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शनिवार, अक्टूबर 08, 2022

"गयी बुराई हार" (चर्चा अंक-4575)

 मित्रों!

शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।

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आज देखिए कुछ अद्यतन लिंक।

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दोहे, विश्व मुस्कान दिवस  

होठों पर जिनके रहे, स्वाभाविक मुस्कान।

दुनिया को अच्छे लगें, ऐसे ही इंसान।।

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खुश रहते हर हाल में, जग में जो इंसान।

देवतुल्य जैसा करें, उसका सब सम्मान।। 

उच्चारण 

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जिंदगी शायद इसी कशमकश का नाम है!! 

सूरज अब डूबने को हुआ है लालायित –

और मैं खोज रहा हूँ उस बादल को

वो भी खो गया कुछ मुझसा मेरे साथ

या फिर बरस गया है कहीं कुछ यूं ही 

उड़न तश्तरी समीर लाल समीर

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साहित्‍य का नोबेल पुरस्‍कार फ्रांसीसी लेखिका एनी एर्नाक्‍स को दिया गया फ्रांसीसी लेखिका एनी एर्नाक्‍स (Annie Ernaux) को साहित्‍य का नोबेल पुरस्‍कार दिया गया है। उन्हें यह पुरस्कार निजी यादों की परतों, जड़ों को स्पष्टता और साहस के साथ लिखने के लिए दिया गया।  

ख़ुदा के वास्‍ते ! 

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मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की व्यंग्य कविता..... डिजिटल काव्यपाठ 

हमारे ठाठ ही ठाठ थे

किसी न किसी

आभासी पटल पर

आएदिन हो रहे

काव्य पाठ थे 

साहित्यिक मुरादाबाद 

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यादों के झरोखों से (कड़ी -३) ओंकार सिंह विवेक

इस नशिस्त के आयोजकों  ने बड़े ही प्रेम से सबका स्वागत- सत्कार करके बहुत ही उत्तम जलपान की व्यवस्था की थी।अंत में सभी को प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया गया था।
मेरा मानना है कि उर्दू नशिस्तों या हिंदी काव्य गोष्ठियों के ऐसे कार्यक्रम निरंतर होते रहने चाहिए जिससे कवियों/शायरों में कुछ नया लिखने का जोश बना रहता है और इस बहाने एक दूसरे के हालचाल भी मालूम होते रहते हैं। 

मेरा सृजन 

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प्रस्थान..लघुकथा 

मोती माणिक्य से जड़ा रेशम की डोरी वाला बहुत सुंदर एक बड़ा सा थैला लिया और चल दी एक और आत्मा लेने 

 डगर ने पूछा ..

आज बड़ी बनी ठनी हो, इतने सुंदर वस्त्र और गहने में तो तुम जाती नहीं कभी आत्मा लेने .. कोई ख़ास है क्या ” 

गागर में सागर जिज्ञासा सिंह

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रावण का प्रत्युत्तर 

 हे महामना हे महादेवि 

हे तेज रूप हे स्वयं सृष्टि

सादर प्रणाम हे मातृ शक्ति

हूँ विनत भाव प्रस्तुत समक्ष 

कहने को अन्तर्भाव सहज 

🌈🌹शेफालिका उवाच🌹🌈 

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सत्य और न्याय ! कितने असहाय ! 

यह अपने आप में ही एक कटु सत्य है कि - 

यहाँ मज़बूत से मज़बूत लोहा टूट जाता है 
कई झूठे इकट्ठे हों तो सच्चा टूट जाता है 

सत्य के सच्चे पथिक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जिन्होंने मूलतः तो गुरूदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर की इन पंक्तियों को आत्मसात् करके चलना आरंभ किया था - यदि आपकी पुकार सुनकर कोई साथ न आए तो अकेले ही चलो - 

jmathur_swayamprabha जितेन्द्र माथुर 

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असमाप्त अंतर्यात्रा 

एक सुनसान द्वीप में 
ज़िन्दगी देखती है दूर तक एक निःशब्द, ख़ामोशी का शहर, किनारे की ज़मीं हज़ार बार टूट कर भी, विक्षिप्त लहरों सेनहीं करती कोई समझौता,  अग्निशिखा  

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ग़ज़ल 272 [37इ] : ज़िंदगी रंग क्या क्या दिखाने लगी 

ज़िंदगी रंग क्या क्या दिखाने लगी

आँख नम हो भले मुस्कराने लगी

उसके रुख से जो पर्दा उठा यक बयक

रूबरू भी हुई, मुँह छुपाने लगी 

गीत ग़ज़ल और माहिया --- आनन्द पाठक 

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ग़ज़ल (हम जहाँ में किसी से कम तो नहीं) 

हम जहाँ में किसी से कम तो नहीं,
दब के रहने की ही कसम तो नहीं।

आँख दिखला के जीत लेंगे ये दिल,
ये कहीं आपका बहम तो नहीं।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया 

Nayekavi 

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बस,अपने साथ - इसी आपा-धापी में कितना जीवन बीत गया - अरे, अभी यह करना है , वह करना तो बाकी रह गया , अरे ,तुमने ये नहीं किया? तुम्हारा ही काम है , कैसे करोगी ,तुम जानो!  

प्रतिभा सक्सेना

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दशहरा पूर्ण श्रद्धा से 

देखो रावण

प्रतिबिम्बित होता  

अंतर्मन में 

Sudhinama 

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मधुपुर आबाद रहे 

वृहत्तर सरोकारों से जुड़ा काव्य संग्रह : मधुपुर आबाद रहे

किरण सिपानी

 सहलेखन,सहसंपादन के अतिरिक्त 

गीता दूबे के स्वलेखन की 

पहली प्रकाशित काव्य कृति है —   'मधुपुर आबाद रहे।

पहली संतान की तरह 

पहली मौलिक पुस्तक भी प्रिय होती है 

इस सृजन के लिए गीता दूबे को बधाई।

लिखो यहां वहां 

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साहित्य विमर्श प्रकाशन की पुस्तकें हैं प्री ऑर्डर के लिए तैयार 

साहित्य विमर्श प्रकाशन की पुस्तकें हैं प्री ऑर्डर के लिए तैयार

साहित्य विमर्श प्रकाशन द्वारा अपनी नवीन पुस्तकों पर प्री ऑर्डर शुरू कर दिया गया है। साहित्य विमर्श प्रकाशन द्वारा रिलीज की जा रही इन पुस्तकों में तीन पुस्तकें शामिल हैं। इन पुस्तकों में एक बाल उपन्यास, एक आत्म कथा और एक उपन्यास शामिल है।  

एक बुक जर्नल 

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दोहे "हाथ बनाते दीप" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

पुतला रावण का जला, बीत गया त्यौहार।

सिया-राम की हो रही, जग में जय-जयकार।।

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अच्छाई के सामने, गयी बुराई हार।

मिटा साल भर के लिए, रावण का आधार।।

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आज के लिए बस इतना ही...!

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7 टिप्‍पणियां:

  1. विविधरूपा रचना संकलन है यह जिसमें सृजन की लगभग सभी विधाओं ने प्रतिनिधित्व पाया है। इसके लिए संकलक साधुवाद के पात्र हैं। मेरे आलेख को इसमें स्थान देने हेतु मैं हार्दिक आभार प्रकट करता हूँ।

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  2. Bahut badhiya sankalan. Meri rachna shamil karne ke liye bahut shukriya.

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  3. बहुत जी सुंदर चर्चा प्रस्तुति । सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं।

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  4. बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति

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