शीर्षक पंक्ति: आदरणीय डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
आइए पढ़ते हैं चंद चुनिंदा रचनाएँ-
विरहगीत "सपनों में आया कौन" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
क्यों नैन हुए हैं मौन,
कि आँसू फूट गये हैं।
आया इनमें वो कौन?
सितारे टूट गये हैं।।
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निराशा को धकेलो।
अपने खोये आत्मविश्वास
को ललकारो, उठो चलो
लगेगा मैं चल सकता हूँ
आने वाली सूर्य रश्मियाँ
काफी चमक के साथ
स्वागत करेगी
*****
मन, कलम की गुफ़्तगू
जीवन दर्पण में भिन्न भिन्न चेहरे दिखते
अधूरी मुस्कान अधूरी बातें
अधूरे आँसूं अधुरे सपने
अपनेपन की ढहती दीवारें
प्यार,स्नेह के मोती की माला बिखरी बिखरी
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मेरे घर आना ज़िंदगीखैर तो अब उसने पौधों के बीच बड़ा सुघड़, सुन्दर घोंसला बना लिया है , जिसे किसी लम्बे डोरीनुमा तिनके से स्टैंड के साथ बाँध कर आँधी से बचाने का भी इंतजाम कर दिया है , तीन अंडे दे दिए हैं उसमें। अब डाँट- डपट तो नहीं कर रही । वो ड्यूटी हमने संभाल ली है तो माता निश्चिंत हैं और उसने पहले ही हड़का दिया कि दूर रहना सब, वर्ना मुँह नोच लूँगी। हम सेवा में तत्पर हैं सबको कह दिया है कि घूम कर पीछे से किचिन से आओ- जाओ सामने से नहीं । *****रुस्तम ए हिंद गामा, कुश्ती का पर्याय, जीत की मिसालअमृतसर के एक गांव झब्बोवाल में 22 मई 1878 में पैदा हुए गामा का असली नाम गुलाम मोहम्मद बक्श बट्ट था। उनके वालिद भी कुश्ती के खिलाड़ी थे। इसलिए उनकी तालीम घर पर ही हुई। दस साल की उम्र में पहली बार कुश्ती लड़ी थी। परन्तु ख्याति तब मिली जब 1890 में जोधपुर के राजदरबार में आयोजित दंगल में उन्होंने वहाँ आए सारे के सारे पहलवानों को मात दे दी ! जोधपुर के महाराजा भी इस बालक की चपलता और कुशलता देख दंग रह गए ! जो आगे चल कर रुस्तम ए हिंद, रुस्तम ए जमां और द ग्रेट गामा कहलाया !***** एक गीत -कवि माहेश्वर तिवारीदिन गुजरा
बिलकुल बेकार
सारे दिन
पढ़ते अख़बार
पुंछी नहीं
पत्रों की गर्द
खिड़की -
दरवाज़े बेपर्द
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यूं ही #बेपरवाह न छोड़े #चिंगारी को !
गर सुलग रही है ,
किसी अच्छे काम की ज्वाला बनकर ,
इसे डालकर और घी ,
दहकते शोलों का अंगारा बना दो ।
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बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी !
आदरणीय
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को इस अंक में शामिल करने के लिए बहुत धन्यवाद और आभार ।
सभी रचनाएं बहुत उम्दा है , सभी को बहुत बधाइयां ।
सादर ।
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक रचनाओं की खबर देता सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंहमारी रचना को इस अंक में शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद रविंद्र जी।
जवाब देंहटाएंरवींद्र जी बहुत अच्छी व ज्ञानवर्धक चर्चा प्रस्तुति। मेरी रचना भी शामिल करने के लिए हृदय से आभार। देरी से आने के लिए कृपया क्षमा करें ।धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन
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