मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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कल अक्षय तृतीया परसुराम जयन्ती
और ईद का पर्व था।
आज देखिए कुछ अद्यतन लिंक
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नाम में क्या रखा है? (what is in Name?)
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दोहे "ईद मुबारक़" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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ईद मुबारक मैंने शाहिदा को ईद की मुबारकबाद दी तो फफक-फफक कर रोते-रोते उसने मुझे शुक्रिया कहा. मैंने घबरा कर उस से परिवार का कुशल-मंगल पूछा तो उसने बताया कि 28 अप्रैल, 2021 को सिराज कोरोना की दूसरी लहर का शिकार हो गया था.
इस बार रमज़ान में सिराज अल्मोड़ा नहीं जा पाया था. वह दिल्ली में ही था. तिरछी नज़र
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Kuchh Rang Pyar ke, Drisht Kavi - Posts of 3 May 2022
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ईद शाइरी कैसे ईद मनाए भला दौरे वबा में। अच्छा है कि ईमा रखें हम सिर्फ ख़ुदा में। मायूसी बेबसी बेकली छायी ईद आयी है कैसी उदासी है ~आकिब जावेद
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मन की वसुधा हुई सुहागिन
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आज मचलती मसी बिखेरे
माणिक मुक्ता नीलम हीरे
नवल दुल्हनिया लक्षणा की
ठुमक रही है धीरे-धीरे
लहरों के आलोडन जैसे
हुई लेखनी भी उन्मागिन।।
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समाधान जो चाहें पाना मानव को यदि अपनी उलझनों का समाधान चाहिए तो भीतर मिलेगा। मन की गहराई में जो शुद्ध चैतन्य है, जो सत् है, आनंद है, उसके सान्निध्य में मिलेगा। बाहर जगत में उलझाव है, प्रतिस्पर्धा है, तनाव है, बाहर सब कुछ निरंतर बदल रहा है। सागर में उठी लहरों की तरह जग निरंतर विनाश को प्राप्त हो रहा है। भीतर एक अवस्था ऐसी है जो सदा एकरस है, उसमें टिके बिना पूर्ण विश्रांति नहीं मिलती। वहाँ जाने में बाधा क्या है ? स्वयं के और दूसरों के बारे में हमारी धारणाएँ, मान्यताएँ और विचार ही सबसे बड़ी बाधा हैं। वह निर्विकल्प अवस्था है, मन कल्पनाओं का घर है। वहाँ प्रेम का साम्राज्य है, मन जगत में दोष देखता है। जब हम जगत को जैसा वह है पूर्ण रूप से वैसा ही स्वीकार करके मन को कुछ समय के लिए ख़ाली कर देते हैं तब उस शांति का अनुभव अपने भीतर करते हैं।
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माँ........
अभिव्यक्ति शुभा
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नैना- संजीव पालीवाल धाराप्रवाह लेखन से सुसज्जित इस उपन्यास का कवर डिज़ायन खासा आकर्षक एवं उत्सुकता जगाने वाला है। एक आध जगह वर्तनी की छोटी मोटी त्रुटि दिखाई दी। 266 पृष्ठीय इस उम्दा उपन्यास के पेपरबैक संस्करण को छापा है वेस्टलैंड पब्लिकेशंस की सहायक कम्पनी Eka ने और इसका मूल्य रखा गया है 250/- रुपए जो कि क्वालिटी एवं कंटैंट के हिसाब से जायज़ है। आने वाले उज्जवल भविष्य के लिए लेखक तथा प्रकाशक को अनेकों अनेक शुभकामनाएं।
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बुक हॉल अप्रैल #1: एक पुरानी खरीद जो अप्रैल में जाकर आई
कहते हैं जब जब जो जो होना होता है तब तब वो वो होता ही है। ऐसा ही कुछ मेरे साथ कुछ दिनों पहले हुआ। हुआ यूँ कि जब नवंबर 2021 में साहित्य विमर्श प्रकाशन ने अपना बाल/किशोर पाठक सेट लॉन्च किया था तो मैंने उसे मँगवा लिया था और वह अब अप्रैल 2022 को मेरे पास पहुँचा है। दुई बात
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गुलज़ार की कहानी - सनसेट बुलवार्ड | Hindi Story 'Sunset Boulevard' by Gulzar
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चुपचाप निराश और सौ कमियाँ
कुछ भी तो अच्छा नहीं था मुझमें
न बैठने का शऊर न चलने फिरने
ओढ़ने पहनने की अकल
और तो और बात करना तक नहीं आता था मुझे
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परीक्षा में नकल करने की प्रथा।
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बुलेवर्ड स्ट्रीट की एक शाम अभी हम स्मार्ट सिटी की बुलेवर्ड स्ट्रीट पर टहलते हुए कुछ ही कदम चले होंगे कि अचानक ऐसा कुछ हुआ कि मुझे लगा स्मार्ट सिटी की बुलेवर्ड स्ट्रीट की किसी ने जैसे हवा निकाल ली हो। हुआ यूँ कि हम दोनों स्मार्ट सिटी की बुलेवर्ड स्ट्रीट की चकाचौंध में खोये और बतियाते हुए उसका इधर-उधर से निरीक्षण करते हुए आगे बढ़े जा रहे थे कि तभी पड़ोसन का किसी चीज पर पांव क्या पड़ा कि वह फिसल गई। वह तो गनीमत रही कि हम साथ-साथ चल रहे थे तो मैंने ऐन वक्त पर उसका हाथ पकड़ लिया, नहीं तो वह निश्चित ही बहुत बुरी तरह गिरती,
KAVITA RAWAT--
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शोख इठलाती हुई परियों का है ख़्वाब ग़ज़ल |
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कुबड़ी बुढ़िया की हवेली - सुरेन्द्र मोहन पाठक फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 96 | प्रकाशक: साहित्य विमर्श | प्रथम प्रकाशन: 1971 पुस्तक लिंक: अमेज़न | साहित्य विमर्श
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आज के लिए बस इतना ही...!
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उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए और मेरी रचना के शीर्षक को चर्चा अंक का शीर्षक बना कर मेरी रचना को इतना मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात! ईद की मिठास लिए सराहनीय रचनाओं के सूत्रों से अति श्रम से सजायी गयी चर्चा में डायरी के पन्ने को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार!
जवाब देंहटाएंरोचक लिंक्स से सुसज्जित चर्चा। मेरी रचना को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंश्रमसाध्य प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत से लिंक्स का सुंदर गुलदस्ता
अत्यधिक व्यस्तता के चलते बहुत दिनों बाद आज सभी ब्लाग घूमकर पढ़कर आप रही हूँ।
सभी पोस्ट बहुत ही आकर्षक।
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार।
बड़ा अच्छा मंच है। आप सभी को शुभकामनाएँ । मैं शेफालिका उवाच से डॉ विभा नायक🙏
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