सादर अभिवादन।
शनिवारीय प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
शीर्षक व काव्यांश आदरणीया डॉ (सुश्री ) शरद सिंह के नवगीतों से-
दर्दों की लाट में
त्राहि-त्राहि करता मन
सून में, निचाट में ।
आँगन के
बीच में
मेंहदी की बाड़ ।
बैर भाव
झांकता
छप्पर को फाड़ ।
तौल और बाँट में
पर्दा ही शेष बचा
टूटे कपाट में ।
आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
--
गीत "बतलाओ तो जीवन क्या है"
जग की पोथी पढ़ते-पढ़ते।
इक नीड़ बसाया जब उसने,
संसार सजाया जब उसने।
जब उससे हमने यह पूछा-
बतलाओ तो जीवन क्या है?
टूटी खिड़की
उखड़े द्वार
छत पर पड़ी दरार।
लालटेन की
बाती जैसे
धुंआ-धुंआ तक़दीर हुई ।
फटी चादरें
सीने में ही
उंगली में चुभ गई सुई ।
रसोई कि नोक-झोंक
आंगन कि तकरार बनीं,
चुपके से आई कलह ,
घर से सुख- शांति का महौल गया।
--
ताल के पास
तलुओं तक घास
गुलमोहर
मेरे अन्दर तक
भरता था विश्वास ।
कथ्य-शिल्प के साथ हों,भाव भरे भरपूर,
झलकेगा सच मानिए,फिर कविता में नूर।
घूमे लंदन - टोकियो , रोम और रंगून,
मगर रामपुर-सा कहीं,पाया नहीं सुकून।
वक्त का वरदान तुमसे चाहिए,
जिंदगी है वक्त मुझसे माँगती ।
एक तिनका आँख में जो चुभ रहा,
ढूँढना एकाग्र होकर चाहती ।।
क्या किया क्या कुछ मिला ये सोचना है ?
अंत में कुछ और क्या कर पाऊँगी ?
जिंदगी बन जाऊँगी ।।
बरसों बरस होती
संचय की आदत सब में
यादों के रूप में
यही मेरे साथ हुआ है |
"पिछले पंद्रह महिनों से पहाड़ियों के बीचोंबीच यों सुनसान टीसीपी पर बैठना ज़िम्मेदारी भरा कार्य नहीं है क्या ?"
वितान कुर्सी पर एक लोथड़े के समान पड़ा है। जिसकी आँखें तोगड़े को घूर रही हैं,घूरते हुए कह रहीं हैं- ”बता तोगड़े, हम क्यों हैं?धरती पर,आख़िर हमारा अस्तित्व क्या है? क्यों नहीं समझते दुनिया वाले कि छ महीने में एक बार समाज में पैर रखने पर हमें कैसा लगता है?”
"क्यों नहीं? है श्रीमान! है, ज़िम्मेदारी से लबालब भरा है दिन भर एक भी गाड़ी यहाँ से नहीं गुज़रती फिर भी देखो! हम राइफल लिए खड़े हैं।"
--
आज का सफ़र यहीं तक
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
बहुत बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपका आभार अनीता सैनी 'दीप्ति' जी!
आपने मेरे ताँका को चर्चा में शामिल किया, आपका हार्दिक आभार ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय ,
जवाब देंहटाएंआभार ! बहुत - बहुत धन्यवाद ।
वाह!बेहतरीन प्रस्तुति प्रिय अनीता ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक लिंक
जवाब देंहटाएंवाह अप्रतिम चर्चा संकलन
जवाब देंहटाएं