सादर अभिवादन
आज मंगलवार की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
शीर्षक और भूमिका आदरणीया आशा लता जी की रचना से
घरवार प्रभु के भरोसे किया
कर्तव्य पर हुए न्योछावर
देश को है गर्व है उन वीर सपूतों पर
देश के वीर सपूतों को सत-सत नमन करते हुए चलते हैं आज की कुछ खास रचनाओं की ओर.....-------------------------------------------------- दोहे "लोग भूलते जा रहे, अब तो दुआ-सलाम" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
यह साहसिक कदम उठाया
परवाह न की कभी दीन दुनिया की
देश हित में रमें अपनी जान जोखिम में डाली |
कितनी भी विपरीत परिस्थितियां आईं
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जो फूलों सी ज़िंदगी जीते काँटे हज़ार लिये बैठे हैं।
दिल में फ़रेब होंठों पर झूठी मुस्कान लिये बैठें हैं।
ऊपर खुला आसमां ख्वाबों के महल आँखों में।
कुछ टूटते अरमानों का ताजमहल लिये बैठें हैं।
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ऐसी मान्यता है कि हर इंसान की जिंदगी में एक ना एक बार सौभाग्य जरूर दस्तक देता है ! उस क्षण को को पकड़ने और पहचानने की लियाकत होनी चाहिए ! वही हालत विचारों की भी है, ये भी आते हैं और उसी समय गायब भी हो जाते हैं ! बस एक ही पल में उस को पहचानने, समझने और प्रयोग में ले आने की जरुरत होती है ! ये एक तरह से इलेक्ट्रॉनिक संचार प्रणाली की तरह होते हैं, जो हमारे चारों ओर लगातार घूमते-विचरते तो रहते हैं पर क्लिक तभी करते हैं जब टीवी ऑन किया जाता है !
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विदेशी , भारतीय कैलेंडर
ज्यादातर भारतीयों की छुटियाँ मनाने समय भी अपने अपने हिन्दू कैलेंडर और त्यौहार के हिसाब से फिक्स हैं | जैसे दुर्गापूजा पर बंगाली घूमने निकलते हैं , दिवाली पर गुजराती और गणपति पर मराठी | वहां पर स्कूलों की छुट्टियां भी उसी हिसाब से होती हैं जैसे महाराष्ट्र बोर्ड के स्कूलों में गणपति की लम्बी छुट्टी होती हैं जबकि यही पर केंद्रीय बोर्ड में दिवाली की , बंगाल में दुर्गापूजा की बाकि जगहों पर भी उनके हिसाब से |
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जैसे जमीन की गहराई में पानी तथा तेल छिपा होता है, गहरी खुदाई करके निकला जाता है, वैसे ही शरीर की गहराई में आत्मा की अनंत शक्ति छिपी है जिसे उजागर करने पर स्वास्थ्य सहज ही मिलता है. खिडकियों पर भारी पर्दे लगे हों तो कमरे में प्रकाश मद्धिम सा ही दीख पड़ता है वैसे ही यदि मन पर प्रमाद छा जाये तो आत्मा की शक्ति ढक जाती है व तन अस्वस्थ हो जाता है.
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होंठों पर तैरती मुस्कान' कहानी संग्रह के बारे में
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जीवन की राहों को कुछ आसान करूँ
बनाती है वह
अपनी तरह की एक
बहुमंजिला अट्टालिका,
खड़ा करती है लकड़ी के
टुकड़ों से बिम,
डालती है कूड़ा करक्कट की छत
और
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तीन संस्कार जो आपको अच्छा इंसान बनाएंगे
1. अगर आपका कॉल एक बार में ना उठे तो बार बार कॉल ना करें हो सकता है सामने वाला बिजी हो।
2. अगर आपको कोई होटल में खाना ऑफर करे तो अपनी पसंद का नहीं बल्कि उनकी पसन्द का खाना मंगवायें।
3. अगर आपको कोई अच्छा इंसान समझ कर उधार दे तो समय रहते उसे पैसा चुका दें ।
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आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दे
आपका दिन मंगलमय हो
कामिनी सिन्हा
बहुत सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंसादर
सुंदर सकारात्मक ऊर्जा समेटे शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स बेहतरीन।
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
मेरी रचना को चर्चा पर रखने के लिए आत्मीय आभार प्रिय कामिनी जी।
सस्नेह सादर।
सुंदर सकारात्मक ऊर्जा समेटे हुए शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं बहुत आकर्षक सुंदर सार्थक।
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
मेरी रचना को चर्चा पर रखने के लिए हृदय से आभार।
सादर सस्नेह।
बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार कामिनी सिन्हा जी।
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सराहनीय अंक।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर शानदार आज की चर्चा मंच की प्रस्तुति धन्यवाद आभार मेरी पोस्ट को भी यहां पर स्थान देने के लिए आदरणीय कामिनी जी
जवाब देंहटाएंसुप्रभात ! सराहनीय रचनाओं से सजी सुंदर चर्चा, मुझे भी इसमें शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिंक शामिल किये गए हैं।
जवाब देंहटाएंसकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रचनाओं का मनोहर संकलन।
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति।
सभी लिंक्स बेहतरीन।
मेरी रचना को चर्चा पर रखने के लिए हृदय से आभार कामिनी जी।
सादर सस्नेह।
बेहतरीन चर्चा अंक
जवाब देंहटाएंसभी सृजकों को साधुवाद और बधाई
मेरी रचना चर्चा में चयन हेतु आभार
सार्थक सूत्रों से सुसज्जित बहुत बढ़िया चर्चा आज की ! हार्दिक बधाई कामिनी जी !
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन करने हेतु आप सभी स्नेहीजनों को हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर अभिवादन 🙏
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