शीर्षक पंक्ति: आदरणीया नूपुरं जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
लीजिए पढ़िए आज की ताज़ा रचनाएँ-
दोहे "माँ से प्यार अपार" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
जिनके सिर पर है नहीं, माँ का प्यारा हाथ।
उन लोगों से पूछिए, कहते किसे अनाथ।।
--
लालन-पालन में दिया, ममता और दुलार।
बोली-भाषा को सिखा, करती माँ उपकार।।
अदालतों में बैठे न्याय के देवताओं पर क्यों उठने लगी हैं उंगलियां?
पहली वजह है- कोर्ट्स में न्यायाधीशों की संख्या कम और केस ज्यादा, निचली अदालतों में जजों के करीब 5500 के आस पास रिक्त पद खाली हैं, और इसके लिए हाईकोर्ट्स की कोई जवाबदेही तय नहीं की गई, इसी तरह देश की सभी 25 हाईकोर्ट्स में 281 पद अब भी खाली हैं। अभी कल ही 7 मई को सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या पहली बार पूरी हुई है।*****मेरी माँ सब से अच्छी
इस दुनिया में
हर सफलता है उसकी देन मुझे
अब मेरी समझ में आया।
तो क्या कुछ भी नहीं बदला ?
पीठ पर बांध कर बच्चा
कङी धूप में तप कर
हाथ में हथौङा लेकर
अब तक वह स्वयंसिद्धा
तोङती है पत्थर ..
मुक़द्दर भी खौफ़ में होता,
जो मां की बात होती है।
मां कहती है न भूल रब को
जब अरदास होती है।
एक गीत -अँगारों से फूल न मांगो
नींद रहे या
रहे जागरण
कभी छोड़ना मत सपना,
मौसम कोई
राग सुनाये
तुम आशा के स्वर लिखना,
ऊँगली पकड़े चलना सीखा
कदम कदम पर डाँट पड़ी
हाथ पकड़ अब सुता चलाये
निर्देशों की लगी झड़ी
स्वर्ग मिला था मातु गोद में
सुत ये अब भान कराये।।
*****
वो रोने लगा। मुझे शर्मिंदगी हुई और बेहद दु:ख हुआ।उस समय केक-पेस्ट्री खाने का चलन बहुत कम था। शहर में पेस्ट्री की इक्का- दुक्का ही दुकान होती थीं तब। ये वो वक्त था जब हमारे आसपास माएँ प्राय: बेटों को चुपड़ी और बेटी को सूखी रोटी खाने को देती थीं ।
*****
फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
बहुत अच्छे लिंक्स।बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका।सादर अभिवादन
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स संयोजन … मेरी लघुकथा को यहाँ स्थान देने हेतु ह्रदय से धन्यवाद कामिनी जी |
जवाब देंहटाएंबहुत बढियां संकलन
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रवींद्र जी, सबसे पहले क्षमा चाहती हूं कि इतनी देरी से चर्चामंच पर आ पाई...मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएं