शीर्षक पंक्ति:आदरणीय ओंकार जी की रचना से.
सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
सुना है
एक चीनी ने
ख़रीदी है कबूतरी
रुपये 14 करोड़ में
कुछ लोग
बिता देते हैं जीवन
बस जोड़-तोड़ में।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
आइए पढ़ते हैं विभिन्न ब्लॉग्स पर प्रकाशित कुछ रचनाएँ-
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बिल्ली मौसी बिल्ली मौसी,
क्यों इतना गुस्सा खाती हो।
कान खड़ेकर बिना वजह ही,
रूप भयानक दिखलाती हो।।
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तितली सी तू सोन परी हैमेरे घर की राजकुमारी।फूलों जैसी कोमल कलिकाबाबा की ओ राज दुलारी।हर करवट पर घुंघरु बजतेपायल झनकार सुनाएगी।।
चाँद चंदनिया झर झर करकेचंदन पलने बिछ जायेगी।।--हम तो ठहरते रहे प्रेम के हर आशियाने में ।प्रेम को सजाने में ।।मकान भी बनाया ।मचान भी सजाया ।।मंजरियों लताओं से ।बासंती हवाओं से ।।झूम झूम कर लिपटते रहे ।उन्हीं में सिमटते रहे ।।साधते सहेजते प्रेम को, जाने कितनी बार बिखरे भी !यहाँ बहुत कुछ है प्रेम से परे भी !!--ढलती रही रात चंद्रिका के हाथोंधरा पर एक काव्य कासृजन होता रहऐसा अलंकृत रस काव्यजिसे पढनेसुनहरी भास्करपर्वतों की उतंग--चलकुछ तो निकाल
हम तो ठहरते रहे प्रेम के हर आशियाने में ।
प्रेम को सजाने में ।।
मकान भी बनाया ।मचान भी सजाया ।।
मंजरियों लताओं से ।बासंती हवाओं से ।।
झूम झूम कर लिपटते रहे ।
उन्हीं में सिमटते रहे ।।
साधते सहेजते प्रेम को, जाने कितनी बार बिखरे भी !
यहाँ बहुत कुछ है प्रेम से परे भी !!
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ढलती रही रात
चंद्रिका के हाथों
धरा पर एक काव्य का
सृजन होता रह
ऐसा अलंकृत रस काव्य
जिसे पढने
सुनहरी भास्कर
पर्वतों की उतंग
--
चल
कुछ तो निकाल
सुन्दर प्रस्तुति. मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंआभार रवीन्द्र जी चर्चा में जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंआज की लिंक्स पढ़ने के लिए है पर्याप्त |मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंरवीन्द्र जी |
आदरणीय रवीन्द्र जी, नमस्कार !
जवाब देंहटाएंसुंदर चयन के साथ साथ सुंदर प्रस्तुति..। मेरी कविता को प्रकाशित करने के लिए आपका आभार...।सादर.. जिज्ञासा सिंह..।
सराहनीय रचनाओं के सूत्रों से सजी चर्चा ।। आभार !
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार नर्तकी को चर्चा स्थान दिन के लिए
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति। मेरे सृजन को स्थान देने हेतु सादर आभार।
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति का प्रभार संभालने की पूरी कोशिश करुँगी।बहुत बहुत शुक्रिया सर ।
सादर
सुन्दर व सारगर्भित रचनाएँ चर्चा मंच को महत्वपूर्ण साहित्यिक केंद्र बनाता है, मुझे स्थान देने हेतु आभार - - नमन सह।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।
शानदार भूमिका शानदार लिंक , सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।