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बुधवार, सितंबर 07, 2022

"गुरुओं का सम्मान" (चर्चा अंक-4545)

 मित्रोंं!

बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।

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गीत "गुरु पारस पाषाण है" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

अध्यापक का सबसे ज्यादा,
भारत में सम्मान है।

गोविन्द तक पहुँचाने वाला,
गुरू प्रथम सोपान है।। 
उच्चारण 

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शिक्षक का सम्मान करे जो पहले माता-पिता उसके शिक्षक बनकर फिर विद्यालय में  शिक्षक और गुरूजन उसके मन को गढ़ने में अपना योगदान देते हैं. अच्छे मार्गदर्शन को पाकर एक व्यक्ति जीवन में अपार सफलता प्राप्त करने में सक्षम हो पाता है। एक शिक्षक का अंत:करण अनेक विचारों, मान्यताओं व धारणाओं को  अपने भीतर समेटे होता है. वह शिष्यों की योग्यता का अनुमान लगाकर उन्हने उनकी क्षमता के अनुसार आगे बढ़ने का अवसर देता है।

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सिडनी डायरी --6 'सीनिक वर्ल्ड' और जिनोलन गुफाएं 

‘ सीनिक वर्ल्ड ‘  एक निजी व्यावसायिक कम्पनी Hammons Holding pty (Ltd) द्वारा संचालित और विश्व-विरासत की सूची शामिल में ऐसी अनूठी दुनिया है जो प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर है . जिसमें सघन वन के बीच संचालित रोमांचक सीनिक रेलवे है , केबल वे और स्काई वे जैसी अनूठी व रोमांचक गतिविधियाँ आनन्द , रोमांच और थरथरा देने वाली अनुभूतियों से भर देती है Yeh Mera Jahaan गिरिजा कुलश्रेष्ठ

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एक ग़ज़ल : उनसे हुआ है आज तलक 

उनसे हुआ है आज तलक सामना नहीं
कोई ख़बर नहीं है कोई राबिता नहीं ।

दिल की ज़ुबान दिल ही समझता है ख़ूबतर,
तुमने सुना वही कि जो मैने कहा नहीं ।

आपका ब्लॉग 

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मेरे शिक्षक 

अध्यापक जी मुझे पढ़ाते 

जीवन का दर्शन समझाते  

जिसने रची है सृष्टि सारी 

उस विधना से हमें मिलाते ! 

मेरे भाव 

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बलिहारी गुरु आपने, जिन इंसां दियो बनाय आम तौर पर लोगों का आदर्श कोई बहुत सफल व्यक्ति होता है, जिसका कि समाज में रुतबा हो, जिसके नाम की तूती बजती हो, जिसके दर्जनों खितमतगार और मुसाहिब हों. लेकिन मेरे आदर्श - मिश्रा मास्साब, मेरे संतू भैया हैं जो आज भी मेरी कल्पना में साइकिल पर चलते हुए, मस्ती के साथ नरोत्तम दास के ‘सुदामा चरित’ का कोई पद गुनगुना रहे हैं. तिरछी नज़र गोपेश मोहन जैसवाल

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आईआरसीटीसी का अत्याचार और रेडिमेड चाय 

रेल की चाय को पीना चाय के शौकीन अब पसंद नहीं करते। मन मार के रह जाते। पिछली यात्रा में जब घर पहुंचा तो श्रीमती को विश्वास नहीं हुआ की रेल गाड़ी में चाय नहीं पी। आज सुबह ही कॉल कर पूछ लिया, चाय पी...! बस चाय पीने के लिए बदनाम ही हूं..! वैष्णो देवी यात्रा में भी हम सब लोग आईआरसीटीसी की चाय नहीं पीने का मन बना लिए। जैसी चाय आईआरसीटीसी वाले देते है उसे यदि गांव देहात में कोई पिला दे तो कहते है बकरी की मूत जैसी चाय पिला दी। इतना ही नहीं पहले जो पोटली वाली tetley चाय मिलती थी वह भी कमबख्तो ने बंद कर दी। आईआरसीटीसी वाले ग्राहकों को जिस हिसाब से लूटती है उससे अधिक अत्याचार कुछ नहीं। खैर, आज सुबह ही सोच रहा था चाय भी रेडिमेड मिले तो कितना अच्छा। थोड़ी देर में रेडिमेड चाय लेकर आईआरसीटीसी के वेंडर पहुंच गया। ₹20 की चाय। चाय, दूध, चीनी, अदरख सब मिला हुआ। कॉफी, सूप सब। बस गर्म पानी मिला दो। राहत मिली। अच्छी चाय तो मिली। चौथाखंभा 

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बुलबुल के पंखों पर सावरकर: आखिर हम हमारी भावी पीढ़ी को क्या सिखाना चाहते है? 

