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रविवार, मई 15, 2022

"प्यारे गौतम बुद्ध"' (चर्चा अंक-4431)

सादर अभिवादन 

 आज रविवार की प्रस्तुति में 

आप सभी का हार्दिक स्वागत है 

शीर्षक और भूमिका 

आदरणीय शास्त्री सर जी की रचना से 

बुद्धम् शरणम् आइएपकड़ बुद्धि की डोर।

चलो धर्म की राह मेंहोकर भाव-विभोर।।

बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं 

बुद्ध हमारे जीवन में शांति का संचार करें 

इसी कामना के साथ चलते हैं,आज की कुछ खास रचनाओं की ओर 

अस्वस्थ होने की वजह से आज प्रस्तुति में थोड़ी देरी हुई क्षमा चाहती हूँ 

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दोहे "प्यारे गौतम बुद्ध" 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

जो ले जाये जो लक्ष्य तकवो पथ होता शुद्ध।

भारत तुम्हें पुकारताआओ गौतम बुद्ध।।

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बोधि वृक्ष की छाँव मेंमिला बुद्ध को ज्ञान।

अन्तर्मन से छँट गयातम का सब अज्ञान।।

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हम सब बहुत छोटे छोटे थे जब रविवार सुबह नौ बजे टीवी  पर मिक्की और डोनाल्ड आता था | हम बच्चे उसे देखने  के लिए मरे  जाते थे |  बस समझिये जब तक वो टीवी पर आता हम बच्चो की पलकें भी नहीं झपकती थी उतनी देर | पंद्रह बीस मिनट पहले ही टीवी चालो कर देतें और उतनी देर में बीस बार घड़ी भी देख लेते कि नौ बजा या नहीं | 

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एक ग़ज़ल -हिन्दोस्ताँ का रंग

भींगे वदन के साथ मुसाफ़िर सफ़र में था

उसकी नज़र झुकी थी वो सबकी नज़र में था

बारिश, हवाएं, बिजलियां सब छेड़ते रहे

खुशबू लिए ये फूल  सभी की ख़बर में था

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हाइकु

तेरी कसम

यदि वो ना समझी

बेवफा हुई

 

खाओ कसम

 झूठ  नहीं बोलोगे

धोखा न दोगे

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थोथा ज्ञान

सबसे बढ़कर  हूँ यहाँ, मैं  ही  बस  विद्वान,
ऐसा वह  ही सोचता,जिसका  थोथा ज्ञान।

जिसका थोथा ज्ञान,किसी की राय न माने,      

सबको समझे  मूर्ख,स्वयं  को  ज्ञानी जाने।
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निःशर्त हो सब कुछ - -
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मान लो मेरी बात

नशे में डूबी है सारी दुनिया

छाया हुआ है सुरूर चहुँ ओर

मदहोश है हर शै इस जहाँ की

मस्ती का है कोई ओर न छोर

ऐसे में दो घूँट मैंने भी पी ली

तो इतना बवाल क्यों ?

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अनुत्तरित प्रश्न......यूं तो मन के हर कोने में विचरते रहते हैं ढेर सारे प्रश्न और उनके

 सटीक

 या अनुमानित उत्तर

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दोहे "थोड़े दोहाकार है, ज्यादा दोहाखोर" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

मुखपोथी ने ले लिया, जब से नूतन रूप।

बादल के आगोश में, सिसक रही है धूप।।

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दोहाकार निभा रहेअपने-अपने फर्ज।

मुखपोथी पर  गयेचुकता करने कर्ज।।

उच्चारण ---

आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दें 

आपका दिन मंगलमय हो 

कामिनी सिन्हा 






4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सार्थक चर्चा।
    मेरी पोस्ट को शीर्षक बनाने के लिए
    आपका आभार कामिनी सिन्हा जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर सराहनीय अंक कामिनी जी ।
    सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह वाह वाह!बहुत सुंदर परिचर्चा।मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए मंच का हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं

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