सादर अभिवादन।
शुक्रवारीय प्रस्तुति में आप सभी सुधीजनों
हार्दिक स्वागत । छठ महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई ।
आज की चर्चा का आरम्भ स्मृति शेष शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की कलम से सृजित "चलना हमारा काम है" कविता के अंश से -
मैं पूर्णता की खोज में
दर-दर भटकता ही रहा
प्रत्येक पग पर कुछ न कुछ
रोड़ा अटकता ही रहा
निराशा क्यों मुझे?
जीवन इसी का नाम है,
चलना हमारा काम है।
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इन्हीं पंक्तियों के साथ बढ़ते हैं
आज के चयनित सूत्रों की ओर -
"छठपूजा त्यौहार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
उगते ढलते सूर्य का, छठपूजा त्यौहार।
कोरोना के काल में, माता हरो विकार।।
अपने-अपने नीड़ से, निकल पड़े नर-नार।
सरिताओं के तीर पर, उमड़ा है संसार।।
अस्तांचल की ओर जब, रवि करता प्रस्थान।
छठ पूजा पर अर्घ्य तब, देता हिन्दुस्थान।।
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पल्लव प्रीत सृजक धरणी-सी
चपल चंद्रिका आंगन चमके
कच्ची नींद स्वप्न नैनन का
मुखड़ा चंदा जैसा दमके
कुसुम कली सी मंजुल मोहक
सुता तात बग़िया महकाए ।।
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आस्था और विश्वास का पर्व -"छठ पूजा"
"छठ पूजा" हिन्दूओं का एक मात्र ऐसा पौराणिक पर्व है जो ऊर्जा के देवता सूर्य और प्रकृति की देवी षष्ठी माता को समर्पित है। मान्यता है कि -षष्ठी माता ब्रह्माजी की मानस पुत्री है,
प्रकृति का छठा अंश होने के कारण उन्हें षष्ठी माता कहा गया जो लोकभाषा में छठी माता के नाम से प्रचलित हुई।
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दीपावली की रात थी ! चारों तरफ पटाखों का शोर था ! कहीं अनार छोड़े जा रहे थे तो कहीं बम चल रहे थे ! कहीं रॉकेट शूँ-शूँ कर आसमान में सितारों से गले मिलने के लिए उड़े जा रहे थे तो कहीं लंबी सड़क पर एक कोने से दूसरे कोने तक बिछी हुई लड़ियों की श्रंखला आने जाने वाले राहगीरों को त्रस्त करती ज़ोर के धमाकों के साथ बजती ही जा रही थी !
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कई खट्टी मीठी यादें
दिल पर दस्तक देतीं
जब अधिकता उनकी होती
कुछ भुला दी जातीं
बहुत सी याद रह जातीं|
स्मृति पटल पर उकेरी जातीं
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'कथा पात्र : मधुमक्खी और कबूतर'
एक रानी मधुमक्खी थी। एक बार वह उड़ती हुई तालाब के ऊपर से जा रही थी। अचानक वह तालाब के पानी में गिर गई। उसके पंख गीले हो गए। अब वह उड़ नही सकती थी। उसकी मृत्यु निश्चित थी। तालाब के पास पेड़ पर एक कबूतर बैठा हुआ था।
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मुँह में ज़बान न होने का मतलब
गूँगा होना नहीं है.
हो सकता है,
किसी के मुँह में ज़बान न हो,
पर वह आँखों से बोलता हो.
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अहिंसा, परहित और शबरी | डॉ. वर्षा सिंह
मेरे स्कूली दिनों में हिन्दी विषय के अंतर्गत कुछ ख़ास विषयों पर हमसे निबन्ध लेखन कराया जाता था। जैसे - साहित्य समाज का दर्पण है, मेरे प्रिय साहित्यकार, मेरे प्रिय कवि, परहित सरिस धरम नहिं भाई, विज्ञान वरदान है या अभिशाप, विद्यार्थी और अनुशासन, जनसंख्या नियंत्रण आदि-आदि।
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अब, कैद हो चुके तुम, धुँधले से नैनों में!
