सादर अभिवादन।
शुक्रवारीय प्रस्तुति में आपका हार्दिक स्वागत है।
शीर्षक व काव्यांश आदरणीया शुभा मेहता जी की रचना 'कुछ अनकहा' से -
कुछ अनकहा सा ...
रह जाता है
जिंदगी यूँ ही
गुज़रती जाती है
उस अनकहे की टीस
सदा उठती रहती है
क्यों रह जाता है
कुछ अनकहा ...
काश , कह दिया होता
आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
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अगर मनुज के हृदय का, मर जाये शैतान।,
फिर से जीवित धरा पर, हो जाये इंसान।।
कमी नहीं कुछ देश में, भरे हुए गोदाम।
खास मुनाफा खा रहे, परेशान हैं आम।।
खास मुनाफा खा रहे, परेशान हैं आम।।
ये दर्द तो ना मिलता
शायद मिला ही नहीं
कोई हमज़ुबाँ ..
या कभी सोचा ही नहीं
कि कह डालें .....
ये अनकहा ....
अब कहाँ......
शायद ...साथ ही
ले जाएँगे ये अनकहा .....।
'तुमने रात में क्या खाया था?'
मरीज़ ने जवाब दिया -
'रात को दाल और जली रोटी खाई थी.
हकीम साहब ने उसको नुस्खा लिख कर दे दिया.
मरीज़ जब दवाखाने में दवा लेने गया तो दुकानदार ने उस से कहा -
'सोने से पहले अपनी दोनों आँखों में इसे लगा लेना.'
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तन्वंगी सरिता रोती
नीर बहेगा क्या
वसुधा का आँचल जर्जर
बचा रहेगा क्या
तर्पित मन मेरे।।
फिर एक गीत लिख तू।
सिलवट भरे पन्नों पर जो गीली-सी लिखावट है,
मन की स्याही से टपकते, ज़ज़्बात की मिलावट है।
पलकें टाँक रखी हैं तुमने भी तो,देहरी पर,
ख़ामोशियों की आँच पर,चटखती छटपटाहट है ।
शल्य होता अब जरूरी
धर्म अंधा आँख पाए
टोटके का मंत्र मारो
रात भी फिर मुस्कुराए
नींद से अब जागती सी
ये सुबह नव रीत लाई।।
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इन तन्हाइयों की अब कोई सहर नहीं l
साँझ सी डूबती धड़कनों में ख्वाब नहीं ll
काफिर की अनसुनी फ़रियाद थी जो कभी l
विलीन हो गयी पत्थरों के बीच आज कही ll
माली को कहते हुए आज उसने सुना है, कि अब वो पहले जैसी नहीं रह गई है, आज उसका आखिरी दिन है, क्योंकि ऋतु परिवर्तित हो चुकी है और उम्रदराज होने से उसकी रेशमी पत्तियाँ झड़ रही हैं, अतः उसे जड़ से उखाड़ कर खत्म किया जाएगा उसकी जगह कोई नई घास ले लेगी । दूब तो बस अपने माली को आखिरी स्नेह दे रही है
समाचार मिला मंच पर प्रतिक्रिया नहीं हो रही।
जवाब देंहटाएंशायद कोई तकनीकी समस्या हो सकती है।
अभी देखे।
सादर
मेरे विचार से तो सब-कुछ ठीक है।
हटाएंनहीं पहले नहीं हो रहा था मैंने स्वयं देखा।
हटाएंबहुत सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्रिय अनीता मेरी रचना से चर्चा का श्रीगणेश करने हेतु तहेदिल से आभार । बहुत ही उम्दा प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंकई रचनाएँ पढ़ आई ।बहुत सारगर्भित और वैविध्य अंक सजाया है अनीता जी । मेरी रचना को भी शामिल किया ।आपका बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी सूत्र मिले पढ़ने के लिए।
जवाब देंहटाएंआपका आभार @अनीता सैनी 'दीप्ति' जी!
शानदार शीर्षक, शानदार लिंक्स।
जवाब देंहटाएंसार्थक चर्चा प्रस्तुति।
सभी लिंक बेहतरीन।
सभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार।
सादर सस्नेह।
अत्यंत सराहनीय एवं पठनीय सूत्रों से सजी सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना शामिल करने के लिए अत्यंत आभार एवं शुक्रिया अनु।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति एक से बढ़कर एक लिंक आपने देने का प्रयास किया है बहुत-बहुत आभार
जवाब देंहटाएंरोचक एवं सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत चर्चा संकलन
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