स्नेहिल अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
(शीर्षक आदरणीय शास्त्री सर जी की रचना से )
"पर्यावरण को बचा लो "आदरणीय शास्त्री सर और नूरी जी ने बड़े ही सुंदर
और सरल शब्दों में एक आवाहन किया है...
आज हर एक को इस कार्य में अपनी भागीदारी निभानी ही होगी...
हम पर्यावरण को बचाने में अपनी भूमिका नहीं निभा सकते तो कम से कम
उसे और ज्यादा प्रदूषित करने के निमित तो ना बनें...
आइये एक प्रण लेते है कि -
"इस दिवाली हम पटाखे जलाकर पर्यावरण को और प्रदूषित नहीं करेगें"
चलते हैं, आज की कुछ खास रचनाओं की ओर....
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अकविता "बचा लो पर्यावरण"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
बढ़ता प्रदूषण,
गाँव से पलायन
शहरों का आकर्षण।
जंगली जन्तु
कहाँ जायें?
कंकरीटों के जंगल में
क्या खायें?
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पर्यावरण पर एक बार सोचना,धुआंधार पटाखे अब ना फोड़ना_nuri
मन के अंधेरे को मिटा लेना,
दिवाली में ज्ञान का दीप जला लेना।
करना पूजा, अर्चना लगन से,
हो सके तो निकाल देना ईर्ष्या मन से।
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कुआं अपनी जगह लिए रहता है रहस्य की दुनिया, अंधत्व
है तुम्हारा बिन सोचे
समझे विष बेल
को अपने
देह
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कड़वी जिंदगी का टॉनिक !!!
ये सुधियाँ भी
हुई बावरी देखो चंचल मन। …2 मीठी-सी यादें कड़वी जिंदगी का जो बीत गया वो जाने दो
बातों को बाहर आने दो
इस मन का बोझ उतारो भी
कर लो गुस्सा और ताने दो।
***************भूल जाते हो तुम
भूल जाते हो तुम कि
एक अर्से से तुम्हारा साथ
केवल मैंने दिया है
जब जब तुम उदास होते
मैं ही तुम्हारे पास होती
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887.कोरोना में खौफ़ कहाँ बा?
कोरोना के काल में, बंद पड़ी रेल बस,
आया जो चुनाव देखो, चल लगी रैलियाँ।
सजधज नेता सभी, हांक रहे मंच पर,
कोरोना के नियमों की, उड़ रही धज्जियाँ।
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शेर किसी और का, अंदाज़ अपना
चोरी न करें झूठ न बोलें तो क्या करें
कुर्सी-तलक यही हमें पहुँचाएं सीढ़ियाँ
इक बार मौक़ा जो मिले इतना बटोर लो
अम्बानी-अडानी सी जियें सात पीढ़ियाँ
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ट्रिक-या-ट्रीटिंग
"अरे! वाह्ह.. ! हैलोवीन का बेस्ट घोस्ट बना लिया आपने..!" अपने चेहरे पर सोडियम वेपर लाइट की रौशनी बिखराती हुई उल्लास में उछलती हुई तनया ने ठहाके लगाते हुए आगे कहा,-"पम्पकिन लाना सार्थक हो गया। इसका श्रेय मुझे जाता है।"***********
"उम्र भर की तलाश"
उम्र भर की तलाश
अपना घर..
कितनी बार कहा-
ओ पागल!
यह तेरा अपना ही घर है
हक जताना तो सीख
समझती कहाँ है
समझ का दायरा बढ़ा
तभी से..
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मिसेज दीक्षित भाग-5
यह बेकार की बातें सोचना छोड़ दो, जिसके घर कोई संभालने वाला नहीं होता, वे डे-केयर में छोड़ते हैं ना..? और फिर एक साल बाद यह स्कूल जाएगा तब भी नए लोगों के साथ समय बिताएगा ना..?
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आज का सफर यही तक आप सभी स्वस्थ रहें,सुरक्षित रहें कामिनी सिन्हा --
असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
जवाब देंहटाएंचर्चा का सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीया कामिनी सिन्हा जी।
बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार कामिनी जी।
वाह बहुत ही बेहतरीन लिंक्स चयन एवम प्रस्तुति ... बधाई सहित शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा संकलन । विविधता से परिपूर्ण लिंकों से सजी प्रस्तुति में रचना सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन
जवाब देंहटाएंबधाई 💐🙏💐
विविध साहित्यिक विधाओं से सजा चर्चा मंच हमेशा की तरह मुग्ध करता है - - मुझे शामिल करने हेतु आभार - - नमन सह।
जवाब देंहटाएंआप सभी स्नेहीजनों का तहेदिल से शुक्रिया एवं सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा संकलन...मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार|
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