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बुधवार, जुलाई 27, 2022

"दुनिया में परिवार" (चर्चा अंक-4503)

 मित्रों!

बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 

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दोहे "विश्व परिवार दिवस-दुनिया में परिवार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 


रिश्तो-नातों से भरा, सारा ही संसार।
प्यार परस्पर हो जहाँ, वो होता परिवार।।
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सम्बन्धों में हों जहाँ, छोटी-बड़ी दरार।
धरती पर कैसे कहें, कौन सुखी परिवार।। 

उच्चारण 

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दोहे 

1.बैरागी री ओढ़णी,

    सजै सावणा साथ।

    डग डागळा चार भरै,

    पकडे कजरी हाथ।। 

गूँगी गुड़िया 

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राष्ट्रकवि भी रहे बैरागीजी के मेहमान My photoसन 1971 में राष्ट्रकवि डॉ. रामधारी सिंह दिनकर का भोपाल आगमन हुआ और वे 10-12 दिन तक बैरागीजी के मेहमान बनकर पुतलीघर बंगले में रहे। दिनकरजी के आगमन के पहले ही दिन बैरागीजी ने मेरा उनसे परिचय कराया। उन्होंने कहा-’यह राजेन्द्र है। सूचना-प्रकाशन विभाग में सेवारत है। मेरे परिवार के एक सदस्य के रूप में यह मुझसे जुड़ा हुआ है। यह बहुत ही सरल, ईमानदार, मेहनती और निष्ठावान है और उससे भी बड़ी बात है कि यह एक अच्छा कवि भी है।’ बैरागीजी ने दिनकरजी से कहा-‘दादा! अपनी व्यस्तता के चलते मैं तो आपके साथ ज्यादा समय नहीं दे पाऊँगा, यह राजेन्द्र ही आपके सम्पर्क में बना रहेगा।’ दिनकरजी को पहले ही दिन जब यह मालूम हुआ कि मैं कवि हूँ, उन्होंने कहा-‘राजेन्द्र! अब तो तुम्हारी और हमारी खूब पटेगी।’  

विष्णु वैरागीएकोऽहम् 

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चौमासा 

परम शुभ श्रावणी आई, धरा शृंगार करती है। 
हरित जब ओढ़ती चूनर ,फुहारें मांग भरतीं हैं।।

सुनी कजरी लुभावन सी, पड़े जो बाग में झूले। 
सताती याद पीहर की, सुहाने पल कहाँ भूले ।। 

मेरा फोटो

काव्य कूची अनिता सुधीर आख्या 

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मैंने यथार्थ को जिया है 

मैंने जिन्दगी को जिया है 

यथार्थ को भोगा है 

 कुछ नया नहीं किया है 

अब न पूंछना मैंने क्या किया है | 

Akanksha -asha.blog spot.com 

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श्रीराम वंशज बृहदबल ने कौरवों का साथ क्यों दिया 

भारतवर्ष के प्राचीन काल की इस ऐतिहासिक कथा के द्रोणपर्व में कथा के एक महत्वपूर्ण पात्र वीर अभिमन्यु का जिक्र आता है जिन्हें चक्रव्यूह में घेर कर कौरवों द्वारा छल पूर्वक मार डाला गया था ! उस समय युद्ध में कौरव सेना प्रमुख जयद्रथ, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य, दुर्योधन, कर्ण, दु:शासन, अश्वस्थामा जैसे सात महारथियों के अलावा, दुर्योधन, दू:शासन व शल्य के पुत्र, कर्ण के भाईयों सहित और भी बहुत से योद्धा मौजूद थे ! जिनमें से अधिकतर अभिमन्यु के हाथों मारे गए !
 

कुछ अलग सा 

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प्रकृति कुछ कहती है...

