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शनिवार, मई 07, 2022

'सूरज के तेवर कड़े'(चर्चा अंक-4422)

सादर अभिवादन। 

शनिवारीय प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। 

काव्यांश में पढ़तें हैं आदरणीया डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा जी के दोहे -


बड़ी बेरहम ये गरम , हवा उड़ाती धूल 

मुरझाया यूँ ही झरा, विरही मन का फूल ।।

तपता अम्बर , हो गई , धरती भी बेहाल ।

सूनी पगडंडी ,डगर , किसे सुनाएँ हाल ।।


आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-

 --

गीत "लोग हुए गूँगे-बहरे हैं"

पल-दो पल का होता यौवन,
नहीं पता कितना है जीवन,
जीवन की आपाधापी में, लोग हुए गूँगे-बहरे हैं।
कीचड़ वाले तालाबों में, खिलते हुए कमल पसरे हैं।।

कभी-कभी जानबूझकर भी 

घुसा दी जाती है 

ट्यूब में कोई कील

या निकाल दी जाती है हवा 

ताकि वह चल न सके. 

--

 चँहु दिशि घूमे घाम

रुत गरमी की आ गई, लिए अगन-सा रूप ।

भोर हुए भटकी फिरे, चटख सुनहरी धूप।।

सूरज के तेवर कड़े, बरसाता है आग ।

पर मुस्काए गुलमोहर , पहन केसरी पाग ।।3

--

अभिसारिका

वह न रातरानी की गमक थी
न मोगरे की लहक
उसकी गुलमोहर सी आतिशी रंगत में 
आ मिली थी अमलतास की खिलखिलाहट 
धरती पर बजती रहती थी 
हरदम उसकी मुस्कुराहटों की पाज़ेब 
काटता मन   
समय है कुल्हाड़ी   
देता है दुःख।   

4. 
काश! रहता   
वन-सा हरा-भरा   
मन का बाग़। 
--

कभी जगाया है घर भर को

कभी हँसाया भोलेपन से

मुस्काता है जिसमें जीवन 

इतना सा मन, छोटा सा तन

--

शेफालिका उवाच: मज़दूर औरतें

जो औरतें मज़दूर होती हैं
वो शायद कुछ और ही होती हैं
माथे से पाँव तक धोती में ढंकी छुपी
भर-भर चूड़ियाँ और गिलट की पायलों की रुनक झुनक 
उनके हाड़ तोड़ काम में व्यवधान नहीं डालतीं 
पिघलाती धूप और बर्फ बनाती ठंड में भी
--

आख़िर बात दिल की है

आज सुब्ह अखबार पढ़ते हुए एक ख़बर पर नज़र पड़ी तो एक सज्जन के नेक कार्यों के बारे में जानकर मस्तक उनके प्रति श्रद्धा से झुक गया।दिल के रोगियों के लिए पेसमेकर एक ऐसा उपकरण है जो दिल की धड़कनों को नियमित बनाए रखता है परंतु अर्थाभाव में कई लोग इसे लगवा नहीं पाते हैं क्योंकि यह एक मँहगा उपकरण है
आज का सफ़र यहीं तक 
@अनीता सैनी 'दीप्ति'

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति |
    आपका बहुत-बहुत धन्यवाद @ अनीता सैनी 'दीप्ति' जी|

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह वाह वाह!बहुत सुंदर और सामयिक चर्चा सार्थक प्रस्तुतियों के साथ🌷🌷👍👍👌👌

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर चर्चा. आपका धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  5. साहित्य को समर्पित बहुत ही सुन्दर , साधुवाद के योग्य आयोजन है चर्चा मंच ,विविध विधाओं का समन्वित मंच । नि:सन्देह यहाँ स्थान पाना मेरे लिए बहुत गौरव का विषय है आभार , हृदय से शुभकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं

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