सादर अभिवादन!
शुक्रवार की चर्चा प्रस्तुति में आप सबका हार्दिक स्वागत ।
दीपावली महापर्व की सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ ।
सुलग-सुलग री जोत दीप से दीप मिलें
कर-कंकण बज उठे, भूमि पर प्राण फलें।
लक्ष्मी खेतों फली अटल वीराने में
लक्ष्मी बँट-बँट बढ़ती आने-जाने में
लक्ष्मी का आगमन अँधेरी रातों में
लक्ष्मी श्रम के साथ घात-प्रतिघातों में
लक्ष्मी सर्जन हुआ कमल के फूलों में
लक्ष्मी-पूजन सजे नवीन दुकूलों में।।
"माखनलाल चतुर्वेदी"
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मेरी प्रिय कविता की झलक के साथ अब बढ़ते हैं चंद चयनित सूत्र की ओर -
"आ रही दीपावली" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक)
दीप खुशियों के जलाओ, आ रही दीपावली।
रौशनी से जगमगाती, भा रही दीपावली।।
क्या करेगा तम वहाँ, होंगे अगर नन्हें दिये,
चाँद-तारों को करीने से, अगर रौशन किये,
हार जायेगी अमावस, छा गई दीपावली।
रौशनी से जगमगाती, भा रही दीपावली।।
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हमारे त्यौहार और हमारी मानसिकता
गैस चैंबर बन चुकी दिल्ली को क्या कोई सरकार ,कानून या धर्म बताएगा कि " हमें पटाखे जलाने चाहिए या नहीं?" क्या हमारी बुद्धि- विवेक बिलकुल मर चुकी है ? क्या हममे सोचने- समझने की शक्ति ही नहीं बची जो हम समझ सकें कि - क्या सही है और क्या गलत ? क्या अपने जीवन मूल्यों को समझने और उसे बचाने के लिए भी हमें किसी कानून की जरुरत है ?
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दीपावली, स्वच्छता और हम | डॉ. वर्षा सिंह
स्वच्छता के दीप की न रोशनी कभी हो कम
पास अपने आ सके कभी नहीं ज़रा भी तम
मान हो, सम्मान हो, भय न हो किसी का भी
हंसी-ख़ुशी रहें सभी, न हो किसी की आंख नम
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नीले निर्मल व्योम से, चाँद गया किस ओर।
दीपक माला सज रही, जगमग चारों छोर।
दीप मालिका ज्योति से, झिलमिल करता द्वार।
आभा बिखरी सब दिशा, नही हर्ष का पार।
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सतर्कता से दीपावली मनाना है, कोरोना को हराना है | डाॅ शरद सिंह
दीपावली का उत्साह कोरोना के भय पर भारी पड़ रहा है। बाज़ार में दूकानें सज गई हैं और भीड़ उमड़ने लगी है। फिर भी हर व्यक्ति दुविधा की स्थिति से गुज़र रहा है। इतने बड़े त्यौहार को वह फीका भी नहीं जाने देना चाहता है और वहीं उसके भीतर कोरोना संक्रमण कर भय भी समाया हुआ है।
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नवचेतना का हो संचार
घर में और दर से बाहर भी
सद्भावना और सदाचार का
संचार हो आज के दूषित समाज में |
यही सन्देश देता दीपावली का त्यौहार |
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यदि दिपावली पर करेंगे ये काम...तो लक्ष्मी जी खुश होकर जरुर आएंगी!!
बाहर का अंधेरा तो हम बहुत सारे दीपक जलाकर मिटा देते है। लेकिन मन के अंधेरे का क्या? हमारे मन में जो खूब सारा तनाव, डिप्रेशन, किसी के प्रति नाराजगी और गुस्सा है...उसे कौन दूर करेगा? लक्ष्मी जी तो तभी प्रसन्न होगी जब हमारे अंदर का अंधेरा मिटेगा।
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बात ये है कि गोयल सा को खाने का ज्ञान तो है पर पकाने का ज्ञान नहीं है तो सब्जियों की शौपिंग कैसे होगी? और फिर मोल तोल करना भी नहीं आता. किसी मॉल से कुछ लेना हो या फिर ऑनलाइन मंगानी हो तो मोल भाव का मतलब नहीं है इसलिए ऐसी शौपिंग आसान हो जाती है.
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"माला, लड़कियां लाइफ एन्जॉय कब और कैसे करें...शादी के पहले माँ ने सास का नाम ले लेकर डराया। ये करो, वो नहीं करो, नहीं तो सास के उलाहने पड़ेंगे।अब बात बेबात सास, माँ का नाम लेती रहती हैं।इन दो माओं के बीच लड़की का अस्तित्व कहाँ है।"
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क्योंकि वो तो उधार का है आसमां !
उड़ते उड़ते जब थक जाओगे ,
किसी उलझन में उलझ जाओगे ,
मुसीबतों में तब हमदर्द बनकर ,
अपने ही बनेंगे इक आसरा ,
काम न आएगा सितारों का वो जहां,
क्योंकि वो तो उधार का है आसमां ।
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श्रृंखल विहीन पलों में, उत्ताल नदी
ग्रास कर जाती है सब कुछ, घर -
द्वार, बरामदा से ठाकुर -
दालान, आँगन का
बागान, नदी,
सह -
अस्तित्व में रह कर भी बहुत कुछ
चाहती है ख़ुद के लिए एक
स्वाधीन आसमान।
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सभी स्वस्थ रहें ..प्रसन्न
रहें..
फिर मिलेंगे..
"मीना भारद्वाज"
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सुन्दर प्रस्तुतियां । दीपावली के पावन पर्व की बहुत बहुत मंगलकामनाएं । शुभ और मंगलमय दीवाली।
जवाब देंहटाएंप्रिय मीना भारद्वाज जी,
जवाब देंहटाएंमेरे लेख को चर्चा मंच में स्थान देने हेतु हार्दिक धन्यवाद एवं आभार 🙏
दीपोत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🚩🙏
- डॉ शरद सिंह
सभी पठनीय सामग्री की लिंक्स के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच से जुड़े सभी साहितय मनीषियों को दीपोत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🚩🙏
लक्ष्मी सर्जन हुआ कमल के फूलों में
जवाब देंहटाएंलक्ष्मी-पूजन सजे नवीन दुकूलों में।।
माखनलाल चतुर्वेदी जी की इस कविता का स्मरण आज की चर्चा को महत्त्वपूर्ण बना रहा है। प्रिय मीना जी, आपके श्रम को नमन... बेहतरीन लिंक्स का सुंदर संयोजन किया है आपने।
मेरी पोस्ट को शामिल करने हेतु कृपया मेरी ओर से हार्दिक आभार स्वीकार करें।
चर्चा मंच के सभी सदस्यों एवं पाठकों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🌺🙏
- डॉ. वर्षा सिंह
बहुत सुन्दर और जगमगाती चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय मीना भारद्वाज जी।
बहुत बढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, मीना दी।
जवाब देंहटाएंदीपावली की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति मीना जी, मेरी एक पुरानी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद, चर्चा मंच के सभी सदस्यों, रचनाकारों एवं पाठकों को दिपावली की हार्दिक शुभकामनाएं एवं सादर नमस्कार
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