स्नेहिल अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
(शीर्षक और भूमिका आ.शास्त्री सर जी की रचना से )
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खुशियों के परिवेश हों, लौटे फिर उल्लास।
नानक के दरबार में, करो आप अरदास।।
इसी अरदास के साथ चलते हैं,
आज की रचनाओं की ओर......
विदा हुई दीपावली, आई शीतल भोर।
कुहरा भी छाने लगा, अब तो चारों ओर।।
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कोरोना के काल में, मेले हुए उदास।
अभी समय विकराल है, घर में करो निवास।।**********
कई बार कुछ लम्हें स्थायी रूप से बैठ जाते हैं
मन के किसी कोने में । सोचती हूँ मन क्या है - हृदय...
जिसकी धड़कन ही जीवन है । बचपन में पढ़ा था कि हर
मनुष्य का हृदय उसकी बंद मुट्ठी जितना होता है । इस छोटे से
अंग में सागर सी गहराई और आसमान सी असीमता है यह
बात बड़े होने के बाद समझ आई ।
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बुलबुलों में बसे हुए हैं कुछ कंजरों के -
गाँव, मिलते हैं हर मोड़ पर धूप -
छांव के पड़ाव, बबूल शाखों
में झूलते हैं कुछ गोधूलि
के रंग, ईशान कोण
में उड़ चले हैं
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इक दीप जला है, घर-घर,
व्यापा फिर भी, इक घुप अंधियारा,
मानव, सपनों का मारा,
कितना बेचारा,
चकाचौंध, राहों से हारा,
शायद ले आए, इक नन्हा दीपक!
उम्मीदों की प्रभात!
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हजारों वारदातों के बीच घूमना अकेले
कुछ कम जोख़िम भरा नहीं,
घर में चार मर्दों के बीच रहना भी जोख़िम ही है,
तालाबों पर नहाना
जंगल में काम करना
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कहानी- सजा मुझे क्यों?
शुभ प्रभात ....
जवाब देंहटाएंआदरणीया कामिनी जी को इस सुन्दर प्रस्तुति हेतु हार्दिक शुभकामनायें। ।।।।
अद्यतन लिंकों के साथ चर्चा की सुन्द्र प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीया कामिनी सिन्हा जी।
अद्यतन लिंकों के साथ चर्चा की सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीया कामिनी सिन्हा जी।
सुन्दर सूत्रों से सजी बेहतरीन प्रस्तुति में मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए हृदयतल से आभार कामिनी जी ।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,कामिनी दी।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंपठनीय रचनाओं के सूत्रों की खबर देती सुंदर चर्चा ! आभार कामिनी जी !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाओं का संकलन और आकर्षक प्रस्तुति मुग्ध करता है,मुझे स्थान देने हेतु हार्दिक आभार - - नमन सह।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर संकलन आदरणीय कामिनी दीदी।
जवाब देंहटाएंसादर
आप सभी का हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर नमस्कार
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