आपकी सहेली ज्योति देहलीवाल 

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आराम आराम= आम ,राम और आरा 

यानी इस शब्द से फल भगवान और एक जिला निकलता है.... गर्मियों में घाम चाहे जितना लगे लोग आम दबाकर चूसते है खाते है बिना रुके थके .... हापुस चौसा लंगड़ा दशहरी, खाईब पूरा दोपहरी...
रही बात आरा जिला की तो एक नवयुवती के "लिपस्टिक" लगाने पर हिलने लगती है ... भोजपुरी के महान कलाकार पवन सिंह के गाएं है "जब लगावे लू लिपिस्टिक हिलेला आरा डिस्ट्रिक" इतना ही नही पूरा जिला हिलेगा तो भूकंप आ जाएगा न लेकिन फिर भी उस नवयुवती को जिला टॉपर बनाया जाता है... आदरणीय नीतिश कुमार जी को "लिपिस्टिक" पर प्रतिबंध लगाना चाहिए था ना की शराब पर....... इस बात को लेकर झूमने और चूमने वाले युवा क्रांतिकारियों में जबरदस्त भिड़ंत देखी गई है.....
एक आते है "राम" भगवान इनको कवनो फर्क ही नही पड़ा काटे कंकड़ पत्थर जंगल झाड़ी नग्न पैर चलते रहे है , जहा जहा गए छाप अपनी छोड़ते रहे ... बिना रुके बिना थके समुद्र से याचना किया , चाहते तो पहले ही तीर निकालकर चीर देते समुद्र को... लेकिन दिव्य शक्तियों का प्रयोग हर वक्त करने से मनुष्य "मरा" सिद्ध होता है, "राम" बनने के लिए पौरुष बल ही बड़ा होता है....सब्र और प्रतीक्षा बांध टूट गया जब "राम" के सामने तो ...प्रश्न उठता है यहां हम क्यों चले "आराम" करने। 

राष्ट्रचिंतक 

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मुरादाबाद के साहित्यकार ओंकार सिंह ओंकार के ग़जल संग्रह ' आओ! खुशी तलाश करें ' 

की मीनाक्षी ठाकुर द्वारा की गई समीक्षा.. रश्मियाँ बिखेरतीं आशावादी ग़जलें 
साहित्यिक मुरादाबाद 

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प्लास्टिक को पहचानें उस पर दिए गए कोड से घरों में रसोई या स्नानागारों में काम आने वाले बड़े कंटेनर भी धातुओं के ही हुआ करते थे। पर फिर समय बदला। लोगों के जीवन में प्लास्टिक ने पदार्पण किया और देखते ही देखते, उसने समाज के हर हिस्से पर अपना वर्चस्व कायम कर लिया। इसका  सबसे बड़ा कारण था, इसका  मजबूत होने के साथ-साथ  हल्का, टिकाऊ, लचीला, कम टूट-फूट वाला, जंग - मोर्चे से दूर, नमी तथा केमीकल रोधक तथा साफ-सफाई में आसान और सबसे बड़ी बात इसका सस्ता होना था। आज  इसे अपने आस-पास, घर-दफ्तर सभी जगह देखा-पाया जा सकता है। फिर चाहे हमारे खाने-पीने का सामान हो, पहनने-सोने का सामान हो, काम में आने वाला सामान हो,  खिलौने, कंप्यूटर,  फोन, चम्मच - प्लेट, हमारे दांत,  चश्मा तथा उसके लेंस यहां तक कि हमारे शरीर के अंदर धड़कने वाला दिल भी इसी से बनने लगा है !

 

कुछ अलग सा 

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सफर में 

खत्म होता नहीं, ये सिलसिला,
बिछड़ा यहीं,
इस सफर में, जो भी मिला!

भींच लूं, कितनी भी, ये मुठ्ठियां,
समेट लूं, दोनों जहां,
फिर भी, यहां दामन, खाली ही मिला,
बिछड़ा यहीं, 
इस सफर में, जो भी मिला!

कविता "जीवन कलश" 

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गीत  श्याम गर मैं बनूं रुक्मिणी तुम बनो 

प्रेम डोर से बंधी बंदीनी तुम बनो 

प्रेम रंग में रंगी रंगीनी तुम बनो 

तुम न राधा बनो तुम न मीरा बनो 

     श्याम गर मैं बनूं रुक्मिणी तुम बनो  

साहित्यमठ हरिनारायण तनहा

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कुंडलिया 

आए दिन प्रतिवर्ष जब,पाँच सितम्बर मास।
जन्म दिवस कृष्णन मने,रहे सभी के खास।।
रहे सभी के खास,पढ़े थे जीवन दर्शन।
मेधावी थे शिष्य,करे थे चिंतन मंथन।।
राष्ट्र प्रेम विख्यात,जगत में नाम कमाए।
हम सबका सौभाग्य,राष्ट्रपति शिक्षक आए।।
अनिता सुधीर 

काव्य कूची 

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लघुकथा- भविष्यतकाल 

'वाह ममा, आज तो आपने कमाल की पेंटिंग बनाई है,' अपनी चित्रकार माँ की प्रशंसा करते हुए तुलिका बोल पड़ी|
'अच्छा बेटा, इसमे कमाल की बात क्या लगी तुम्हें यह भी तो बताओ,'  

मधुर गुँजन 

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आज के लिए बस इतना ही...!

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7 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात दोस्तों।।। समस्त सम्माननीय लेखाकारों और साहित्य प्रेमियों को मेरा नमन।।।।

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  2. शुभ प्रभात दोस्तों।।। सभी सम्माननीय लेखाकारों और साहित्य प्रेमियों को मेरा नमन अभिवादन।।।

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  3. आज की चर्चा में बहुत सारे ब्लाग शामिल हैं . सभी पढ़ लिये मेरी रचना भी .धन्यवाद शास्त्री जी .

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  4. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति हमेशा की तरह। आपका हृदयतल से आभार आदरणीय शास्त्री जी मेरे ब्लॉग को इस प्रतिष्ठित "चर्चा मंच" पर स्थान देने के लिए।🌻

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  6. शिक्षक दिवस के अवसर पर सराहनीय रचनाओं का संयोजन, आभार शास्त्री जी मुझे भी आज के अंक में सम्मिलित करने हेतु !

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  7. बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति

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