मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ अद्यतन लिंक।
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ अद्यतन लिंक।
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जीवन के दो चक्र हैं, सुख-दुख जिनके नाम।
दोनों ही हालात में, धीरज से लो काम।।
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सरल सुभाव अगर नहीं, धर्म-कर्म सब व्यर्थ।
वक्र स्वभाव मनुष्य का, करता सदा अनर्थ।।
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जीवन प्रहसन के सभी, इस दुनिया में पात्र।
सबका जीवन है यहाँ, चार दिनों का मात्र।।
उच्चारण --आज भी डाकिया आता है
राहत कम आफ़त ज़्यादा लाता है
पोस्ट कार्ड नहीं रजिस्ट्री ज़्यादा लाता है
ख़ुशियों का पिटारा नहीं
थैले में क़ानूनी नोटिस लाता है।
Ravindra Singh Yadav, हिन्दी-आभा*भारत
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अनीता सैनी, गूँगी गुड़िया
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- कब तक डराएगा, तेरे बिना जीने का डर
- मुझे ख़ुदा न समझना, कहा था मैंने मगरतूने पागल समझा मुझे, किसके कहने पर।मुझ पर अब ज़रा-सा यक़ीं नहीं रहा तुझकोक्या इससे बढ़कर होगा क़ियामत का क़हर।
दिलबागसिंह विर्क, Sahitya Surbhi
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एक ही केंद्र बिंदु से जीवन के असंख्य
जल भँवर उभरे, कुछ किनारे तक
पहुंचे कुछ उभरते ही डूब गए,
कुछ कबीर थे, सांसों के
ताने - बाने बुनते
रहे,
जल भँवर उभरे, कुछ किनारे तक
पहुंचे कुछ उभरते ही डूब गए,
कुछ कबीर थे, सांसों के
ताने - बाने बुनते
रहे,
शांतनु सान्याल, अग्निशिखा
--जग जैसा है बस वैसा है
हर नजर बताती कैसा है
कोई इक बाजार समझता
कोई खालिस प्यार समझता
विकट किसी को सागर जैसा
कोई धारे गागर जैसा
Anita, मन पाए विश्राम जहाँ
--विकास नैनवाल 'अंजान', एक बुक जर्नल
--जहाँ थम्स अप का अंगूठा नही, चापलूसी की टिप्पणी नही दिल से निकले प्यारे अल्फाजों की पुकार है दुलार है और समझाने के लिए प्यार से भरी फटकार भी है....सब अपने हैं न... बस इसी लिए, अपने आभासी परिवार के दुःख सुख के साथी...
अशोक सलूजा, यादें...
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डॉ. जेन्नी शबनम, लम्हों का सफ़र
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वैसे यह सच है--
यूँ ही नहीं आती,मिठास रिश्तों में..
गुलकंद के लिये,फूलों को शहीद होना पडता है..!
Sawai Singh Rajpurohit, AAJ KA AGRA
--अंधकार प्रतीक बिन तुकबंदी का ज्ञान;
तुकबंदी का ज्ञान पटक कर हाथ सुनाते,
मिल जाता है मंच, कवि जी खूब कहलाते;
वाहवाही मिलती वहां, रहता नहीं अभाव,
घिसे पिटे से चुटकुले, देते अच्छा भाव ।
सरोज दहिया, चिंतन
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आज के लिए बस इतना ही...!
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एक बेहतरीन चर्चा में मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आदरणीय शास्त्री जी आपका दिल से बहुत-बहुत आभार प्रकट करता हूं
जवाब देंहटाएंरोचक लिंक्स से सुसज्जजित चर्चा। मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन। आभार।
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण सुंदर शब्द संयोजन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स
जवाब देंहटाएंआदरणीय आपका चयन-संयोजन सदैव अति उत्तम रहता है।
नमन,
डॉ. वर्षा सिंह