शुक्रवार की चर्चा में आप सभी विद्वजनों का हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन !
आज की प्रस्तुति का शुभारंभ "अंत:करण का आयतन" के कवितांश से ..जिसके रचियता हैं सुप्रसिद्ध साहित्यकार स्व. श्री गजानन माधव
मुक्तिबोध जी-
अंत:करण का आयतन संक्षिप्त है
आत्मीयता के योग्य
मैं सचमुच नहीं!
पर, क्या करूँ,
यह छाँह मेरी सर्वगामी है!
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"करवा पूजन की कथा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
मेरी माता जी रहीं, जब तक मेरे साथ।
रहता था मेरे सदा, सिर पर उनका हाथ।१।
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माता ने सिखला दिये, बहुओं को सब ढंग।
सीख गयीं बहुएँ सभी, त्यौहारों के रंग।२।
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यादों का आसमान
स्मृतियों की दहलीज़
अधखुले दरीचे से झाँकता चाँद
तुम्हारी याद में।
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मत कहो "वर्षा" कहानी दूर दिल्ली की
गांव के भीतर वही, जो गांव के बाहर
आजकल हर ओर ठोकर दे रहे पाथर
क्यारियां सूखी पड़ी हैं नीर का संकट
अब नहीं बिछती हरीली घास की चादर
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मुद्दतों हुए, तुम कहाँ, खुल कर हँसे,
आ किसी कैदखाने में, खुद ही हो फ॔से,
गुम है, जिन्दगानियाँ!
लुटे चैनो-भ्रम के हैं, हालात क्या?
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दामन में कुछ शबनमी अहसास
की बूंदे, ये मोती हर एक रात
में यूँ ही बिखरा नहीं रहता,
उम्मीद से अधिक मिल
जाए तो जीने का
मज़ा नहीं
रहता।
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‘चार्ली हेब्दो’ जनित अशांति और संयम का अस्त्र
चार्ली हेब्दो’ जनित अशांति और संयम का अस्त्र
- डाॅ शरद सिंह
किसी की भावनाओं को भड़काना सबसे आसान होता है यदि पता चल जाए कि वह किसके प्रति सबसे अधिक संवेदनशील है। ‘‘चार्ली हेब्दो’’ ने सटायर के नाम पर हमेशा भावनाओं को ही चोट पहुंचाया है और भड़काया है।
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चाँद तुम कहाँ सो गए थे
यह तक भूले कितने लोगों को था इन्तजार तुम्हारा
भूखे प्यासे तरसी निगाहों से
तुम्हारे दरश को तरस रहे थे |
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दुनिया की हकीकत
रिश्तों की गठरी खुली
उघड़ी तुरपाई की मरम्मत हुई
जिन्दगी आहिस्ता आहिस्ता
कांटों में खिलने लगी।।
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चाय की ट्रे उठा अँदर जाते कहती हूँ
अच्छा सुनो
आज बच्चों को फोन जरूर कर लेना
भूलना नहीं...!
जाने क्यूँ ऐसा लगता है
जैसे व्रत अकेले मेरा नहीं था कल...!!
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समय जो निरंतर गतिमान है
क्या वाकई गति करता है?
या घटनाएं ही ऐसा प्रतीत कराती हैं
दिन और रात
माह और वर्ष
जन्म और मृत्यु
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अनरसा बनाने की परफेक्ट रेसिपी (Anarsa recipe)
कहा जाता है कि अनरसा बनाना बहुत कठिन है क्योंकि कभी इनमें जाली नहीं आती तो कभी ये घी में बिखर जाते है। इसलिए अनरसा बनाना बहुत कम लोगों को आता है। लेकिन यदि कुछ छोटी-छोटी टिप्स का ख्याल रखा जाएं तो अनरसा बनाना बहुत आसान है ।
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करवा चौथ, सोच बदलने की जरुरत है
करवाचौथ, हिंदू विवाहित महिलाओं का एक महत्वपूर्ण त्यौहार। जिसमें पत्नियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए दिन भर कठोर उपवास रखती हैं। यह खासकर उत्तर भारत में खासा लोकप्रिय पर्व है, वर्षों से मनता और मनाया जाता हुआ पति-पत्नी के रिश्तों के प्रेम का प्रतीक !
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आपका दिन मंगलमय हो...
फिर मिलेंगे…
🙏🙏
"मीना भारद्वाज"
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सराहनीय प्रस्तुतीकरण.. उम्दा लिंक्स चयन... बधाई
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति। हार्दिक आभार पटल...
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स से सजा है आज का चर्चा मंच मीना जी |मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद
मीना जी |
उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, मीना दी।
जवाब देंहटाएंप्रिय मीना जी,
जवाब देंहटाएंआपके द्वारा चयनित रचनाओं ने चर्चा मंच को साहित्यिक आभा से तो आलोकित किया ही है....🌟
"अनरसा बनाने की परफेक्ट रेसिपी" पोस्ट को शामिल कर रसोई को व्यंजन की सुगंध से महकाने का सफल प्रयास भी किया है 😊
बहुत अच्छी हैं सारी लिंक्स...
बहुत बधाई आपको 💐🍁💐
मेरी पोस्ट को आज की चर्चा में शामिल करने हेतु हार्दिक आभार 🙏
सस्नेह,
डॉ. वर्षा सिंह
सभी रचनाएँ सार्थक व ख़ूबसूरत हैं, मेरी रचना को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार - - नमन सह।
जवाब देंहटाएंमीना भारद्वाज जी,
जवाब देंहटाएंयह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है कि मेरी पोस्ट आपने चर्चा मंच में शामिल की है। चर्चा मंच से जुड़ना हमेशा सुखद लगता है। आपका हार्दिक आभार एवं धन्यवाद 🙏
- डॉ शरद सिंह
मंच पर प्रस्तुत सभी लिंक्स रोचक एवं महत्वपूर्ण हैं।
जवाब देंहटाएंमीना जी आपके श्रम के लिए आपको साधुवाद 🙏🌷🙏
बेहतर प्रस्तुति आदरणीय मीना दी।मेरे सृजन को स्थान देने हेतु दिल से आभार।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारो को हार्दिक बधाई।
बेहतरीन प्रस्तुति मीना जी सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं सादर नमस्कार
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