मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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देखिए कुछ अद्यतन लिंक।
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मेरी दुनिया By विमल कुमार शुक्ल 'विमल
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गीत "सिहरन बढ़ती जाए" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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माँ कुष्मांडा - मात्र स्मित हास्य से सृष्टि रचना करने वाली पराशक्ति
Tarun's Diary- "तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."
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काव्य कूची अनीता सुधीर
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पूरी तरह से उषा का सम्राज्य कायम नहीं हुआ था लेकिन अपनों की भीड़ अरुण देव के घर में उपस्थित थी। मानों निशीथकाल में शहद के छत्ते से छेड़खानी हो गयी हो...।
"आपने ऐसा सोचा तो सोचा कैसे..?"
"सोचा तो सोचा! हमसे साझा क्यों नहीं किया...?"
"सोच का सृजन" विभा रानी श्रीवास्तव
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सोहम का जो मर्म जानता हरेक मानव को अपने होने का आभास होता है। स्वयं के होने में किसी को संदेह नहीं है। जड़ वस्तु स्वयं को नहीं जान सकती। पर्वत नहीं जानता कि वह पर्वत है। केवल चेतन ही खुद को जान सकता है। परमात्मा पूर्ण चैतन्य है। चेतना का स्वभाव एक ही है, जैसे बूँद हो या सागर दोनों में जल एक सा है। वही चेतना हर सजीव के भीतर उपस्थित है जो परमात्मा के भीतर है। इस तरह जीव और परमात्मा एक तत्व से निर्मित हैं।
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अक्षर जोड़ कर बना यूं शब्द संसार
जब इंसान ने अपने विकास की यात्रा आरंभ की तो इस में भाषा का बहुत योगदान रहा | भाषा समझने के लिए वर्णमाला का होना जरुरी था क्यों कि यही वह सीढी है जिस पर चल कर भाषा अपना सफ़र तय करती है | वर्णमाला के इन अक्षरों के बनने का भी अपना एक इतिहास है .| .यह रोचक सफ़र शब्दों का कैसे शुरू हुआ आइये जानते हैं ...जब जब इंसान को किसी भी नयी आवश्यकता की जरूरत हुई
कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se ** रंजू भाटिया
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डॉ मंजरी शुक्ला की पठनीय और शिक्षाप्रद बाल-कहानियों का संग्रह है 'जादुई चश्में'
'जादुई चश्में' लेखिका मंजरी शुक्ला का बाल कथा संग्रह है। सूरज पॉकेट बुक्स से प्रकाशित हुए इस संग्रह में उनकी चौदह कहानियों को संकलित किया गया है। यह कहानियाँ निम्न हैं:
संग्रह की पहली कहानी जादुई चश्मे प्रतापगढ़ नाम के राज्य की कहानी है। जादुई चश्मे के आने से प्रताप गढ़ का क्या होता है यह कहानी बनती है।
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बहुत चाहा शब्द घड़ना चाँदनी के सुर्ख गजरे ... सफ़ेद कागज़ पे उतारनापर जाने क्यों अल्फाजों का कम्बल ओढ़े हवा अटकी रही, हवा के इर्द-गिर्द
स्वप्न मेरे दिगम्बर नासवा
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रोमाँचक यात्राएँ सोचा कि आज अपने जीवन की कुछ न भूल पाने वाली रोमाँचकारी यात्राओं को याद करना चाहिये, जब सचमुच में डर और घबराहट का सामना करना पड़ा था (नीचे की तस्वीर में रूमझटार-नेपाल में एक रोमाँचक यात्रा में मेरे साथ हमारे गाईड कृष्णा जी हैं।)।
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संस्मरण
"डोल गया ईमान"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मुझे भी लगा कि कैमरा चैक करना चाहिए और मैंने जब कैमरा चैक किया तो वास्तव में बुढ़िया सही बोल रही थी। स्टाफ ने कहा कि सर कैमरा झूठ नहीं बोलता। इसी आदमी ने उसका नोट उठाया है।
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आज के लिए बस इतना ही...!
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रूपचन्द्र जी, रोमाँचक यात्राओं पर मेरे आलेख को आज की चिट्ठा चर्चा में जगह देने के लिए दिल से धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंआदरणीय डॉ. साहब , सादर नमन , अभिनन्दन ! नवरात्री महापर्व की बहुत बहुत शुभेच्छाएं स्वीकार करे गुरुवर ! जय अम्बे !
जवाब देंहटाएंरोचक लिंक्स से सुसज्जित चर्चा। मेरी पोस्ट को चर्चा में स्थान देने हेतु आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सराहनीय संकलन।
जवाब देंहटाएंसादर
उम्दा चर्चा।मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिये बहुत शुक्रिया🙏🌹🌹🌹
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