शीर्षक पंक्ति: आदरणीय रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनाएँ।
अहिंसा,शांति और करुणा का संदेश दुनियाभर में फैलाने वाले महात्मा बुद्ध का जन्म वैशाख मास की पूर्णमासी को हुआ था।
बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनाएँ।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
लीजिए पढ़िए चंद चुनिंदा रचनाएँ-
दोहे "प्यारे गौतम बुद्ध" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
बुद्धम् शरणम् आइए, पकड़ बुद्धि की डोर।
चलो धर्म की राह में, होकर भाव-विभोर।।
दिव्य ज्ञान की खोज में, मानव हो संलग्न।
बौद्ध धर्म कहता यही, रहो ध्यान में मग्न।।
कल एक मई दो हजार बाईस को अवकाश पर चली जायेगी
‘उलूक टाइम्स’ करोड़ों पन्नो के बीच
एक लाख उनसठ हजार आठ सौ अठत्तर पर आज नजर आता है
मन प्रांगण में बसे हैं,
जीवन ज्योति धाम ये।
तिमिर से बाहर निकल,
आशा का दामन थाम ले।
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ये स्नेह स्वर कितना अनुरागी है
कि भीतर पूर नत् श्रद्धा जागी है
भ्रमासक्ति थी कि मन वित्तरागी है
औचक उचक हृदय थिरक उठा
आह्लादित रोम-रोम अहोभागी है
कैसा अछूता छुअन ने है पुचकारा?
आह! ये किसकी टेर है, मुझे किसने है पुकारा?
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एक ग़ज़ल -प्रयागराज में धारा समास लगती है
कभी समंदरों की बाँह में सुकूँ था इसे
अब अपनी गाद में बैठी हताश लगती है
जहाँ पे धार धवल है ये खिलखिलाती भी है
वहाँ पे फूल तितलियाँ पलाश लगती है
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परफॉर्मिंग आर्ट्स की तरह, वाजिद अली शाह ने भी अपनी अदालत में साहित्य और कई कवियों और लेखकों को संरक्षित किया। उनमें से उल्लेखनीय ‘बराक’, ‘अहमद मिर्जा सबीर’, ‘मुफ्ती मुंशी’ और ‘आमिर अहमद अमीर’ थे, जिन्होंने वाजिद अली शाह, इरशाद-हम-सुल्तान और हिदायत-हम-सुल्तान के आदेशों पर किताबें लिखीं।
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रूनझूण-रूनझूण आवाजें, जमीन पे ससर रहे थें
बुजुर्गों जैसे डाँटकर, सूखे पत्तें कुछ समझा रहे थें
बादल आये थें चुपके से, मैं उलझा था वन देखने में
भर झोली लाये थें पानी, सबको नहलाकर चले गये
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बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर,सार्थक रचनाओं से परिपूर्ण उत्कृष्ट अंक ।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका आभार और अभिनंदन ।
बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ।
आपको मेरा नमन और वंदन आदरणीय 👏💐।
बहुत सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरे दोहे को चर्चा का शीर्षक बनाने के लिए
आपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।
आभार रवीन्द्र जी।
जवाब देंहटाएंइस प्रोत्साहन हेतु आपका सादर धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंचयनित रचनाओं से सजा बहुत ही सुंदर अंक,मेरे लेख को भी मंच पर स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार सर,
जवाब देंहटाएंआप सभी को बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनायें
बिल्कुल सही कहा कामिनी जी आपने
हटाएंधन्यवाद रवींद्र जी, मेरी पोस्ट को अपने मंच पर स्थान देने के लिए आपका आभार
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंसभी को बधाई।
सादर
बुद्ध की प्रबुद्धता का लेशमात्र भी अंश ग्रहण कर सकें तो जीवन के दुख सुख के चक्रों से मुक्त हो जाये।
जवाब देंहटाएंअत्यंत सारगर्भित,ज्ञानवर्धक और सुंदर सूत्रों से सज्जित अंक में मेरी रचना शामिल करने के लिए अत्यंत आभार आपका।
स्निग्ध चाँदनी सी प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंबुद्ध
जवाब देंहटाएंसार्थक रचनाओं का सुंदर संकलन।
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।