प्रकृति हमारी हर थकन, हर रेगिस्तानी विचारधारा पर जीत दर्ज करवाना जानती है, वह हमें सिखाती है, हर पल सबक देती है...वो केवल इतना चाहती है कि उसकी इस कक्षा में हम पूरे मन से एक बार पहुंचें तो सही...। उसे समझें तो सही...। देखें तो सही...। वाह, वे जन्तु, वे प्राणी जो केवल इसके ही प्राश्रय में हैं, रहते हैं कितने खुश है, कितने मौन और अपने में अपने साथ जीने वाले...।

प्रकृति की छाँव

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मुक्तक "बचपन" 

हमको ये मालूम नहीं है, किस्मत हमरी क्यों फूटी है,
जीवन जीने की आशाएँ, बचपन से ही क्यों टूटी है,
सड़कों पर कागज हम बीनें, हँस कर के तुम पढ़ते लिखते,
बसने से ही पहले दुनिया, किसने हमरी यूँ लूटी है।
(22×4//22×4)
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन' 

Nayekavi 

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हरी मिर्च और दही की चटनी (hari mirch aur dahi ki chutney) 

दोस्तों, चटनियां तो आपने कई तरह की बनाई होगी लेकिन क्या आपने हरी मिर्च और दही की चटनी (hari mirch aur dahi ki chutney) बनाई या खाई है? यदि नहीं तो एक बार इस तरीके से हरी मिर्च और दही की चटनी बना कर देखिए। ये बहुत जल्दी बनती है और खाने में तो स्वादिष्ट है ही!!  
आपकी सहेली ज्योति देहलीवाल 

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जैसे नदी मिले सागर से जैसे कोई नदी सागर तक का मार्ग सहज ही खोजती है वैसे ही भीतर की चेतना उस परम चेतना की ओर अग्रसर हो जाती है। 

 

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महाकाल सँग इक हो जाएँ 

भूल ग़या दिल जिन बातों को 

उन पर अब क्यों वक़्त बहाएँ, 

मन थम जाए समय थमेगा 

महाकाल सँग इक हो जाएँ !

मन पाए विश्राम जहाँ अनीता

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मुफ्त की रेवड़ी बाँटने की राजनीति से किसका भला हो रहा है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुफ्त बाँटकर लोक लुभावन राजनीति करने पर सीधे प्रहार किया है। उन्होंने कहाकिहमारे देश में मुफ्त की रेवड़ी बांटकर वोट बटोरने का कल्चर लाने की कोशिश हो रही है।यह रेवड़ी संस्कृति देश के विकास के लिए बहुत घातक है

बतंगड़ BATANGAD 

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मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विश्नोई के लघुकथा संग्रह "सपनों का शहर" की योगेंद्र वर्मा व्योम द्वारा की गई समीक्षा- ‘संवेदनाओं के अमृत सरोवर में आकंठ डूबी लघुकथाएं’ लघुकथा के संबंध में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गिरिराज शरण अग्रवाल ने महत्वपूर्ण रूप से व्याख्या करते हुए कहा है कि ‘लघुकथा किसी क्षण विशेष में उपजे भाव, घटना या विचार की संक्षिप्त और शिल्प से तराशी गई प्रभावी अभिव्यक्ति है। 

साहित्यिक मुरादाबाद मनोज रस्तोगी

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Laptop को हिंदी में क्या कहते हैं 

Kya Kahte Hai
अब चलिए ये जान लेते हैं की Laptop को हिंदी में क्या कहते हैं? लैपटॉप दो शब्दों को मिला कर बनाया गया है Lap+Top इसमें Lap का मतलब गोद और Top का मतलब ऊपर होता है और दोनों को मिला दिया जाये तो इसका मतलब होगा गोद के ऊपर. यानी एक ऐसा डिवाइस जिसे गोद में रख कर उपयोग किया जा सकता है.
इसके अलावा लैपटॉप को सुवाह्य संगणक या छोटा संगणक भी कहा जाता है. कुछ साल पहले तक लैपटॉप की पहुच सिर्फ कुछ लोगो तक ही थी लेकिन आज के समय में इसकी गिरती कीमतों के कारण ये हर घर में पाया जाता है. लैपटॉप एक बहुत ही उपयोगी डिवाइस है जिसका उपयोग पढाई और दुसरे ज़रूरी कामो में किया जाता है.

