन्देश।
शुभ कर्मों का बन गया, भारत में परिवेश।

--

एक मुद्दत बाद....

वक्त, इतना वक्त, देता है कभी - कभी

इक ग़ज़ल भूली हुई हम गुनगुना बैठे।

लौटकर हम अपनी दुनिया में, बड़े खुश हैं

काँच के टुकड़ों से, गुलदस्ता बना बैठे ।

--

एक गीत-नए वर्ष की नई सुबह

सारे रंग -गंध

फूलों के

बच्चों को बाँटना तितलियों ।

फिर वसंत के

गीत सुनाना

वंशी लेकर सूनी गलियों,

बीता साल

भुला देंगे हम

अब मौसम बहरे मत लाना ।

--

700. दागते सवाल

यही तो कमाल है   
सात समंदर पार किया, साथ समय को मात दी   
फिर भी कहते हो -   
हम साथ नहीं चलते हैं।   

हर स्वप्न को, बड़े जतन से ज़मींदोज़ किया   
टूटने की हद तक, ख़ुद को लुटा दिया   
फिर भी कहते हो -   
हम साथ नहीं देते हैं। 
--
     ओ..बादल .....
  क्या इस बार तेरी लिस्ट में
   नाम है मेरा ?
   मेरे मन के कोने-कोने को भिगोने का 
मैं भी मन के किसी कोने में 
तेरी नमी महसूस करूँ 
   मेरा भी मन करता है 
   कोई मुझको प्यार करे ,
  स्नेह दे ....
--
कल पिंटू था, आज शकीला आठ बरस की 
चुन्नू,शबनम,रूमी,ऐला,भोला,छुटकी 
कूड़े वाला बदल बदल कर लाता बच्चे 
दिल को देते दर्द कबाड़ में डूबे बच्चे
--
जो रात की तारीकियाँ लिख दीं हमारे नाम ,
हर सुबह पे भारी हों ज़रूरी तो नहीं !

बाँधो न कायदों की बंदिशों में तुम हमें ,
हर साँस तुम्हारी हो ज़रूरी तो नहीं !
--

स्थूल से सूक्ष्म तक जाने की यात्रा

अथवा ज्ञात से अज्ञात को 

दृश्य से अदृश्य को पकड़ने की चाह

रूप के पीछे अरूप

ध्वनि के पीछे मौन को जानने का प्रयास !

--

परम सत्य - -

मृत्यु, लघु कथा से अधिक कुछ
नहीं, जीवित रहना ही है
उपन्यास, कई पृष्ठों
में लिखी गई ये
ज़िन्दगी,

--

देवता

लोग सदियों से तुम्हारे नाम पर हैं लड़ रहे,
अक़्ल के दो दाँत उनके फिर उगा दे देवता।

हर जगह मौज़ूद पर सुनते कहाँ हो इसलिए,
लिख रखी है एक अर्ज़ी कुछ पता दे देवता।

--

भाव पाखी

खोल दिया जब मन बंधन से

उड़े भाव पाखी बनके 

बिन झांझर ही झनकी पायल

ठहर ठहर घुँघरू झनके।

-- 

आज का सफ़र यहीं तक 
फिर फिलेंगे 
आगामी अंक में 

@अनीता सैनी 'दीप्ति

15 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति ।सभी लिंक्स बहुत ही उम्दा ।मेरी रचना को स्थान देने हेतु हृदयतल से आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति ।सभी लिंक्स बहुत ही उम्दा ।मेरी रचना को स्थान देने हेतु हृदयतल से आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  3. तुलसी का परिणय दिवस ! कितनी सुंदर कल्पना और विचार, वाकई भारत की संस्कृति अनुपम है। सुंदर सूत्रों का संयोजन, आभार मुझे भी आज की चर्चा में शामिल करने हेतु !

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर भूमिका के साथ सुंदर चर्चा।
    सभी लिंक आकर्षक पठनीय
    सभी रचनाकारों को शानदार लेखन की बधाई मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर प्रस्तुति और बेहतरीन लिंक्स का संकलन। आज तुलसी विवाह है। कभी कभी मेरा बगावती मन पेड़ पौधों की पूजा से विद्रोह करने लगता है जब देखती हूँ कि लोग घर आँगन बालकनी में जगह होते, समय होते हुए भी एक पौधा नहीं पाल पोस सकते और आँवला नवमी के दिन आँवले के पेड़ की खोज में भटकते हैं पूजा करने के लिए। वट पूर्णिमा को वटवृक्ष की डालियाँ घर पर मँगाकर पूजा करते हैं....बहुत सी ऐसी बातें हैं जिनसे मन कुतर्क करने लगता है।
    इतनी मामूली सी मेरी रचना को चर्चामंच पर पाकर खुशी तो होनी ही है। बहुत सारा स्नेह व धन्यवाद अनिताजी।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही सुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज का संकलन ! मेरी ग़ज़ल 'ज़रूरी तो नहीं ' को आज के संकलन का हिस्सा बनानेे के लिए मेरा हृदय से आभार स्वीकार कीजिये ! दिल से शुक्रिया अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !

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  7. बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  8. अनिता जी आपके माध्यम से इस चर्चा लिंक से परिचय हुआ..जिससे सुंदर और सारगर्भित रचनाओं को पढ़ने का अवसर मिला..सुंदर चयन और सुंदर प्रस्तुतीकरण...।मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार..।

    जवाब देंहटाएं
  9. सभी रचनाएँ अपने आप में अनूठी हैं, तुलसी विवाह के शुभ दिन में विविध रंगों की छटा चर्चा मंच को महत्वपूर्ण बनाती है, मुझे स्थान देने हेतु आभार - - नमन सह।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही सुंदर लिंक्स |आपका हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  11. अच्छी चर्चा...
    अच्छे लिंक्स

    🙏🌹🙏

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