सादर अभिवादन
रविवार की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
(शीर्षक और भूमिका आदरणीय संदीप जी की रचना से)
जब कुछ टूट रहा होता है,
बिखर रहा होता है,
निस्तेज हो रहा होता है
तब यकीन मानिए कि
कहीं कुछ नया रचा जा रहा होता है।
कुछ तो नया रचा जा रहा है वरना इतनी उथल-पुथल...
और यकीनन कुछ बहुत अच्छा या यूँ कहे सुनहरा रचा जा रहा है
बदलाव हो रहा है, इसके साथ हमे भी बदलना ही होगा
इस बदलाव का दिल से स्वागत करते हुए,चलते हैं....
आज की कुछ खास रचनाओं की ओर....
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गीत "जीवन की अब शाम हो गई" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
सारी उम्र तमाम हो गई।
पथ पर आगे बढ़ते-बढ़ते,
जीवन की अब शाम हो गई।।
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कुछ कोपलें रंग पाती हैं, निखार पाती हैं, इसी दौर में कुछ पत्ते पीले होकर गिर जाते हैं। यह समय है दोस्तों और इसमें शीर्ष भी है और उससे वापसी भी है। हमें धैर्य रखना चाहिए क्योंकि आज हम शीर्ष पर हैं तो कल हमें नीचे की ओर आना है और यदि हम नीचे की ओर है तो हमें शीर्ष की ओर अग्रसर होना है, यह एक प्रक्रिया है
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दूर से आती हुई आवाज़ भला कैसे सुनूंमुझे अनहद पे यकीं आज भी बेइंतहा होता हैयाद आता है स्पर्श माँ का जब भीदिल के कोने में फिर इक ख़ाब सा महकता हैरुक रुक के चलते हुए कदमों की तस्लीम थकनइस भटकन के सिवा ज़िन्दगी में रक्खा भी क्या है ?-------------------------------
बड़े प्रेम से ब्याह के लाया साड़ी औ कपड़े, गहने दिलाया । सज के पड़ोसी के ठाढ़ हो ...रोजय ताना मारे ई बीवी....
बड़े शौक से होटल ले आया मोमोज, पिज्जा, बर्गर मंगाया बैठी गपागप खाय हो ... रोजय ताना मारे ई बीवी...
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ऋषि पुलस्त्य के नाती
मुनि विश्रवा के पुत्र
राक्षसी संतान
नीच मारीच के भांजे
आज तू आमंत्रित है मेरे प्रश्न क्षेत्र में
बन पड़े तो उत्तर देना
जो न दे सके तो अपराधी है, मौन रहना।
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सुबह वैसी ही थी जैसी उसे होना था. महकती हुई, खुशगवार. सुबह की हथेलियों पर रात की बारिशों के बोसे रखे हुए थे. भीगी हुई सुबह ने जब गाल छुए तो लगा शहर ने लाड़ किया हो जैसे. पैर जैसे थिरक रहे थे और मन उससे भी ज्यादा. मैं और माया आंटी देर रात जागते रहे, गप्प लगाते रहे, -------------------------------
कहीं बच्चे हमारी पोल न खोल दे...!!
चाय है आज के जमाने का अमृत पेय, न मिले तो सुबह नहीं होती, आंखों से रूह तक को सुकून देने वाली चाय, गली के नुक्कड़ से लेकर पांच सितारा होटलों तक चाय के निराले स्वाद का जश्न मनता है ..
आओ हम भी चाय के साथ सुकून भरे लम्हों में खो जाएं,
कुछ वक्त खुद के साथ भी बिताए।
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खूबसूरती की मल्लिका रेखा हिंदी सिनेमा की सदाबहार अदाकारा
रहस्यमयी रेखा जैसी खूबसूरती पाना आज भी कई अभिनेत्रियों की हसरत है एक बेहतरीन अदाकारा होने के साथ-साथ एक खूबसूरत इंसान है लेकिन वक्त के साथ उनकी खूबसूरती और भी निखरती जा रही है बॉलीवुड के सदाबाहार और बेहतरीन अदाकारा रेखा ने अपनी करियर की शुरुआत महज 13 साल से की रेखा ने दक्षिण भारतीय फिल्मों से शुरुआत करने के बाद हिंदी सिनेमा में अपनी अदाकारी से मील के कई पत्थर स्थापित किए.
----------------------------------------------जीवन में खुश रहना चाहते हैं तो अकेले रहिए
जीवन में हमेशा ऊपरी शक्तियों पर विश्वास रखिए वह कभी भी आप को अकेला महसूस नहीं होने देगा और जब इस धरती पर हम आए अकेले हैं तो फिर अकेले लेने रहने में हर्ज ही क्या है कोई हमारा दुख कैसे बढ़ सकता है जब हमारा शारीरिक पीड़ा को हमें खुद को सहन करना है तो मानसिक पीड़ा को कोई और कैसे बांट सकता है मानसिक पीड़ा तो किसी को दिखाई भी नहीं देती सोचने वाली बात है
---------------------------आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दे आपका दिन मंगलमय हो कामिनी सिन्हा
उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, कामिनी दी।
जवाब देंहटाएंआपका आभारी हूं कामिनी जी। मेरी रचना को सम्मान देने के लिए और इस चर्चा में शामिल करने के लिए। सभी साथियों की रचनाएं श्रेष्ठ हैं सभी को खूब बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन और सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार कामिनी सिन्हा जी।
रोचक एवं सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय कामिनी जी और हमारी पोस्ट को यहां स्थान देने के लिए तहे दिल से धन्यवाद और आभार
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवैविध्यपूर्ण सुंदर चर्चा ! मेरी कृति को स्थान देने हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद कामिनी जी !!
जवाब देंहटाएंआभार🙂🙏🌹🌹
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