भटकोगे, अन्तर्मन के इस सूने वन में,
कल्पनाओं के दारुण प्रांगण में,
क्या रह पाओगे?
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चिन्ताजनक है प्रेम का हिंसा की ओर बढ़ना
आज के माहौल में लहना सिंह का समर्पित प्रेम मानो कहीं खो गया है। हाल ही में महाराष्ट्र के बीड जिले में दिवाली के दिन की दिल दहला देने वाली घटना ने यह सोचने को मजबूर कर दिया कि क्या प्रेम मर कर हिंसा का रूप ले लेता है या फिर वह वस्तुतः प्रेम होता ही नहीं है?
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प’ से परस स्नेह भरा
आश्वस्त करता हुआ
भीतर की सारी शुभता को
प्रियतम में भरता हुआ
परख ले जो अंतर की अकुलाहट
पनपा दे अनायास ही मुस्कुराहट !
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ज्ञान देना गीता का तो, सरल है
पर खुद में उतारना बड़ा कठिन है।
हमारे आस पास डिग्री रहित ऐसे कई डॉक्टर, इंजीनियर, कथावाचक, समाज सेवक मिल जाएंगे।
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दीवाली पे फिर मुस्काई मेरी बगिया
हंस हंस के कुछ यूँ, बतियायी मेरी बगिया
बोली मुझसे कहाँ गई थीं सखी हमारी
ढूँढ रहे थे मैं और मेरी नन्ही क्यारी
तरस गईं थीं तुम्हें देखने को ये पत्तियाँ
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ढोल और नगाड़े से बजते हैं वे शब्द
जो कहे गए थे कभी उसकी भलमनसाहत में.
आदमी बुरा नहीं होता;
आदमी होता है थोड़ा टेढ़ा,
जो अपेक्षाओं की सीधी लकीरों में समा नहीं पाता।।
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आपका दिन मंगलमय हो…
फिर मिलेंगे..
"मीना भारद्वाज"
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असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका बहना ।
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स चयन सराहनीय प्रस्तुतीकरण हेतु साधुवाद
छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ। ।।।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई।
शुभ प्रभात।
छठ पूजा पर बेहतरीन चर्चा अंक।
जवाब देंहटाएंआदरणीया मीना भारद्वाज जी आपका आभार।
सुन्दर प्रस्तुति. मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंसुंदर और सारगर्भित प्रस्तुतीकरण..।मेरी कविता को "चर्चा मंच "में शामिल करने के लिए आपका हृदयतल से आभार व्यक्त करती हूँ..।आपको और सारे सुधीजनों को छठ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ..।
जवाब देंहटाएंउम्दा संकलन आज के चर्चा मंच का |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |
प्रिय मीना भारद्वाज जी,
जवाब देंहटाएंअत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि आपने मेरे लेख का चयन चर्चा मंच हेतु किया।
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार !!!
शुभकामनाओं सहित-
डाॅ शरद सिंह
बेहतरीन पठन सामग्री संजोने हेतु साधुवाद 🙏🌷🙏
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के सभी सुधीजन को छठ महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई 🙏
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह बहुत अच्छी और पठनीय लिंक्स का सुंदर संयोजन है आज की इस चर्चा में।
मेरी पोस्ट को शामिल करने हेतु आपके प्रति हार्दिक आभार प्रिय मीना जी 🙏
सस्नेह,
डॉ. वर्षा सिंह
छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं ! अति सुंदर रचनाओं के लिकन्स देती चर्चा, बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंछठ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं सभी को ! मेरी बाल कथा को आज की चर्चा में सम्मिलित करने के लिए आपका ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार मीना जी ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सराहनीय प्रस्तुति आदरणीय मीना दी।मेरे सृजन को स्थान देने हेतु दिल से आभार।
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