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रविवार, मई 29, 2022

क्या ईश्वर है? (चर्चा अंक-4445)

सादर अभिवादन 

रविवार की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है 

(शीर्षक आदरणीय गजेंद्र भट्ट जी की रचना से)

एक विचारणीय प्रश्न "क्या ईश्वर है"?

कैसी  विडंबना है, हमें सत्य को भी बार-बार सिद्ध करने की जरूरत पड़ती है 

"सत्य" स्वयंसिद्ध होता है,

हम-आप सिर्फ तर्क-कुतर्क कर सकते हैं। 

यदि हवा है तो ईश्वर है,पानी है तो ईश्वर है,सूर्यदेव का आस्तित्व है तो ईश्वर है। 

उसी  ईश्वर  के श्री चरणों में वंदन करते हुए चलते है आज की कुछ खास रचनाओं की ओर....

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 बालकविता "लीची के गुच्छे"

 (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

गायब बाजारों से केले।
सजे हुए लीची के ठेले।।
 
आम और लीची का उदगम।

मनभावन दोनों का संगम।।
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क्या ईश्वर है?

क्या ईश्वर की सत्ता और उसके अस्तित्व के प्रति मन में संदेह रखना बुद्धि का परिचायक है? ईश्वर की सत्ता को नकारने वाला, कुतर्क युक्त ज्ञानाधिक्यता से ग्रस्त व्यक्ति वस्तुतः कहीं निरा जड़मति तो नहीं होता? आइये, विचार करें इस बिंदु पर। 

मैं कोई नयी बात बताने नहीं जा रहा, केवल उपरोक्त विषय पर अपने विचार व्यक्त करना चाहता हूँ। हम जीव की उत्पत्ति से विचार करना प्रारम्भ करेंगे। इसे समझने के लिए हम मनुष्य का ही दृष्टान्त लेते हैं। 

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माई! पंछी प्रेम पुगायो

माई! पंछी प्रेम पुगायो 

उण ही पीर सुणा बैठी।।

भाव बोल्या न बदळी गरजी

आभे देख गुणा बैठी।।

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मौन

सुनो तुम-

एक ही तो ज़िंदगी है 

बार- बार

और कितनी बार 

उलट-पलट कर 

पढ़ती रहोगी उसे

तुम सोचती हो कि

बोल- बोल कर 

अपनी नाव से

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सम्मान मिले न मिले

कभी भूल कर भी

 न जाना उस ओर

जहां नहीं मिलता सम्मान

यह भी जान लो |

सम्मान माँगा नहीं जाता

स्वयं के गुण ही उसे पा लेते  

-----------हुआ ज़ोर का दमा

अस्पताल है कई 
बरस से बना हुआ ।
अंग्रेजी डॉक्टर है 
बैठा तना हुआ ॥
गाँव गिराँव एक 
पाँव से दौड़ पड़ा है ।
बीमारी को दूर 
भगाने डटा खड़ा है ॥

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परहेजी खानपान और बच्चेबिटिया के हर जन्मदिन पर उनके जैन मित्र आते हैं तो बिना लहसुन प्याज के खाना बनाने की आदत हैं | लेकिन इस बार तो गजब ही हो गया जब जन्मदिन महावीर जयंती के एक दिन पहले था ना खाने वाली चीजों की लिस्ट खूब लंबी हो गयी | लहसुन प्याज के साथ आलू , गाजर , मशरूम , रोटी , ब्रेड , चीज आदि की भी मनाही हो गयी | ------------एक गीत - कोई तो वंशी को स्वर दे

मन के सूने

वृंदावन को

कोई तो वंशी का स्वर दे.

यह पठार था

फूलों वाला

मौसम फिर फूलों से भर दे.

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रहस्यमय खबरी | तहकीकात पत्रिका में जनवरी 2022 में प्रकाशित

नोट: 'रहस्यमय खबरी' A Burglar's Ghost  नाम की कहानी का हिन्दी अनुवाद है। यह कहानी डब्ल्यू बॉब हॉलैंड द्वारा सम्पादित किताब ट्वेंटी फाइव घोस्ट स्टोरीज में मौजूद थी। इस किताब में लेखक का नाम तो दर्ज नहीं था लेकिन कहानी मुझे रोचक लगी थी तो सोचा इसका हिन्दी अनुवाद कर दूँ। वैसे यह अनुवाद मैंने 2019 में कर दिया था और इधर प्रकाशित भी कर दिया था।  लेकिन फिर हटा दिया था। 
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आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दें 
आपका दिन मंगलमय हो 
कामिनी सिन्हा 

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
    आपके श्रम को नमन है।
    कामिनी सिन्हा जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सुंदर संकलन।
    मेरे सृजन को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहद सुंदर चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुंदर सार्थक anki । सादर शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  5. सदर नमस्कार कामिनी जी! मेरी रचना को इस सुन्दर अंक में सम्मिलित करने के लिए आभार प्रकट करना चाहूँगा आदरणीया! मेरी रचना से कहीं सुन्दर विवेचना कर दी है आपने मेरे आलेख के विषय की। कुछ ही शब्दों में इतना सब कह गई हैं आप कि साक्षात् ईश्वर के दर्शन ही करा दिए! वस्तुतः प्रकृति के रचयिता ईश्वर के दर्शन तो प्रकृति में ही हो जाते हैं , इसके लिए अन्य किसी साधन या तर्क की आवश्यकता ही नहीं।

    जवाब देंहटाएं
  6. चर्चा में मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं

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