Hindime 

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ग़ज़ल खुद में ही मस्त रहोगे तो घमंडी हो जाओगे खुद में ही मस्त रहोगे तो घमंडी हो जाओगे बेतुके बेबुनियाद और पाखंडी हो जाओगे मई की गर्मी जैसे भले हों हौसले तुम्हारे फाइलों के जाल में फंसकर ठंडी हो जाओगे 


साहित्यमठ हरि नारायण तनहा

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मोबाइल का उपयोग और व्यक्ति का अकेलापन 

दुष्परिणाम व्यक्तियों के अकेले होने के रूप में सामने आ रहा है. इसकी परिणति अवसाद, निराशा, कुंठा, अपराध, नशे की प्रवृत्ति आदि के रूप में दिखती हुई आत्महत्या तक जा पहुँची है. इसे कोई बनाई हुई आभासी स्थिति न कहिये बल्कि महसूस कीजिये.

रायटोक्रेट कुमारेन्द्र 

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नारी खड़ी बाजार में-बेचे अपनी देह 

 नारी को अगर वास्तव में सशक्त होना है तो दिमाग के बल पर होना होगा शरीर के बल पर नहीं और शरीर के बल पर और दिमाग के बल पर आधारित नारी की प्रगति के स्थायित्व के अंतर  को वे बखूबी देख सकती है राखी सावंत आज कहाँ है और इंदिरा नुई आज कहाँ हैं .पूनम पांडे आज कहाँ हैं और सुनीता विलियम्स आज कहाँ हैं .इसलिए विचार करें नारी अपने व्यक्तित्व पर  न कि  शरीर की  बिक्री पर . 

शालिनी कौशिक  एडवोकेट 

! कौशल ! 

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फसाने जैसा फसानाकार: स्टीफन स्वाइग 

वो एक ऐसा फसानाकार था जिसकी खुद की जिंदगी किसी फसाने से कम न थी। 

उसने जिस विधा को हाथ लगाया,  कमाल कर दिखाया। वो जहाँ था, वहाँ शानदार था।

उन्नीस साल की उम्र में उसने अपने पहले ही कविता संग्रह से धूम मचा दी थी ।

उसके उपन्यास  'बिवेयर आफ पिटी' ने उसे बहुत ख्याति दिलवाई । 'एमाॅक' ,  'बर्निंग सीक्रेट' , 'फैन्टास्टिक नाइट' आदि उसके ऐसे उपन्यास हैं जिनकी मिसाल मिलना मुश्किल है ।

एक बुक जर्नल 

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कविता- लॉकडाउन के बाद नया जीवन 

ईश्वर ने हमें पुनः उपहार दिया,
इस महामारी से बाहर निकाला।
चलों हम सब कुछ करके दिखाए,
इस नव जीवन को सार्थक बनाए।
- आकिब जावेद

आवाज सुख़न ए अदब 

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तुम्हारा जन्मदिन 

जमाने से, बढ़ती दूरियों में, 

दिल के नजदीक हो तुम! 

मेरी, सबसे मुलाकातों में, 

रूह सी मौजूद हो तुम! 

और तो क्या कहूँ, बस, 

मेरी, हर सांस में बहती, 

प्राण रूप में सर्वस्व हो तुम!!  

Chitransh soul डी.पी.माथुर

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मेरी फोटोग्राफी-नज़र का कमाल है हरेक चित्र देखिएगा... कुछ हटकर नज़र आएगा।

Editor Blog 

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आज के लिए बस इतना ही...!

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7 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात सर।
    बहुत सुंदर संकलन।
    स्थान देने हेतु हार्दिक आभार।
    सादर प्रणाम

    जवाब देंहटाएं
  2. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।

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  3. सुप्रभात! बेहतरीन सूत्रों का सुंदर संयोजन, आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन सूत्रों का चयन ।सुंदर और श्रमसाध्य चर्चा प्रस्तुति ।

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  5. बहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  6. बेहद सुंदर चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  7. वाह, साहित्यिक मुरादाबाद में प्रस्तुत योगेंद्र वर्मा व्योम जी की समीक्षा यहां साझा करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत आभार ।

    जवाब देंहटाएं

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